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शिक्षक दिवस पर विशेष- गांव में नेटवर्क नहीं तो शिक्षिका ने पेड़ के नीचे लगा दी ऑफ लाइन क्लास…बच्चे शिक्षा से वंचित ना रहे हर दिन करती है 30 किमी का सफर…


इम्पेक्ट न्यूज़. सुकमा।

आज शिक्षक दिवस है ऐसे में हम आपको एक ऐसी शिक्षिका के बारे में बता रहे है जो कोरोना काल में जहां एक और स्कूले बंद है और आनलाइन क्लासे चल रही है साथ ही अधिकांश शिक्षक होम फार्म वर्क पर काम कर रहे है ठीक दुसरी और सुकमा जिले के छिन्दगढ़ ब्लाक की एक ऐसी शिक्षिका है जो हर दिन 30 किमी. का सफर तय कर घोर नक्सल प्रभावित मांडूम जाकर पेड़ के नीचे बच्चों को शिक्षा दे रही है। शिक्षिका भवानी चंद्रवंशी जो विपरित परिस्थियों के बावजूद अपना काम इमानदारी के साथ कर रही है।

फ़ोटो-पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे बच्चे।

छिन्दगढ़ ब्लाक का गुरबे पंचायत का गांव मांडूम जो एनएच 30 से करीब 30 किमी. दूर स्थित है। घोर नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण आवागमन के लिए जर्जर सड़क है जो बारीश के दिनों में पगड़डी का काम कर रही है। घने जंगल व उंचे पहाड़ों के बीच इस गांव में करीब 100 घरो की बस्ती है। यहां पर स्थित स्कूल भवन जो कि कोरोना शुरू होते ही बंद हो गया था। लेकिन बच्चों की पढ़ाई अभी भी जारी है। यहां पर पदस्थ शिक्षिका भवानी चंद्रवंशी जो प्रतिदिन यहां आकर बच्चों को पढ़ा रही है। वही आफ लाइन क्लास में बच्चे सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए बैठते है। साथ ही मास्क लगाकर स्कूल आते है। घोर नक्सल प्रभावित में एक महिला शिक्षिका के द्वारा इस तरह पढ़ाने की तारीफ हर तरफ हो रही है।

फ़ोटो- गाँव मे स्थित स्कूल भवन।

कच्चे रास्ते मे हर दिन आती है शिक्षिका

यहां पर पदस्थ शिक्षिका भवानी चंद्रवंशी जो हर दिन करीब 30 किमी. का सफर तय कर गांव पहुंचती है। दुपहिया साधन से हररोज गांव आती है और बच्चों की क्लास लेती है। जबकि मैदानी इलाकों में जहां नेटवर्क की सुविधा है वहां पर बच्चों को सही ढंग से नहीं पढ़ाया जाता है। लेकिन पढ़ाने की ललक व बच्चे पढ़ाई में पीछे ना छुट जाऐं इसलिए हर दिन कीचड़ से भरे रास्ते से गांव तक पहुंचती है। कही बार तो दुपहिया वाहन से नीचे भी गिर चुकी है। उसके बावजूद हर दिन यहां पर पढ़ाने आती है।

पेड़ के नीचे पढ़ाती है बच्चों को

ऐसा नहीं है कि गांव में स्कूल भवन नहीं है जबकि गांव में स्कूल भवन है लेकिन शासन के निर्देशों के चलते भवन बंद है ऐसे में शिक्षिका भवानी चंद्रवंशी बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाने का काम करती है। बारीश के दिनों में ग्रामीणों के घरो में बच्चों को पढ़ाया। जबकि यहां पर आफलाइन में शत-प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रहती है।

यहां गांव में नेटवर्क की समस्या है। जिसके चलते ऑनलाइन क्लास नही हो पाती है। इसलिए बच्चे पढ़ाई में पीछे ना रह जाए इसलिए गांव में आकर पेड़ के नीचे क्लास लेती हूं। कोरोना में भी हर दिन आकर बच्चो को पढ़ाया है। ➗ भवानी चंद्रवंशी शिक्षिका

कोरोना संक्रमण के दौरान पूरे ब्लाक में ऑनलाइन क्लास का आयोजन किया रहा है। वही शिक्षिका भवानी चद्रवंशी जो कि महिला होते हुए भी दुर्गम इलाके में जाकर ऑफ लाइन क्लास ले रही है जो तारीफे काबिल है। उनके इस हौंसले व मेहनत के लिए बधाई के पात्र है। – कमलेश श्रीवास्तव बीइओ छिंदगढ़

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