हम सबमें एक लालसिंह चड्ढा हो…
सिनेमा समीक्षा पीयूष कुमार के फेसबुक वॉल से साभार। यह फ़िल्म एक 50 साल के इंसान की कहानी है जिसके पास नकारात्मक दिमाग कम और निर्दोष दिल ज्यादा है। फ़िल्म इस बात से ही शुरू होती है कि यह ‘फॉरेस्ट गम्प’ का भारतीय संस्करण है। इस फ़िल्म का डिस्क्लेमर सम्भवतः सबसे बड़ा डिस्क्लेमर है। यह क्यों है, यह समझना आसान है। बहरहाल, फ़िल्म की कहानी नहीं बताऊंगा क्योंकि यह कई कहानियों से मिली हुई और कुछ अविश्वसनीय सी है इसके बावजूद यह कह सकता हूँ कि ‘फॉरेस्ट गम्प’ का यह
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