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मनमानी बात नहीं कर सकते नेता… अधिकारों के उल्लंघन पर हो सकता है ऐक्शन : सुप्रीम कोर्ट…

इम्पैक्ट डेस्क.

आपराधिक मामलों की जांच में नेताओं के विवादित बोलों पर लगाम लगाने के बारे में सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना रहा है। जस्टिस रामासुब्रमण्यम ने कहा कि इस तरह किसी के भी बयान देने पर रोक नहीं लगाया जा सकता लेकिन अगर किसी के बयान से अधिकारों को उल्लंघन होता है तो कार्रवाई की जा सकती है। वहीं जस्टिस नागरत्ना ने संविधान के अनुच्छेद 51A पर जोर देते हुए कहा कि नेताओं को अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें विचार करना चाहिए कि वे नागरिकों के लिए किस तरह का उदाहरण स्थापित कर रहे हैं।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम ने कहा, किसी के भी बोलने पर वही प्रतिबंध लागू होंगे जो कि संविधान में दर्ज हैं। इसके अलावा अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते। हालांकि सरकारों का कर्तव्य होता है कि वे लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करें। फैसला सुनाते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा, कोई भी मंत्री बयान दे सकता है। उन्होंने कहा कि अगर मंत्री या नेता का बयान सरकार के स्टैंड पर है तो इसके लिए सरकार उत्तरदायी है लेकिन अगर कोई हल्की बात कही जाती है तो यह केवल व्यक्तिगत  टिप्पणी मानी जानी चाहिए।

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