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एसबीआई की हरित जमा पर नकद आरक्षित अनुपात की आवश्यकता को कम करने के लिए आरबीआई से बातचीत जारी

एसबीआई की हरित जमा पर नकद आरक्षित अनुपात की आवश्यकता को कम करने के लिए आरबीआई से बातचीत जारी

बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद में भंडारण स्थानों की मांग पिछले साल पांच प्रतिशत घटी: वेस्टियन

भारत ने चीन, वियतनाम से सोलर ग्लास के आयात की डंपिंग रोधी जांच शुरू की

मुंबई
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि देश का सबसे बड़ा ऋणदाता हरित जमा पर नकद आरक्षित अनुपात की आवश्यकता को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने खुदरा जमा को आकर्षित करने के लिए पिछले महीने एक हरित जमा योजना की घोषणा की थी। इसका इस्तेमाल केवल हरित बदलाव परियोजनाओं या जलवायु-अनुकूल परियोजनाओं को निधि देने के लिए किया जाएगा। बैंक ने कहा कि ऐसी जमाओं की कीमत सामान्य जमा दरों से 10 आधार अंक कम होगी।

नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) नकदी की वह न्यूनतम राशि है जिसे किसी बैंक को अपनी कुल जमा राशि के मुकाबले केंद्रीय बैंक के पास आरक्षित रखने की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में सीआरआर 4.5 प्रतिशत आंका गया है, जिसका अर्थ है कि बैंक द्वारा जमा किए गए प्रत्येक एक रुपये में से 4.5 पैसे रिज़र्व बैंक के पास 'सॉल्वेंसी' उपाय के रूप में रखे जाने चाहिए। बैंक आरबीआई के पास आरक्षित राशि पर कोई ब्याज नहीं कमाते हैं।

खारा ने यहां भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझिकोड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम हरित जमा के लिए सीआरआर में कटौती के वास्ते नियामक के साथ बातचीत कर रहे हैं। यदि यह एक नीति के रूप में है, तो इसे नियामक नीति तंत्र में शामिल किया जा सकता है। नियामक की ओर से भी शुरुआती आगाज हो चुका है लेकिन कीमत पर भी असर पड़ने में शायद दो से तीन साल लग जाएंगे।''

चेयरमैन ने बेहतर और अधिक व्यावहारिक रेटिंग का आह्वान किया क्योंकि हरित वित्त पोषण के नाम पर 'ग्रीन-शोरिंग' की उच्च संभावना है। उन्होंने साथ ही कहा कि बैंक यह देखने के लिए रेटिंग संस्थाओं के साथ जुड़ रहा है कि क्या हरित वित्तपोषण के लिए एक लेखांकन मानक निर्धारित किया जा सकता है या नहीं।

 

बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद में भंडारण स्थानों की मांग पिछले साल पांच प्रतिशत घटी: वेस्टियन

नई दिल्ली

 देश में तीन प्रमुख दक्षिणी शहरों बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई में भंडारण स्थानों की मांग पांच प्रतिशत गिरकर 1.02 करोड़ वर्ग फुट हो गई। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

कैलेंडर वर्ष 2022 में यह 1.07 करोड़ वर्ग फुट थी।

रियल एस्टेट सलाहकार वेस्टियन के आंकडों के अनुसार, इन तीन दक्षिणी शहरों की हिस्सेदारी पिछले वर्ष के 34 प्रतिशत से गिरकर 2023 में 27 प्रतिशत हो गई।

वहीं सात प्रमुख शहरों में गोदाम और लॉजिस्टिक्स स्थानों का पट्टा पिछले वर्ष के 3.12 करोड़ वर्ग फुट से 2023 में 21 प्रतिशत बढ़कर 3.78 करोड़ वर्ग फुट हो गया।

वेस्टियन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्रीनिवास राव ने कहा, ''केंद्रीय बजट 2024-25 से अगले कुछ वर्षों के लिए दिशा तय होने की उम्मीद है। अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे के विकास की हालिया घोषणाओं का इस क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।''

हालांकि, राव ने आगाह किया, ‘‘2024 भारतीय भंडारण क्षेत्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण वर्ष हो सकता है क्योंकि 2023 में निवेश में गिरावट का रुख रहा।''

भारत ने चीन, वियतनाम से सोलर ग्लास के आयात की डंपिंग रोधी जांच शुरू की

नई दिल्ली
भारत ने घरेलू कंपनियों की शिकायत के बाद चीन और वियतनाम से कुछ सोलर ग्लास के आयात के खिलाफ डंपिंग रोधी जांच शुरू की है।

वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) चीन और वियतनाम में बने 'टेक्सचर्ड टेम्पर्ड कोटेड' और 'अनकोटेड ग्लास' की कथित डंपिंग की जांच कर रही है।

इस उत्पाद को बाजार की भाषा में सोलर ग्लास या सोलर फोटोवोल्टिक ग्लास जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।

घरेलू उद्योग की ओर से बोरोसिल रिन्यूएबल्स लिमिटेड ने जांच और आयात पर उचित डंपिंग रोधी शुल्क लगाने के लिए आवेदन दायर किया है।

अधिसूचना के अनुसार, ‘‘घरेलू उद्योग द्वारा विधिवत प्रमाणित आवेदन के आधार पर और आवेदक द्वारा डंपिंग तथा घरेलू उद्योग को इससे क्षति होने के संबंध में आवेदक द्वारा प्रस्तुत प्रथम दृष्टया साक्ष्य से एक हद तक संतुष्ट होने के बाद प्राधिकरण कथित डंपिंग के मामले में डंपिंग रोधी जांच शुरू करता है।''

इसमें कहा गया कि यदि डंपिंग से घरेलू कंपनियों को वास्तविक क्षति होने की पुष्टि होती है, तो डीजीटीआर आयात पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा।

वित्त मंत्रालय शुल्क लगाने के संबंध में अंतिम निर्णय लेगा।

सस्ते आयात में वृद्धि के कारण घरेलू उद्योगों को नुकसान हुआ है या नहीं यह निर्धारित करने के लिए देशों द्वारा डंपिंग रोधी जांच की जाती है। जांच में नुकसान की पुष्टि होने पर जवाबी कार्रवाई में कोई देश जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के बहुपक्षीय शासन के तहत ये शुल्क लगा सकता है।

चीन समेत विभिन्न देशों से सस्ता आयात रोकने के लिए भारत पहले ही कई उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा चुका है।

 

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