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2 साल के भीतर उजड़ गई लोहाडोंगरी की सुंदरता : मुंह चिढ़ाते बच गए मंत्री लखमा समेत जनप्रतिनिधयों के शिलान्यास… लाखों रूपए फूंक रोपे गए पौधे सूख गए… फंड के अभाव में चौकीदार, माली, सफाई कर्मचारियों को दिखा दिया गया बाहर का रास्ता…

इम्पैक्ट डेस्क.

बीजापुर। मनवा बीजापुर की कल्पना को लेकर जिस लोहा डोंगरी को दो साल पहले संवारने-निखारने का काम पूरे जोश के साथ शुरू हुआ था, आज उसी लोहा डोंगरी की सुंदरता जनप्रतिनिधियों-प्रशासन की उपेक्षा के चलते निखरने के बजाए मुरझाने लगी है। पहाड़ी के एक हिस्से में पुष्प और औषधीय पौधों की प्रजातियों की वाटिका की सुध लेने वाला कोई नहीं है। लाखों रूपए खर्च कर और चौबीस घंटे कर्मचारियों की देखरेख में विकसित उद्यान अपन मूल स्वरूप खो चुका है। उद्यान समेत पूरे परिसर की देख-रेख, साफ-सफाई के लिए नियुक्त स्व सहायता समूह के कर्मचारियों की सेवा फंड के अभाव में समाप्त कर दी गई है। इतना ही नहीं चौकीदारी के लिए तैनात इकलौते चौकीदार रमेषा हेमला भी उपेक्षा के चलते बीते चार महीने से बेरोजगार है।

वन विभाग की तरफ से डेजीविजेस कर्मचारी के रूप में रमेष की नियुक्ति लोहाडोंगरी में चौकीदार के रूप में हुई थी। रमेश का कहना है कि पिछले चार महीने से उसे पगार नहीं मिली है। रमेश अपनी पत्नी और तीन बच्चों समेत उद्यान में कुटिया बनाकर रह रहा था। अब रोजगार छीन जाने से परिवार का गुजारा भी मुश्किल हो चला है। बचत खाते में मात्र 2000 रूपए जमा है। इतने कम पैसों में घर चलाना दूभर है। मजबूरन उसे इधर-उधर मजदूरी कर अपना और परिवार का पेट पालना पड़ रहा है। बीते कुछ महीने बचत और महुआ बेचकर जो आमदनी हुई थी, उसी से जैसे-तैसे उसने अपना और परिवार का गुजारा चलाया। अब आर्थिक तंगी से परिवार का गुजर-बसर मुश्किल हो गया है। रोजगार और बकाया मेहनताना दिलाने की मांग को लेकर उसने पिछले दिनों जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के अलावा जिला प्रषासन को आवेदन भी किया था। रमेष के अनुसार मंत्री लखमा ने उसकी मांग पूरी होने की बात कही थी, लेकिन मंत्री जी के जाने के बाद उसकी मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। इधर वन विभाग की तरफ से भी स्पष्ट चौकीदार का काम खत्म होने की बात कह दी गई है।

सावनार का रहने वाला रमेष अपने बुढ़े पिता को भी बीजापुर लेकर पहुंचा है और शांतिनगर में अपने भाई के साथ मिलकर छोटा मकान बना रहा था, जिसमें अब पैसों की अड़चन आ गई है। गौरतलब है कि मनवा बीजापुर की कल्पना को लीेबकर दो साल पहले तत्कालीन कलेक्टर रीतेश अग्रवाल के पदस्थ रहते लोहा डोंगरी को निखारने-संवारने का काम शुरू हुआ था। जिसमें जनप्रतिनिधियों-प्रशासनिक अफसरों के साथ बीजापुर नगर के बाशिंदों ने बढ़ चढ़कर भाग लेते श्रमदान भी किया था। इतना ही नहीं डोंगरी के एक हिस्से में लाखों रूपए खर्च कर उद्यान विकसित करने के साथ बच्चों के मनोरंजन के लिए झुले, ओपन जिम, वॉकिंग पॉथ वे भी बनाया गया था। प्रषासन की इस कवायद के बाद बीजापुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने मनवा बीजापुर की कल्पना को साकार होता बताते लोहा डोंगरी में व्हॉलीबाल खेलकर इसका उदघाटन भी किया था, लेकिन सीएम के प्रवास के दो साल बाद लोहा डोंगरी की सूरत पूरी तरह से बिगड़ चुकी है।

डोंगरी की देखरेख करने वाले कर्मचारियों को फंड का अभाव बताते बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है तो वही चौकीदार रमेष हेमला को भी काम छोड़कर जाने को कहा गया है। डीएफओ अशोक पटेल ने फोन पर बताया कि तत्कालीन कलेक्टर रीतेश अग्रवाल के निर्देशानुसार तत्कालीन अफसरों ने डेजी विजेस मद से चौकीदार के पद रमेष को काम पर रखा था। वर्तमान में विभाग के पास रमेश का वेतन देने कोई पृथक बजट नहीं है और ना ही विभाग का इस कार्य से कोई लेना-देना है, लिहाजा उसे काम छोड़ने को कहा गया है। हालांकि विभाग की तरफ से जिला प्रषासन को एक प्रस्ताव अवष्य भेजा गया है, जिस पर कोई रिस्पांस नहीं मिला है। वही जब इस संबंध में विधायक एवं बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने जरूरी बैठक में होने की बात कही।

फिलहाल लोहा डोंगरी के उद्यान में रोपित पौधे देखरेख के अभाव में सूख चुके हैं, जीवंत कुछ नजर आ रहे है तो मंत्री लखमा समेत स्थानीय जनप्रतिनिधियों के शिलान्यास, जो लोहाडोंगरी की सुंदरता को मुंहचिढ़ाते नजर आ रहे हैं।

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