Breaking NewsRajneeti

कोरिया से झारखंड भेजे गए पाँच श्रमिकों का कोरोना पॉजीटिव पाए जाने से प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल : भाजपा

  • क्वारेंटाइन सेंटर्स के इंतज़ामात में प्रदेश सरकार और प्रशासन तंत्र की विफलता पर भी विधायक शर्मा ने निशाना साधा
  • अन्य प्रदेशों में सख्त लॉकडाउन में फँसे प्रदेश के मजदूरों के प्रति सरकार दुर्लक्ष्य कर उनकी कोई चिंता नहीं कर रही

रायपुर।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक शिवरतन शर्मा ने छत्तीसगढ़ के कोरिया के क्वारेंटाइन सेंटर में 15 दिनों तक रखे जाने के बाद झारखंड के पलामू भेजे गए श्रमिकों में से पाँच श्रमिकों के कोरोना पॉजीटिव पाए जाने पर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। श्री शर्मा ने क्वारेंटाइन सेंटर्स की सुरक्षा और स्वास्थ्य समेत दीगर इंतज़ामात में प्रदेश सरकार और प्रशासन तंत्र की विफलता पर भी निशाना साधा है।

इन क्वारेंटाइन सेंटर्स में रखे गए लोगों का शिविर छोड़कर भागना यह बताने के लिए पर्याप्त है कि वहां सरकार पुख्ता इंतज़ाम नहीं किए गए हैं। श्री शर्मा ने अन्य प्रदेशों में सख्त लॉकडाउन में फँसे मजदूरों के प्रति प्रदेश सरकार के दुर्लक्ष्य पर भी अपनी चिंता जताई है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक श्री शर्मा ने एक न्यूज़ पोर्टल पर प्रसारित और एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में हाल ही मिले पाँच नए कोरोना संक्रमित मजदूर कोरिया के क्वारेंटाइन सेंटर से होकर लौटे थे, इसलिए यह मामला बेहद गंभीर है। छत्तीसगढ़ में इन मजदूरों को पहले राजनांदगाँव में 15 दिन और फिर कोरिया में 15 दिन (कुल 30 दिन) क्वारेंटाइन सेंटर में रखे जाने के बाद झारखंड भेजा गया था।

श्री शर्मा ने सवाल किया कि छत्तीसगढ़ सरकार यह स्पष्ट करे कि क्या इन मजदूरों को प्रदेश में क्वारेंटाइन रखा गया था? यदि वे प्रदेश के दो क्वारेंटाइन सेंटर्स में रखे गए तो क्या उनकी जाँच हुई थी? क्या प्रदेश सरकार ने इन मजदूरों की जाँच रिपोर्ट के मद्देनज़र इलाज की व्यवस्था की थी और इस बारे में झारखंड की सरकार को इत्तिला की थी? यदि ये मजदूर कोरोना पॉजीटिव थे तो इस आशंका को बल मिलता है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने या तो उन मजदूरों की जाँच रिपोर्ट छिपाई या फिर उनकी जाँच ही नहीं की गई। प्रदेश सरकार इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार क्वारेंटाइन सेंटर्स की व्यवस्था को लेकर दावे तो बड़े-बड़े कर रही है, लेकिन ज़मीनी सच यह है कि ये क्वारेंटाइन सेंटर्स भगवान भरोसे छोड़ दिए गए हैं जहाँ क्वारेंटाइन कर रखे गए मजदूरों की देखभाल तक की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। अलग-अलग राज्यों से आ रहे मजदूरों के लिए स्कूल, पंचायत और सामुदायिक भवनों को क्वारेंटाइन सेंटर्स बनाया गया है लेकिन वहाँ सुरक्षा व्यवस्था का आलम यह है कि वे धर्मशाला से कम नहीं रह गए हैं जहाँ क्वारेंटाइन पीरियड में भी रखे गए श्रमिकों से उनके दोस्त-परिजन मिलने पहुँच रहे हैं और उन्हें खाने-पीने की चीजें तक दे रहे हैं।

इन क्वारेंटाइन सेंटर्स में बाहरी लोगों को प्रवेश से रोकने के लिए न तो बेरीकेट्स लगे हैं और न ही वहाँ सेनिटाइज़र या मास्क की व्यवस्था है। इन सेंटर्स में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं हो रहा है। कई सेंटर्स में तो रखे गए लोगों को रिश्तेदार खाना पहुँचा रहे हैं!

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक श्री शर्मा ने कहा कि इन क्वारेंटाइन सेंटर्स में सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता नहीं हैं। प्रदेश के विभिन्न इलाकों से अखबारों में इन क्वारेंटाइन सेंटर्स से लोगों भाग निकलने की छपीं सूचनाएँ तस्दीक करती हैं कि प्रदेश सरकार कोरोना के खिलाफ जारी जंग को लेकर पूरी तरह लापरवाही बरत रही है। यह प्रदेश सरकार के दावों को खोखला साबित करता है कि क्वारेंटाइन सेंटर से लोग भाग रहे हैं, वहाँ रखे गए लोगों को रिश्तेदार भोजन आदि खाद्य सामग्री पहुँचा रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।

श्री शर्मा ने हैरत जताई कि राजधानी से लगे कई गाँवों में बाहर से आकर मजदूर पाबंदी के बावजूद अपने घरों में रहने चले गए और गाँववालों की सूचना के बाद भी उनकी जाँच तक नहीं की गई और गाँववाले संक्रमण की आशंका से भयभीत हैं। जब राजधानी के निकटवर्ती स्थानों का आलम यह है तो प्रदेश के दूरस्थ इलाकों के क्वारेंटाइन सेंटर्स की सच्चाई प्रदेश सरकार की बड़ी-बड़ी डींगों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और विधायक श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार अन्य राज्यों में फँसे मजदूरों के प्रति बेरुखी दिखा रही है। ये मजदूर पैदल चलकर या किसी से लिफ्ट लेकर अपने प्रदेश लौट रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार न तो उनकी कोई सुध ले रही है और न ही उनके परीक्षण के प्रति अपनी गंभीरता का परिचय दे रही है। इसी प्रकार जो लोग विधिवत अनुमति लेकर अपने प्रदेश लौटना चाह रहे हैं, प्रदेश सरकार उन्हें अनुमति भी नहीं दे रही है और न ही अपने स्तर पर उन्हें वापस लाने का कोई इंतज़ाम ही कर रही है।

श्री शर्मा ने कहा कि अन्य राज्यों, विशेषकर महाराष्ट्र के पुणे में फँसे मजदूरों के सामने सख्त लॉकडाउन के चलते गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है और उनके पास अब खाने-पीने की सामग्रियाँ तक नहीं है। प्रदेश सरकार उन मजदूरों की ज़रा भी चिंता नहीं कर रही है। उत्तरप्रदेश सरकार ने मजदूरों के खाते में एक-एक हज़ार रुपए की सहायता राशि जमा कराई है लेकिन प्रदेश की भूपेश सरकार ने इन मजदूरों के खाते में एक पैसा भी बतौर सहायता जमा नहीं कराया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!