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जनजातीय समाज की रीति-रिवाजों, परंपराओं और वाचिक काव्य व कथा पाठ परंपरा के संरक्षण की कवायद…

इम्पेक्ट न्यूज़। दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज की रीति-रिवाजों, परंपराओं और वाचिक काव्य व कथा पाठ परंपरा के संरक्षण की कवायद शुरू कर दी गई है। इसी क्रम में राजधानी रायपुर में होने वाली राज्य स्तरीय कार्यशाला के लिए जिलों में आदिम जाति अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान द्वारा सभी जिलों में कैंप लगाकर ऐसे कलाकारों व वाचिक परंपरा के संवाहकों का चयन किया जा रहा है। सोमवार को जिला पंचायत दंतेवाड़ा में संस्थान ने तैयारी व चयन के सिलसिले में जिला पंचायत सभागार में कैंप लगाया, जिसमें वाचिक परंपरा की

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बंद एयरकंडीशनर कमरे में बैठकर कविताएं लिखी जा रही हैं, तो यह सब बेमानी हैं : त्रिलोक महावर

कविता हमें आश्वस्ति प्रदान करती है–संतोष चौबे ‘आज के समय में कविता‘ पुस्तक भोपाल में हुई लोकार्पित कविता में अभिव्यक्ति देश, काल और परिस्थितियों से अछूती नहीं रह सकती। कविता सहज होना जरूरी है तभी आम पाठक तक पहुंच संभव हो सकेगी। हमारे आसपास, समाज, देश–दुनिया में क्या घटित हो रहा है यदि इससे बेखबर बंद एयरकंडीशनर कमरे में बैठकर कविताएं लिखी जा रही हैं, तो यह सब बेमानी हैं। उक्त उद्गार वरिष्ठ कवि एवं प्रशासन अकादमी, छत्तीसगढ़ के निदेशक त्रिलोक महावर ने स्वयं की ताजा पुस्तक ‘आज के समय

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दिल्ली को रायपुर के सम में लाने वाले राजेंद्र जी नहीं रहे…

सुदीप ठाकुर। वरिष्ठ आलोचक डॉ. राजेंद्र मिश्र नहीं रहे। उनके निधन की खबर मिलते ही बहुत सी स्मृतियां ताजा हो गईं। देशबंधु में उनका आना जाना लगा रहता था। देशबंधु ने जब साहित्य वार्षिकी शुरू करने का फैसला किया था , तब ललित सुरजन जी ने उन्हें अतिथि संपादक बनाया था। अक्षर पर्व के नाम से निकली इस वार्षिकी के संपादक थे विनोद वर्मा। देश के साहित्य जगत में यह एक बड़े धमाके की तरह था। उस समय तक दिल्ली से निकलने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका इंडिया टुडे कई साहित्यिक वार्षिकी

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Articles By NameCultureDistrict Kondagaun

बस्तर के लोक अध्येता हरिहर वैष्णव नहीं रहे

पीयूष कुमार। बस्तर के सबसे बड़े लोक अध्येता हरिहर वैष्णव जी का निधन हो गया है। वे 66 वर्ष के थे। कोंडागांव (छत्तीसगढ़) निवासी हरिहर वैष्णव मूलतः कथाकार और कवि रहे हैं पर उनका सम्पूर्ण लेखन और शोध कर्म बस्तर पर ही केंद्रित रहा है। लोक का साहित्य उसकी वाचिक परम्परा में संरक्षित रहता है ऐसे में उसे लिपिबद्ध करना निश्चित ही महती कार्य है। इस लिहाज से बस्तर की समृद्ध लोक परम्पराओं खासतौर से हल्बी और भतरी भाषा के लोक को हरिहर जी ने विस्तार से लिपिबद्ध करके सुरक्षित

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BeureucrateCG breakingDistrict Bastar (Jagdalpur)

कवि त्रिलोक महावर को साहित्यिक उपलब्धियों के लिए पुष्प सम्मान से किया गया सम्मानित…

इम्पेक्ट न्यूज़। जगदलपुर। विगत दिनों सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि श्री त्रिलोक महावर को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए विदिशा मध्यप्रदेश में साकिबा द्वारा वर्ष 2021 का घनश्याम मुरारी श्रीवास्तव पुष्प सम्मान प्रदान किया गया। साहित्यिक संस्था साकीबा के अध्यक्ष बृज श्रीवास्तव ने संस्था की उपलब्धियों का उल्लेख किया तथा श्री महावर की साहित्यिक उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि श्री महावर को पुरस्कृत करते हुए इस संस्था को काफी गर्व हो रहा है। उन्होंने श्री महावर के विदिशा में अपर कलेक्टर रहने के दौरान उनके साहित्यिक सामाजिक

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