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नोटबंदी और लॉकडाउन की तरह शराबबंदी नहीं करेगी सरकार: कांग्रेस

जगदलपुर।

शराब बेचने का विरोध कर रही भाजपा को पहले बताना चाहिए कि अपने चुनावी घोषणा पत्रों में वादा करने का बावजूद उसने शराब बंदी करने की जगह शराब को बढ़ावा क्यों दिया? रमन सिंह की सरकार ने शराब बंदी करने की जगह उल्टे शराब का सरकारीकरण कर दिया और शराबबंदी की ओर कोई ठोस क़दम नहीं उठाया. उक्त बातें जारी बयान में प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कही है।

pcc प्रवक्ता ने कहा है कि भाजपा की सरकार ने 2011 में राज्य में शराबबंदी लागू करने के लिए कहा था,कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी राज्य में बीयर-बार और शराब बिक्री को बंद करने के बजाय इसमें और बढ़ोत्तरी हो गई।

राज्य की कांग्रेस सरकार समझती है कि शराब बंदी करना आवश्यक है लेकिन जैसा कि सरकार ने कहा है कि शराब बंदी का क़दम नोटबंदी की तरह या लॉक डाउन की तरह बिना सोचे समझे नहीं उठाया जाएगा। शराबबंदी के लिए तीन तरह की कमेटियां गठित की गई है। राजनैतिक स्तर की कमेटी में भाजपा के पदाधिकारियों को भी शामिल किया गया है।

इस कमेटी की बैठक में भाजपा के पदाधिकारी आते ही नहीं है।  इस से ही स्पष्ट है कि भाजपा शराबबंदी पर अपने 15 वर्ष के शासनकाल में भी राजनीति करती रही और अभी भी राजनीति ही कर रही है। भाजपा को जनहित से कोई लेना देना नहीं है। सामाजिक स्तर और प्रशासनिक स्तर पर भी कमेटी का गठन किया गया है। इन कमेटियों के अनुशंसा के आधार पर ही राज्य सरकार निर्णय लेगी।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि जहां तक कोरोना संकट के समय शराब दुकानें खोलने का सवाल है तो छत्तीसगढ़ राज्य में शराब दुकानों को केन्द्र सरकार द्वारा एक मई को जारी किए गए आदेश-निर्देश के बाद ही शुरू किया गया है।तो भाजपा नेताओं को शराब बेचने के फ़ैसले के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से पूछना चाहिए।भाजपा नेताओं को चाहिए कि पहले वे भाजपा शासित राज्यों में शराब दुकानें बंद करने की घोषणा करवाएं उसके बाद ही कांग्रेस सरकार पर आरोप प्रत्यारोप करें।

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