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पिछले 6 सालों से कपड़े की इस दुकान पर सेठ के बजाए गद्दी पर बैठते हैं गाय-बछड़ा… आने का समय तय…

इम्पैक्ट डेस्क.

मंदसौर. मध्यप्रदेश के मंदसौर में कपड़े की एक ऐसी दुकान है जो कपड़े के लिए नहीं बल्कि एक गाय के कारण चर्चा में है. भला आप सोच सकते हैं कि कपड़े की दुकान में गाय की चर्चा क्यों ? ये खबर पढ़िए और जानिए कि ऐसा क्यों है.

मध्यप्रदेश के मंदसौर में धान मंडी इलाके में एक कपड़े की दुकान है. इसका नाम है पोरवाल नानालाल मांगीलाल. यह दुकान करीब 60 से 70 साल पुरानी है. दुकान वैसे तो कपड़े की दुकान के नाम से कई साल से जानी जाती है लेकिन पिछले कई दिनों से यह दुकान एक गाय को लेकर चर्चा में है.

पिछले 6 साल से एक गाय इस दुकान के अंदर आती है और सेठ जी की गादी के पास ही बैठ जाती है. यहां पर दुकानदार उसे चारा डालते हैं और गाय चारा खाने के बाद यहीं पर बैठ जाती है. और जब उसकी मर्जी होती है चली जाती है.

गाय के दुकान पर आने का दिन तय है. वो रोज दोपहर 12:00 यहां आती है और आकर चारा खाती है. चारा खाने के बाद सेठ जी के पास ही गद्दे पर बैठ जाती है. कई बार गाय के साथ तो बछड़ा भी आता है और बछड़ा भी गाय के साथ गादी पर बैठता है.

दुकानदार संजय पोरवाल ने बताया यह गाय 6 साल पहले जब छोटी थी तभी से यहां पर नियमित रूप से आ रही है. हम इसे चारा डालते थे और चारा खाने के बाद यह दुकान के अंदर ही बैठ जाती थी. तब से आज तक यह प्रतिदिन दोपहर 12:00 बजे आती है और चारा खाने के बाद दुकान के अंदर ही बैठती है.

यहां आने वाले ग्राहकों को भी अटपटा नहीं लगता है. उन्हें यहां इस गाय को देखने की आदत हो गयी है. अक्सर यहां आने वाले दुकानदार जिसमें महिलाएं भी शामिल होती हैं. बेधड़क दुकान के अंदर आती है और खरीददारी करके लौट जाती हैं. गाय ना तो उन्हें मारती है ना किसी ग्राहक को अंदर आने से रोकती है. यहां आने वाले नियमित ग्राहक और आसपास के लोग तो दुकान के अंदर गाय को बैठा देखने के आदी हो गए हैं.

सनातन धर्म से जुड़े एक व्यक्ति जब यहां पर आए और उन्होंने देखा कि एक गाय दुकान के अंदर बैठी है चारा खा रही है तो उन्होंने कहा अच्छा है गौ सेवा करना अच्छी बात है. यह भी अच्छी बात है कि गाय के चरण इस दुकान में पड़ते हैं और इनको गौ सेवा करने का अवसर मिल रहा है. गाय लक्ष्मी का स्वरूप होती है.

हिंदू धर्म में ऐसी आस्था है कि गाय में 33 करोड़ देवता निवास करते हैं. गाय का मूत्र और गोबर भी पवित्र माना जाता है. ऐसे में इस दुकान के अंदर आने वाली गाय और इसकी सेवा से लगता है इंसान हो या पशु अगर प्रेम है तो सब कुछ संभव है.

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