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चार किसानों ने खनन कंपनियों को अदालत में हराया…

इंपेक्ट डेस्क.

खनन कंपनियों के कारण अपनी आजीविका खो चुके चार किसानों ने एक ऐतिहासिक लड़ाई जीती है. अदालत ने ‘दुर्लभ फैसले’ में कंपनियों को सजा सुनाई है.संबलपुर के मनबोध बिस्वाल को उम्मीद है कि उनकी जमीन अब पहले जैसी उपजाऊ हो पाएगी और उन्हें सिंचाई के लिए प्रदूषित नहीं साफ पानी मिलेगा. बिस्वाल और उनके तीन साथियों ने कोर्ट में दो बड़ी निजी कंपनियों को हराकर एक ऐसी लड़ाई जीती है, जिसका असर उनके जैसे लाखों किसानों पर पड़ सकता है. इसी महीने नेशनल ग्रीन ट्राइब्न्यूनल ने हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और रायपुर एनर्जेन को तालाबिरा-1 कोयला ब्लॉक की सफाई के लिए 10 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है. यह ब्लॉक 2018 में बंद हो गया था. 65 साल के बिस्वाल कहते हैं, “हमारे चारों तरफ खदानें हैं जिन्होंने हमारी जमीन, हवा और पानी सब बर्बाद कर दिया है. 

इस लड़ाई को मैं दस साल से लड़ रहा हूं और आखिर उम्मीद की एक किरण नजर आई है कि जो थोड़ा बहुत बचा है उसे हम बचा पाएंगे और फिर से खेती कर पाएंगे” दोनों ही कंपनियों के वकीलों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किन इस फैसले के खिलाफ अपील करने पर विचार कर रहे हैं. मुकदमे के दौरान कंपनियों ने दलील दी थी कि उन्होंने खनन के दौरान सारे नियमों का पालन किया था.

दुर्लभ है फैसला भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है. हालांकि दुनियाभर में कोयले को अब बुरी नजर से देखा जाने लगा है और कई बड़े देश अपने यहां कोयले का इस्तेमाल बंद कर रहे हैं लेकिन भारत ने आने वाले कुछ दशकों तक कोयला उत्पदान और इस्तेमाल जारी रखने की बात कही है. एक तथ्य यह भी है कि 2008 से भारत में 123 कोयला खदानें बंद हुई हैं. लेकिन इन खदानों के बंद होने के बाद उन जगहों का पर्यावरण बेहतर हुआ या नहीं, इस बारे में कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है. बिस्वाल के वकील सौरभ शर्मा ने एनजीटी के फैसले को इन प्रभावित समुदायों के पुनर्स्थापन की दिशा में एक नए युग की शुरुआत बताया. शर्मा कहते हैं, “कंपनियों को इस तरह सजा मिलना बहुत दुर्लभ है. 

यह फैसला खदानों के इर्द-गिर्द रहने वाले समुदायों की समस्याओं को भी मान्यता देता है. हम उम्मीद करते हैं कि बिस्वाल और अन्य किसान अपने वातावरण और आजीविका के रूप में जो कुछ खनन के हाथों खो चुके हैं, उसका कुछ हिस्सा वापस पा सकेंगे.” विकास किसका हुआ? बिस्वाल का घर संबलपुर जिले में हैं जहां खनिज भरपूर मात्रा में हैं.

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