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दंतेवाड़ा जिला जहां ‘DMF’ से ‘विकास’ का मतलब ‘DOVLOPMENT’ नहीं… ‘CREATED’ के ‘NEW RECREATION’ की प्रक्रिया है…!

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सुरेश महापात्र।

सरकारी विज्ञप्ति से पता चला कि दंतेवाड़ा जिले में यत्र—तत्र सवत्र चल रहे विभिन्न निर्माण कार्यों की लागत 495.90 करोड़ है। इस लागत के 250 कार्य या तो प्र​गति पर हैं या पूरे होकर लो​कार्पित होने के लिए तैयार हैं। दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ यानी जिला खनिज न्यास की सबसे ज्यादा राशि हासिल होती है। इस राशि से हर बरस कोई अफसर कुछ नया करने के चक्कर में कई पुराने निर्माण को लील लेता है। पब्लिक ऐसी है कि उसे तालियां बजाने का शौक है।

नेता ऐसे हैं जिन्हें गाल बजाने में मजा आता है। और हालात ऐसे हैं जैसा मुंशी प्रेम चंद की कहानी कफ़न में दर्ज है। यहां ‘कफ़न’ कहानी के किरदार अफसर के भेष में ही आते हैं। नेता और जनता तो उन अफसरों को उनकी मर्जीं पर छोड़कर ‘विकास’ के लिए ‘DMF’ थमा देती है। आप समझ ही रहे होंगे कि सारा तमाशा क्या है? दरअसल दंतेवाड़ा जिला में ‘DMF’ से ‘विकास’ का मतलब ‘DOVLOPMENT’ नहीं… ‘CREATED’ के ‘NEW RECREATION’ की प्रक्रिया है…!

आपको एक मजे की बात बताता हूं दंतेवाड़ा जिले में यदि सिस्टम क्रमबद्ध विकास के लिए योजना तैयार करे तो हर बरस मिलने वाली राशि से हम अयोध्या जैसा चकमक कर सकते हैं। हिस्सेदारी की लूट में सारा पैसा कहां से कैसे निकलता है और कहां चला जाता है इसे ना तो पूछने की फुर्सत किसी के पास है और ना ही हिसाब देने की स्थिति।

आप बीते छह महीने के सारे अखबारों के कतरन तलाश लीजिए उसमें देखने की कोशिश कीजिए कि कहीं से यह आंकड़ा और ऐसे कामों का ब्यौरा आपको देखना नसीब हो जाए। किसी से पूछने की जहमत और हिम्मत का सवाल ही नहीं है।

टेंडर के मामले में सुपरिटेंडेंट से कौन पूछे जैसा हाल है। सिस्टम का टेरर इस कदर है कि एसओआर में नहीं होने वाले सामन का भी टेंडर तीन लोगों के भूगोल में हो गया है। आप किसी भी अफसर से दिल खोलकर बात करने की पूछिए तो बस यही जवाब मिलेगा कि ‘आप तो जानते ही हैं!’ जब तक सूचना के अधिकार से बात बाहर निकलकर आएगी तब तक सब साफ हो चुका होगा यह तय है। कागज के टुकड़े बांचने वाली एजेंसियों को भी कुछ हासिल नहीं होगा।

उम्मीद थी कि जो भी निर्माण कार्य संचालित हो रहे हैं उनका लोकार्पण छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ही करेंगे पर आधे—अधूरे निर्माण का लोकार्पण तो कल्पना से परे ही रहा। काश सरकारी विज्ञप्ति में इन कार्यों के लिए भूमिपूजन शब्द का इस्तेमाल कर लिया गया होता।

माता दंतेश्वरी की धरा में नेता, मीडिया के कई टुकड़े हैं हर टुकड़े की अपनी कहानी, अपनी समझ कोई किसी की समझ को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। रही बात मुख्यमंत्री की चाहे रमन हों या भूपेश सिस्टम की पूरी हकीकत तो शायद नहीं पहुंचाने का सिस्टम पहले से ही तय है। एक समय था जब डा. रमन के पास जिले की गड़बड़ियों की शिकायत करने भाजपा के नेता पहुंचते तो अफसरों को अंदर कौन क्या कह रहा था इस तक की खबर होती थी। शिकायत करके निकलते ही अफसर का नेताओं को फोन जाता और कहता कि तो फलां ने फलां—फलां बात कही है। कोई बात नहीं आप लोग वापस तो आएंगे ही… अब सोचिए क्या हालत होती होगी उन नेताओं की?

कांग्रेस की सरकार में खेल दूसरे तरह का है। बाहर से लगता है अफसर सिस्टम के मुखिया से बेइंतहा डरता है। शिकायत करने पहुंचने वाले नेताओं की खेप के पीछे नेताओं का दूसरा समूह काट तलाशने राजधानी में डेरा जमा लेता है। इससे पहले कि स्थानीय नेतृत्व की शिकायत पहुंचे वहां उसी की सारी कही—अनकही महिमा का गान हो जाता है। तो एंपायर बैट्समैन को संदेह का लाभ देकर नाट आउट घोषित कर ​देता है। थर्ड एंपायर तक किसी की पहुंच नहीं है।

आज जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिलेवासियों को 495.90 करोड़ लागत के 250 कार्यों की सौगातें दी है। जारी सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि ‘उन्होंने आज मुख्यमंत्री निवास रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में उक्त कार्यों का वर्चुअल लोकार्पण शिलान्यास किया।’ जिनमें लोकार्पण-106, भूमिपूजन- 144 शामिल थे। लोकार्पण एवं भूमि पूजन के कुल कार्यों की संख्या 250 बताई गई है।

इस वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से जिलेवासियों को कई सौगातें दी। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ये वर्चुअल कार्यक्रम करने का निर्णय आने वाले दिनों में लगने वाले आचार संहिता देखते हुए लिया गया है। ताकि आने वाले दिनों में कोई बाधा ना आये और इतने कम समय में सभी जिलों तक पहुँचना संभव नहीं है इसलिए इस वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से लोकार्पण, भूमिपूजन और शिलान्यास किया गया।

मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित कार्यों में विकासखण्ड दंतेवाड़ा अंतर्गत

  • माँ दंतेश्वरी कॉरीडोर एवं रिवर फ्रंट लागत राशि रू 4330.916 लाख, वर्तमान स्थिति महज 30 प्रतिशत काम।
  • माँ दंतेश्वरी मंदिर परिसर में ज्योति कलश भवन लागत राशि रू 801.96 लाख, 50 प्रतिशत काम।
  • एकता परिसर लागत राशि रू 430.38 लाख, अपूर्ण हालत।
  • हर्बल गार्डन दंतेवाड़ा लागत राशि रु 403.39 लाख, हालत का पता नहीं।
  • मुक्तिधाम दंतेवाड़ा लागत राशि रु 302.47 लाख, नींव तक का काम।
  • महतारी सरोवर चितालंका लागत राशि रू 195.83 लाख, अभी तो खुदाई शुरू हुई है।
  • आदिवासी संग्रहालय लागत राशि रू 164.37 लाख, अपूर्ण हालत।
  • ग्रंथालय लागत राशि रू 108.99 लाख, अपूर्ण।
  • प्रवेश द्वार लागत राशि 96.00, अपूर्ण।
  • माँ दंतेश्वरी हाईस्कूल मैदान निर्माण लागत राशि रु 82.01 लाख, नहीं पता।
  • पर्यटन सूचना केंद्र लागत राशि 261.15 लाख, नहीं पता।

विकासखंड गीदम के अंतर्गत जो काम सरकारी विज्ञिप्ति में बताए गए हैं। उनमें सबसे बड़ा तो 317 करोड़ की लागत से स्वामी आत्मानंद हिंदी ​मीडियम स्कूल के विकास पर खर्च होना बताया जा रहा है। इसके अलावा नागफनी मंदिर विकास लागत राशि रू 127.07 लाख और बारसूर प्रवेश द्वार लागत राशि रु 68.07 लाख का उल्लेख है।

विकासखंड कटेकल्याण के अन्तर्गत ग्राम पंचायत बड़े लखापाल, गुमियापाल और परवेली में विद्युतीकरण लागत राशि रु 668.839 लाख, ग्रामीण अंचल मे सोलर स्ट्रीट लाईट स्थापना लागत राशि रू105.33 लाख के कार्योंं का जिक्र है। इनका भूमिपूजन हुआ है या लोकापर्ण जिक्र नहीं है।

कहने का आशय यही है कि यदि सीएम स्वयं मौके पर पहुंचते तो हो सकता है कुछ नए तथ्य और विकास की झलक को आचार संहिता से पहले देख पाते साथ ही वे यह भी तय कर पाते कि किन कार्यों का भूमि पूजन किया जाना उचित होगा और किनका लोकार्पण। विकास का झुनझुना पकड़ाने के चक्कर में ही बस्तर में जोगी के बाद रमन की बिसात बरबाद हो गई। माईंजी की धरा के नाम पर यदि कोई भी किसी भी स्तर पर नैतिकता का लबादा ओढ़कर अनैतिकता का कार्य करेगा तो उम्मीद तो हमे भी माईंजी से ही है कि उसका हिसाब वे स्वयं ले लें…। इस नश्वर संसार में हम जैसे अदनों की हालत ऐसी नहीं है कि गलत को गलत भी बोल बता सकें! जय मां दंतेश्वरी…

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