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नौसेना प्रमुख का इस्तीफा : भारत में अपने देश के रुख के खिलाफ जाकर यूक्रेन संकट-क्रीमिया पर बोले, पुतिन की तारीफ की थी…

इंपैक्ट डेस्क.

जर्मनी के नौसेना प्रमुख के एचिम शॉनबाख ने हाल ही में भारत में एक कार्यक्रम के दौरान अपने ही देश की नीतियों के खिलाफ जाकर यूक्रेन संकट पर उल्टा बयान दिया था। साथ ही उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तारीफ करते हुए उन्हें सम्मान देने की बात कही थी। अपने नौसेना प्रमुख के ये बयान जर्मन सरकार को कुछ खास रास नहीं आए हैं, जिसके बाद श्योनबाख को रविवार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। 

शॉनबाख ने रूस और यूक्रेन संकट के साथ क्रीमिया पर दिए अपने बयान को लेकर सोशल मीडिया पर खेद भी जताया है। इसी के साथ उन्होंने अपना इस्तीफा जर्मनी की रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैंब्रेख्त को भेज दिया और खुद को ड्यूटी से तत्काल बर्खास्त करने की मांग रख दी। नौसेना प्रमुख ने बताया कि उनकी इस मांग को रक्षा मंत्री ने मान भी लिया है। 

भारत में एक कार्यक्रम के दौरान दिया था जर्मनी की नीति के उलट बयान
शॉनबाख जर्मन नौसेना प्रमुख के तौर पर शुक्रवार को नई दिल्ली में मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में रखे गए एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। यहां उन्होंने यूक्रेन संकट पर जर्मनी और यूरोप के रुख से इतर जाते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तारीफ की थी। उनके बयान का जो वीडियो यूट्यूब पर वायरल हुआ था, उसमें श्योनबाख यह भी कहते सुने गए थे कि रूस एक पुराना और अहम देश है। 

इतना ही नहीं अपने बयान में जर्मनी के नौसेना प्रमुख ने कहा था कि यूक्रेन में रूस की कार्रवाई से सख्ती से निपटना चाहिए। हालांकि, उन्होंने क्रीमिया पर पश्चिमी देशों की नीति के खिलाफ जाते हुए यह भी कह दिया था कि रूस द्वारा कब्जाए गए क्रीमिया प्रायद्वीप का मामला अब हाथ से निकल चुका है। उन्होंने कहा था, “वह (क्रीमिया) जा चुका है और अब कभी वापस नहीं आएगा। ये एक तथ्य है।” 

क्रीमिया और यूक्रेन संकट पर ये है यूरोप-अमेरिका का रुख
गौरतलब है कि जर्मन नौसेना प्रमुख का क्रीमिया पर दिया बयान सीधे तौर पर यूरोप-अमेरिका के रुख के उलट है। वॉशिंगटन और पश्चिमी देशों का कहना है मॉस्को ने 2014 में यूक्रेन पर हमला कर क्रीमिया प्रायद्वीप पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था। इसलिए क्रीमिया को यूक्रेन को लौटाया जाना चाहिए। 

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