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एनएमडीसी द्वारा संचालित जावंगा पॉलिटेक्निक कॉलेज में साइंटिफिक इक्यूपमेंट की खरीदी में गड़बड़ी… कलेक्टर करवा रहे जांच!

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इम्पेक्ट न्यूज। दंतेवाड़ा/रायपुर।

दक्षिण बस्तर के प्रवेश द्वार जावंगा एजुकेशन सिटी में एनएमडीसी द्वारा पालि​टेक्निक कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। इस कॉलेज के लिए खरीदी किए गए साइंटिफिक इक्यूपमेंट में कई तरह की गड़बड़ियों की शिकायत है। यह खरीदी करीब 50 लाख रूपए की बताई जा रही है। रायपुर के सप्लायर द्वारा मनमाने दर पर गुणवत्ता विहिन सामग्री की सप्लाई की शिकायत है। मजेदार बात तो यह है कि इस मामले में पालिटेक्निक कॉलेज प्रबंधन अपना हाथ झाड़ रहा है। प्राचार्य कहते हैं ‘हमसे सामग्री की लिस्ट मांगी गई। हमने दी। लाइवलीहुड कॉलेज प्रबंधन ने सप्लाई करवाई है। सामग्री की कीमत और भुगतान को लेकर भी हमारी तरफ से कोई जिम्मेदारी नहीं है।’

इम्पेक्ट के साथ चर्चा में प्राचार्य श्री ठाकुर ने अपना पक्ष रखते हुए कई अभिलेख दिखाए जिसमें सामग्री के आने के पश्चात कमेटी द्वारा उसके परीक्षण और स्टाक में लेने को लेकर दस्तावेज शामिल थे। ऐसे किसी भी दस्तावेज के संबंध में इम्पेक्ट उसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करता है। पर यह जांच का विषय अवश्य है कि जिस सामग्री को स्टाक पंजी में दर्ज किया गया है उसकी गुणवत्ता और मेक संबंधी तथ्यों का परीक्षण किया गया है या नहीं।

इम्पेक्ट के पास मौजूद जानकारी के अनुसार पालिटेक्निक कॉलेज में प्रयोग करने हेतु कई ऐसे उपकरणों की सप्लाई की गई है जिसमें गुणवत्ता और कीमत को लेकर बड़ा अंतर है।

इस मामले की जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर दंतेवाडा को ट्विटर के माध्यम से अवगत कराया गया जिसमें उनके द्वारा जवाब में टीम द्वारा जांच करवाने की बात कही गई। इस संबंध में भी पालि​टेक्निक कॉलेज के प्राचार्य ने जानकारी ​दी की कलेक्टर दंतेवाड़ा द्वारा गठित टीम मामले की जांच करने पालिटेक्निक कॉलेज पहुंची थी। बहरहाल इस मामले में प्रशा​सनिक जांच कहां तक पहुंची है इसका विवरण हासिल नहीं हुआ है।

क्या है मामला?

एनएमडीसी प्रबंधन द्वारा संचालित पालिटेक्निक कॉलेज को प्रतिवर्ष कई तरह की राशि प्रदान की जाती है। जिसके व्यय के लिए पहले कॉलेज से जानकारी मांगी जाती है। कालेज प्रबंधन द्वारा अपनी जरूरत बताए जाने के बाद स्वीकृत राशि के आधार पर सामग्री सप्लाई के लिए टेंडर कॉल किया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा करने की जिम्मेदार आजीविका कॉलेज दंतेवाड़ा की होती है। जिसके संचालक के अनुसार सामग्री की जरूरत को ध्यान में रखकर शासकीय नियमानुसार खरीदी की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

सामग्री की खरीदी करने के बाद पालिटेक्निक कॉलेज में उसे भेजा जाता है। जहां सामग्री की गुणवत्ता और मात्रा के साथ प्रस्तुत की गई जरूरत के आधार पर लिस्टिंग की जाती है। जब कॉलेज प्रबंधन उसे अपने स्टाक में दर्ज कर लेता है और सामग्री प्राप्त होने की जानकारी आजीविका कॉलेज प्रबंधन को देता है तब उसके भुगतान की प्रक्रिया पूरी की जाती है।

पालि​टेक्निक कॉलेज जावंगा के लिए फिलहाल कथित विवादित खरीदी अगस्त 2021 में की गई है।

क्या है गड़बड़ी?

  • कॉलेज के लिए जिन सामग्री की सप्लाई की गई है उनमें से कई ऐसी हैं जिसमें मेक डिटेल तक दर्ज नहीं है। देखें सप्लाई किए गए सामग्री के कुछ सेंपल
  • प्रयोग के दौरान छात्रों के साथ किसी प्रकार की अनहोनी ना हो इसके लिए सामग्री में गुणवत्ता का परीक्षण अनिवार्य है जिसे पूरा नहीं किया गया है।
  • भुगतान के लिए जिस बिल को प्रस्तुत किया गया है उसमें सभी सामग्री को एक जीएसटी वैल्यू के आधार पर टोटल परचेस के साथ शामिल कर प्रस्तुत किया गया है जो कि असंभव है। देखें बिल
  • खरीदी की प्रक्रिया जेम के माध्यम से करवाने की बात कही गई है जबकि छत्तीसगढ़ शासन के स्पष्ट आदेश है कि शासकीय जरूरतों के लिए सामग्री खरीदी सीएसआईडीसी ई—मानक पोर्टल के माध्यम से करवाई जानी है। देखें आदेश
  • खरीदी की गई कई सामग्री की कीमत बाजार भाव से दस गुना तक बिल में दर्ज है। ऐसे में कीमतों का परीक्षण किया जाना चाहिए।
नेम प्लेट में मेक संबंधित जानकारी सफाई के साथ काटा गया है।
Regarding-Store-and-purchase-Rules-2002-GeM-Portal

क्या कहते हैं प्राचार्य

  • सवाल : सप्लाई की गई सामग्री की कीमतों को लेकर सवाल उठ रहे हैं?
  • ‘हमने पहले ही दंतेवाडा कलेक्टर को पत्र लिखकर जानकारी दे दी है कि प्रदाय की गई सामग्री के कीमतों का निर्धारण हमारे द्वारा नहीं किया गया है। इस संबंध में लाइवलीहुड प्रबंधक ही जानकारी दे सकते हैं।’
  • सवाल : ऐसी चर्चा है कि सामग्री सप्लाई के लिए मंत्री उमेश पटेल और कलेक्टर दंतेवाड़ा द्वारा दबाव डाला गया?
  • ऐसी बात नहीं है। हां कुछ लोग आते रहते हैं जो मंत्रियों के नाम का जिक्र कर हमसे आर्डर मांगते हैं। मैं ऐसे लोगों को साफ कहता हूं कि ऐसे दबाव में मैं नहीं आता। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से जुडे अपने परिवार की जानकारी व्यक्तिगत तौर पर दी। (जिसे में किसी भी तरह से धौंस के रूप में नहीं ले रहा हूं।)
  • सवाल : क्या मामले की जांच चल रही है?
  • हां, कलेक्टर महोदय द्वारा एक टीम गठित कर जांच के लिए भेजा गया था। आपके ​ट्विट के बाद रात को ही हमें उसकी जानकारी मिल गई थी।

सामग्री की खरीदी का भाव और बाजार भाव के संबंध में विस्तार से जानकारी जांच रिपोर्ट आने के बाद।

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