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फोर्ड के भारत छोड़ने से ‘मेक इन इंडिया’ को बड़ा झटका, 4 साल में तीसरी कंपनी का पलायन, 40 हजार लोगों पर होगा असर…

Impact desk.

अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड ने ऐलान किया है कि वह भारत में कार बनाना बंद कर देगी। गुरुवार को कंपनी ने कहा कि भारत के बाजार में उसकी एक स्थिर जगह बनाने की कोशिशें नाकाम हो गईं, जिसके बाद यह फैसला किया गया है। फोर्ड कंपनी अब भारत में कारें नहीं बनाएगी। भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि इससे पहले दो और कंपनियां ऐसा ही कर चुकी हैं।

पिछले साल हार्ली डेविडसन ने भी ऐसा ही फैसला किया था। 2017 में जनरल मोटर्स ने भारत छोड़ दिया था। फोर्ड ने कहा कि पिछले 10 साल में उसे दो अरब डॉलर से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। 2019 में उसकी 80 करोड़ डॉलर की संपत्ति बेकार हुई।

एक बयान में कंपनी के भारत में अध्यक्ष और महाप्रबंधक अनुराग मेहरोत्रा ने कहा, “हम लंबी अवधि में मुनाफा कमाने के लिए एक स्थिर रास्ता खोजने में नाकाम रहे।’ मेहरोत्रा की ओर जारी बयान में कहा गया कि कंपनी को उम्मीद है कि कंपनी के पुनर्गठन में करीब दो अरब डॉलर का खर्च आएगा। इसमें से 60 करोड़ तो इसी साल खर्च हो जाएंगे, जबकि अगले साल 12 अरब डॉलर का खर्च होगा। बाकी खर्च आने वाले सालों में होगा। 

फोर्ड ने भारत में बिक्री के लिए वाहन बनाना फौरन बंद कर दिया है। उसकी फैक्ट्री पश्चिमी गुजरात में है, जहां निर्यात के लिए कारें बनाई जाती हैं। फैक्ट्री का कामकाज साल के आखिर तक बंद कर दिया जाएगा। फोर्ड का इंजन बनाने वाली और कारों को असेंबल करने वाली फैक्ट्रियां चेन्नै में हैं, जिन्हें अगले साल की दूसरी तिमाही तक बंद कर दिया जाएगा।

इस कारण करीब चार हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। आईएचएस मार्किट नामक फर्म के असोसिएट डाइरेक्टर गौरव वंगाल ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, “कार निर्माण क्षेत्र के लिए यह बड़ा झटका है। भारत में कार बनाकर अमेरिका निर्यात करने वाली यह एकमात्र कंपनी थी। और वे ऐसे वक्त में जा रहे हैं जब हम (भारत) कार निर्माताओं को निर्माण के बदले लाभ देने पर विचार कर रहे हैं।

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