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HTLS 2023 : अदालतों में कैसे बढ़ेगी पिछड़ों और महिलाओं की संख्या… चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया तरीका…

इम्पैक्ट डेस्क.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों में अब महिलाओ की हिस्सेदारी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि किस तरह से न्यायालय में पिछड़ों और महिलाओं की संख्या बढ़ सकती है। उन्होंने एक पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि अगर पिछड़ों को बेहतर अवसर देने हैं तो हमें सबसे पहले इसके फायदे देखने होंगे। इसे समावेशी तरीके से समझना होगा। उच्च शिक्षा में महिलाएं कम जा रही हैं। ज्यादातर टेस्ट भी अंग्रेजी में होते हैं। ऐसे में वे लोग  पीछे हो जाते हैं जो कि अंग्रेजी के माहौल से नहीं आते हैं। 

उन्होंने कहा, सीनियर के चैंबर में प्रवेश पाने के लिए भी एक अनौपचारिक प्रक्रिया है। ऐसे में बहुत सारे लोग आगे नहीं बढ़ पाते। लेकिन एक अच्छी बात बताना चाहूंगा। पूरे भारत में जिला स्तर की अदालतों में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की नियुक्ति हो रही है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की जिला अदालतों में 120 में से 70 महिलाओं की नियुक्ति होती है। जब लॉ फर्म में महिलाओं की नियुक्ति होती है तो एक माइंडसेट होती है कि महिलाओं पर परिवार की भी जिम्मेदारी होती है, बच्चे भी पालने होते हैं। जब तक हम इस सोच को नहीं बदलेंगे तब तक सुधार संभव नहीं है। जब तक हम पिछड़ों और महिलाओं को निचले स्तर पर शामिल करना नहीं शुरू करेंगे ऊपरी स्तर पर सुधार नहीं होगा। लेकिन विश्वास मानिए कि बदलाव शुरू हो गया है। अगले 10 साल में महिलाएं ऊपरी स्तर पर जिम्मेदारी लेंगी। सीजेआई ने कहा, अब तो सशस्त्र सेना में भी महिलाओं के अधिकारी बनने का रास्ता खुल गया है। 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, कोर्ट तीन मुख्य काम करते हैं। न्यायालय सामाजिक जुड़ाव के लिए और संवाद का भी माध्यम बनते हैं। इससे समाज  के विचारों का भी पता चलता है। 
सीजेआई ने कहा कि अंग्रेजी की वजह से बहुत सारे लोगों को अवसर नहीं मिल पाता। हां कोविड के समय में कुछ अच्छी चीजें सीखने को मिलीं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान बहुत सारी महिलाएं केस लड़ती दिखाई दीं। लाइव स्ट्रीमिंग का प्रॉसेस भी कॉन्फिडेंस बिल्डिंग का एक तरीका है ताकि लोग न्यायिक प्रक्रिया को समझ सकें। हमने क्षेत्रीय भाषाओं में भी फैसलों को ट्रांसक्रिप्ट करवाने का फैसला किया है ताकि सबको समझने में आसानी हो।  इसके अलावा एलजीबीटीक्यूआई के लिए हैंडबुक तैयार की गई है। महिलाओं के खिलाफ प्रयोग किए जाने वाले आपत्तिजनक शब्दों को रोकने के लिए भी हैंडबुक तैयार की गई है जिससे कि न्यायिक प्रक्रिया में शामिल लोगों को एजुकेट किया जा सके। 

सीजेआई ने कहा कि तकनीक के मदद से बहुत बड़ा बदलाव आया है। अब न्यायिक प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी हो रही है। हम सभी अदालतों के रिकर्ड को डिजिटाइज करने की कोशिश कर रहे हैं। हम ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे चरण में काम कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि अदालतें नागरिक केंद्रित हों। हम डिजिटल माध्यम से सुदूर इलाकों में स्थित जेलों में भी संदेश पहुंचाते हैं।

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