आवासीय क्षेत्रों में बने गौदाम और दुकानें… निगम निर्माण की अनुमति तो देता है, पर निर्माण कैसा हो रहा है इसकी पड़ताल नहीं करता, दुर्घटनाओं को खुला आमंत्रण…
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इंपेक्ट डेस्क.
जगदलपुर। एक तरफ शहर को सुंदर बनाने की कवायद हो रही है, सड़के चौड़ी की जा रही है तो दूसरी और निगम के सुस्त रवैये से रहवासी कॉलोनियों में दुकानों और गौदामों का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है। बड़े बड़े गौदामों के निर्माण से दुर्घटनाओं की संभवनाएं बढ़ रही है।
बस्तर इम्पेक्ट ने पड़ताल में पाया कि इस मामले में सबसे आगे रमैया वार्ड है जंहा जैन दादाबाड़ी के चारों तरफ दुकानों और गौदामों का निर्माण बड़ी संख्या में हुआ है।वैसे गुरुद्वारा रोड, ठाकुर रोड, प्रताप गंज पारा भी इससे अछूते नहीं है।
रमैया वार्ड के रहवासियों ने कलेक्टर, निगम आयुक्त को शिकायतें नियमित रूप से की है, जनप्रतिनिधियों के भी ध्यान में हालातों को लाया जाता रहा है पर कोई कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है। स्थिति जस की तस रहने के कारण अब बलदेव स्टेट के लोगों ने सिटी कोतवाली में भी शिकायत की है।
आगे धरना प्रदर्शन की भी योजना बनाई जा रही है। वहां निवासरत श्री जय राम ने कहा कि एक बार वे पूरी स्थिति से प्रशासन को फिर से अवगत कराएंगे और निवेदन करेंगे कि ऐसी स्थिति से यहां के निवासियों को राहत दिलाए।
जनहित याचिका
दूसरी तरफ यहाँ के लोगों का कहना है कि यदि ये समस्या बनी रहती है तो आगे जन हित याचिका के साथ न्यायालय की शरण में जाएंगे इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है।
दुकानों और गौदाम की अनुमति नहीं
नियमतः रिहायसी इलाकों में दुकानें और गौदाम निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती, हां अलबत्ता छोटी और आवश्यक सेवा की चिल्हर दुकानें हो सकती है किंतु थोक दुकानों का निर्माण या संचालन नहीं किया जा सकता है । लेकिन दादाबाड़ी के पास तो बड़े बड़े शटर युक्त कॉम्प्लेक्सों का निर्माण हो गया है।
निगम अमला निष्क्रिय
निगम क्षेत्र में निर्माण की अनुमति और अनुमति के उपरांत स्वीकृति के आधार निर्माण की देखरेख निगम के जिम्मे है पर ये जिम्मेदारी निगम अमला पूरी नहीं कर रहा है जबकि मोहर्रिर टैक्स वसूली के लिए हर वार्डों के लिए नियुक्त किए गए हैं। इनकी जिम्मेदारी है कि ये निर्माण की स्थिति का भी ध्यान रखे।
दुर्घटनाओं को आमंत्रण
दादाबाड़ी के पास बने इन दुकानों और गौदामों में 10 से लेकर 16 चक्के के बड़े बड़े ट्रैकों का दिन भर आना जाना लगा रहता है, इन ट्रैकों के मुड़ने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है जिसके चलते बार बार आगे पीछे कर गाड़ियां निकाली जाती है, जहां किसी दिन बड़े हादसे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, यहां के बच्चे भी लगातार शिकायतें अपने पैरेंट से करते हैं, जिसका एक वीडियो भी पत्रिका के पास आया है।
याता यात अमला केवल चालान तक सीमित
यहां के रहवासी जब जाम की स्थिति निर्मित होती है तो याता यात विभाग के पास या 112 में शिकायतें भी करता है, अमला आता भी है पर वे सिर्फ यदा कदा चालान काट खाना पूर्ति करते है और कोई अधिकार उनके पास नहीं है कि बात कह मामलों को इसी हालात पर छोड़ चले जाते हैं।
स्कूल बसें भी जाम में फस जाती है
आने वाले समय में स्कूल बसों का भी संचालन होगा ऐसे में स्थिति और परेशानी की स्थिति निर्मित होगी इसको लेकर भी यहां के लोग परेशान दिख रहे हैं।