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सड़कों पर जाम : ऐसी कौन सी आफत आ गई है नए कानून से…? संसद से पास कानून के खिलाफ जनाक्रोश की असल वजह…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

देश भर में यात्री वाहनों और मालवाहक ट्रकों के पहिए थम गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग पर आज दिन भर जाम लगा रहा। यह प्रदर्शन इतना व्यापक रहा कि किसी भी सरकार को भनक तक नहीं लगी कि नए साल के पहले ही दिन सड़क पर संसद से पारित किसी कानून का जनाजा निकल सकता है। हिंदुस्तान के लोकतंत्र में संसद और संसदीय परंपराओं का कितना महत्व है यह जानना समझना हो तो 2024 के पहले ही दिन संसद से पास हुए कानून के खिलाफ उमड़ा जनाक्रोश है।

पहले तो यह समझना होगा कि यह कानून क्या है जिसे लेकर जनाक्रोश से सड़कें लबालब हैं। नए हिट एंड रन कानून के विरोध में सोमवार को देश के 8 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात में बस और ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर हैं।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए संशोधन के बाद हिट एंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवर पर 7 लाख रुपए तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है।

मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत अन्य शहरों में बसें नहीं चल रही हैं। राजस्थान में आधे दिन तक प्राइवेट गाड़ियां नहीं चलाई गईं। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों ने सड़क पर वाहन खड़े कर टायरों में आग लगा दी। छत्तीसगढ़ में रायपुर की ओर पहुंचने वाली सभी एनएच पर जाम लगा रहा। सुबह नौ बजे पहली सूचना आई कि बिलासपुर हाईवे में ट्रकें खड़ी कर दी गईं हैं। इससे लगभग पांच किलोमीटर लंबा जाम लग गया। उसके बाद सिमगा से भी यही खबर आई। रायपुर से निकलने वाली यात्री बसों के पहिए थम गए। यात्रियों को उतार दिया गया।

बिहार की राजधानी पटना समेत प्रदेश के कई जिलों में प्रदर्शन हो रहा है। वहीं उत्तराखंड, पंजाब और यूपी में भी ट्रक ड्राइवरों ने चक्का जाम किया।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) ने हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध किया है। संगठन के आह्वान पर ही चक्का जाम और हड़ताल शुरू हुई है। AIMTC की अगली बैठक 10 जनवरी को होगी। इसमें फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो किस तरह से सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जाए।

AIMTC के अध्यक्ष अमृत मदान ने कहा कि हिट एंड रन कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। भारत इस समय वाहन चालकों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।

दरअसल भारतीय न्याय 2023 के तहत जो कानून का मसौदा हाल ही मे पहले लोक सभा से फिर राज्य सभा से पास होने के बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन से लागू हो गया है। इस दौरान संसद में इस कानून को लेकर किसी प्रकार की बहस नहीं हुई। जिस समय यह​ बिल संसद में लाया गया तब गतिरोध के बाद उत्पन्न स्थिति में करीब 145 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। विपक्ष की ओर से इस मसौदे पर कोई बहस ही नहीं की गई। जिससे कानून को लेकर उसकी खासियत और खामियों पर विस्तार से विमर्श ही नही हो पाया।

इससे पहले तीन कृषि कानूनों को लेकर भी इसी तरह का हंगामा मचा रहा। कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लंबा चला आखिरकार प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। इस बार भी माहौल कुछ वैसा ही खड़ा होता दिखाई दे रहा है। हिट एंड रन के मामलों को लेकर सरकार कड़ा कानून जन​हित में लागू करना चाह रही है। ताकि इस तरह के मामलों में दोषी अपराधियों पर सख्त कार्रवाई हो सके।

पर इस कानून के चलते उन वाहन चालकों के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है जिसमें यदि पुलिस ने ऐसे किसी मामले में उलझा दिया तो वाहन चालक की जिंदगी ही बरबाद हो सकती है। संभवत: राज्यों की पुलिस का रवैया कभी भी जनहित में विश्वास के योग्य कम ही रहा है। जिसे आम जनता भलि भांति समझती है। आतंकियों के खिलाफ लागू कानून का भी इसी तरह से दुरूपयोग होता रहा है।

हिट एंड रन के किस तरह के मामलों को शामिल किया जाना उचित होगा इसके संबंध में वर्तमान भारतीय न्याय संहिता में स्पष्टता का अभाव है जिससे किसी भी ऐसे मामले में जहां साधरण तौर पर वाहन दुर्घटना के बाद वाहन चालक को हिट एंड रन के कठोर कानून में फंसाए जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। संभवत: यही वह बिंदु है जिसे लेकर आम वाहन चालक चिंतित और आक्रोशित है।

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