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DMF का हाल : दक्षिण बस्तर में एक शहर गीदम… डीएमएफ की साइट पर यहां एक ही दूरी के लिए दो गौरवपथ का हिसाब दर्ज! एक में काम प्रोग्रेस में दूसरे में कंपलिट…?

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इम्पेक्ट एक्सक्लूसिव। दंतेवाड़ा।

दक्षिण बस्तर हमेशा से अपनी विशेषताओं के लिए सुर्खियों में रहता है। इस जिले में एक दौर ऐसा भी था जब राजीव गांधी मिशन में मानदेय की राशि के अंग्रेजी को समझे बगैर डीपीसी ने हारमोनियम परचेस कर लिया था! इस जिले का निर्माण हुए 25 बरस पूरे हो चुके हैं। 1998 में बस्तर से पृथक अस्तित्व में आए इस जिले में प्रशासन के अजब—गजब तौर तरीके देखने को मिले। इस जिले में जावंगा एजुकेशन सिटी निर्माण के बाद एक बड़ी पहचान मिली। 

इससे सटे गीदम नगर पंचायत की बसाहट एनएच 63 पर है। जगदलपुर से बीजापुर जिला होते हुए तेलंगाना के हैदराबाद और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली तक पहुंचाने वाली यह सड़क अब आम आवागमन का माध्यम है। गीदम बस्ती की बसाहट मुख्य सड़क पर करीब तीन किलोमीटर तक है।

इस तीन किलोमीटर की सड़क पर दो बार डीएमएफ की राशि के खर्च का ब्यौरा डीएमएफ की साइट पर दर्ज है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि यह महज टंकन की त्रूटि हो। पर इसकी संभावना भी कम ही लगती है क्योंकि ब्यौरा और व्यय की गई राशि के आंकड़ों में फर्क साफ है।

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए के तहत छत्तीसगढ़ भौमिक और खनिकर्म विभाग को बीते 31 अगस्त को पत्र लिखने के बाद से छत्तीसगढ़ के कोरबा को छोड़कर सभी 32 जिलों में भारी हलचल रही। आनन फानन में रिकार्ड खंगाले गए और रिपोर्ट तैयार कर ईडी को भेजने की कवायद चलती रही। 

कोरबा जिले में डीएमएफ के बड़ी घोटाले की जांच अभी भी चल रही है। इसी आसरे पर ईडी ने अब पूरे प्रदेश के सभी जिलों से डीएमएफ के आंकड़ों का ब्यौरा तफ्सील से मंगाया है। इस ब्यौरे में हासिल राशि से लेकर व्यय की पूरी जानकारी तो मंगाई ही गई है साथ ही किन ठेकेदारों और सप्लायरों को भुगतान किया गया उनके खातों के डिटेल और पैन नंबर भी देने के लिए कहा गया है।

31 जुलाई के इस फरमान के बाद छत्तीसगढ़ की डीएमएफ साइट पर सभी जिलों के आंकड़े दनादन अपडेट किए गए। इसमें से कोरबा के बाद दंतेवाड़ा जिले के प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर थोड़ी सी छानबीन का नतीजा चौंकाने वाला सामने आया है। 

इम्पेक्ट ने पाया कि देखें स्क्रीन शॉट

इन तस्वीरों में साफ है कि एक ही काम के लिए डीएमएफ में एक ही श्रेणी में दो बार ब्यौरा दर्ज है। मजेदार बात तो यह है कि गीदम में वर्तमान में केवल एक ही गौरवपथ है जिसकी तस्वीर नीचे दी गई है। देखें तस्वीर

गीदम बस्ती से होकर बीजापुर जिला के भोपालपटन की ओर जाने वाले एनएच 63 में करीब 1.3 किलोमीटर गौरवपथ के लिए स्वीकृति और व्यय का विवरण डीएमएफ की साइट में दर्ज है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह केवल टंकण त्रूटि है या किसी बड़ी आर्थिक अनियमितता का संकेत। क्योंकि दोनों ही जगहों पर काम के ब्यौरे की भाषा बिल्कुल अलग है। जगदलपुर से भोपालपटनम मार्ग पर जावंगा के किलोमीटर का जिक्र समान है।

दोनों ब्यौरों में काम के लिए स्वीकृत राशि समान है। पर एक में काम पूर्ण दर्शा दिया गया है और दूसरे में कार्य प्रगति में दर्शाया गया है। जिसमें काम पूर्ण दर्शाया गया है उसके लिए 7.01 करोड़ रुपए व्यय का जिक्र है। जबकि दूसरा जिसमें काम प्रगति मे दर्शाया गया है उसके लिए अब तक 4.59 करोड़ रुपए व्यय का जिक्र है। 

दिए गए इस श्रेणीगत ब्यौरे में कहीं भी किसी भी काम के स्वीकृति और पूर्ण दिनांक का जिक्र नहीं किया गया है। साथ ही टेंडर के माध्यम से कार्य लिखकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली गई है।

इसी श्रेणी में एक और स्वीकृत कार्य संदेहों के घेरे में प्रतीत हो रहा है। अधोसंरचना विकास की श्रेणी में ही कार्य ब्यौरा क्रमांक 677 में जानकारी दी गई है कि मोखपाल से बड़ेगुडरा का चौड़ीकरण कार्य आरडी 28800 से आरडी 24800 के लिए स्वीकृत राशि 283.73 लाख रुपए है। इसके लिए निर्माण एजेंसी जिला निर्माण समिति को बनाया गया है। ठीक इससे पहले ब्यौरा क्रमांक 620 में कटेकल्याण मोखपाल वाया बड़ेगुडरा मार्ग का चौड़ीकरण स्वीकृत किया गया है। 

इसके लिए निर्माण एजेंसी जिला निर्माण समिति के अधीन छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण को तय किया गया है। इस कार्य के लिए स्वीकृत राशि 507.23 लाख रुपए है। मजेदार बात तो यह है कि काम कटेकल्याण से बड़ेगुडरा होते मोखपाल मार्ग का हो या मोखपाल से बड़ेगुडरा है तो एक ही रास्ता। इसमें एक ही जगह के लिए दो दिशाओं से पृथक काम स्वीकृत करने का ब्यौरा भी संभवत: लिपकीय त्रूटि ही हो।

बड़ी बात तो यही है कि इतनी बड़ी लिपकीय त्रूटि यदि है तो उसके साथ डीएमएफ की साइट पर इसे अपडेट करने से पहले क्या गंभीरता की कमी दिखाई गई। यदि यही जानकारी ईडी को भी दे दी गई है तो संभव है आम जनता भले ही गलती जानने में चूक कर जाए पर ईडी जैसी जांच एजेंसी क्या ऐसी चूक कर सकती है।

दरअसल डीएमएफ की साइट पर काम का ब्यौरा पहली बार अपडेट होने से आम लोगों को कम से कम यह तो पता चल रहा है कि जिले में कुल कितनी राशि आई है और कहां—कहां राशि किन—किन विकास कार्यों के लिए व्यय की जा रही है।

इस संबंध में दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर सह जिला खनिज न्यास के अध्यक्ष विनीत नंदनवार से बात करने की कोशिश सुबह से की गई पर उनसे संबंध स्थापित नहीं हो सका। उनके द्वारा प्रेषित एसएमएस में उनके मोबाइल से बात नहीं हो पाने की जानकारी दी गई। इसलिए उनका पक्ष लिया नहीं जा सका।

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