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त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे CM भूपेश… जानें अमित जोगी के पाटन से नामांकन भरने के क्या हैं मायने…

इम्पैक्ट डेस्क.

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (जेसीसीजे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की पाटन विधानसभा सीट से सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया है। ऐसे में पाटन की वीआईपी हाई प्रोफाइल सीट पर चुनावी लड़ाई काफी रोचक हो गई है। वहां पर अब कांटे की टक्कर होगी। पाटन से चाचा-भतीजा (दुर्ग सांसद विजय बघेल और सीएम भूपेश बघेल) के चुनावी मुकाबले के बीच अमित जोगी के आने से वहां पर अब चुनाव त्रिकोणीय हो चुका है। जनता कांग्रेस के मुखिया अमित जोगी ने नामांकन दाखिल कर इस सीट के मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। इससे ये पहले खबर आ रही थी कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे अपने पार्टी के प्रत्याशियों के लिए ही चुनाव प्रचार-प्रसार करेंगे, उन्होंने खुद चुनाव लड़ने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी थी। अब उनके पाटन से नामांकन दाखिल करते ही प्रदेश की सियासत गरमा गई है। राजनीतिक गलियारे तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

अमित ने किया ट्वीट
इसी बीच अमित जेगी ने ट्वीट कर लिखा कि ” मैंने पाटन से आज अपना नामांकन भरा है। ये चुनाव ‘भूपेश’ नही ‘भ्रष्टाचार’ के विरुद्ध है। यह एक ताकतवर दाऊ ‘परिवार’ बनाम पाटन के गरीब, अनुसूचित जाति-जनजाति, अति पिछड़ा वर्गों के ‘अधिकार’ का चुनाव है। मैं तो केवल चेहरा हूं, प्रत्याशी तो पाटनवासी हैं, प्रत्याशी तो पीएससी घोटाला पीड़ित हैं, आवास पीड़ित हैं, वादाखिलाफी पीड़ित हैं, नियमितीकरण पीड़ित हैं, शराबबंदी पीड़ित हैं। मैं तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध, इन सभी पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। मेरे पास ‘सेफ’ सीट से जीतने के तीन विधानसभाओं के विकल्प थे, मैं दो सीटों से भी लड़ सकता था लेकिन मैंने अकेले पाटन से ही लड़ने का निर्णय पाटनवासियों के कहने पर लिया है। मैंने पिछले एक महीने में पाटन विधानसभा क्षेत्र में तीन बड़ी सभाएं की हैं। मेरे आने के बाद, पाटन में पहली बार चुनाव होगा, अभी तक तो एक ही परिवार के चाचा-भतीजा की सेटिंग होती आयी है, चुनाव तो अब होगा।” 

किसको हो सकता है नफा-नुकसान
पाटन विधानसभा सीट का सियासी समीकरण देखा जाए तो अमित जोगी की यहां से चुनाव लड़ने पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। अमित जोगी के इस रणनीति के पीछे बहुत बड़े मायने हैं। वो चाहते तो मरवाही, कोटा या अन्य जगह से भी चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन वो पाटन से चुनाव लड़ने का फैसला कर राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरने का काम किया है। ऐसे में यहां से कांग्रेस को नुकसान और बीजेपी को फायदा मिल सकता है। कांग्रेस के वोट बैंक प्रभावित होंगे। क्योंकि जोगी के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के वोटर्स बंट जाएंगे जबकि बीजेपी को नुकसान कम फायदा ज्यादा हो सकता है। जेसीसीजे सीएम भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार की सीटों को कम करने की रणनीति के तहत काम कर रही है। पार्टी सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचा सकती है। कांग्रेस शुरू से ही आरोप लगा रही है कि जेसीसीजे बीजेपी की बी टीम के रूप में काम कर रही है। एक बार फिर उन्हें ऐसा कहने का अवसर मिल गया है।

एक समय कांग्रेस में विलय होना चाहती थी पार्टी
अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी पार्टी कांग्रेस में विलय करना चाहती थी। अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने कांग्रेस हाईकमान से इस बारे में बात की थी। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चाएं थीं कि सोनिया गांधी की तरफ से सहमति भी मिल गई थी। कांग्रेस हाईकमान के राजी हो जाने के बाद भी स्टेट लीडरशिप ने इस विलय को नहीं होने दिया था। इसके पीछे की वजह अमित जोगी बताए जाते हैं। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पार्टी किसी भी हालत में अमित जोगी को कांग्रेस में शामिल नहीं करना चाहती थी। कयास ये भी कि अमित अब वही निजी बदला भूपेश से चुनावों में लेना चाहते हैं। अजीत जोगी के अलग पार्टी बना लेने के बाद रेणु जोगी लंबे समय तक कांग्रेस में बनी रहीं थीं। वह अपने रिश्ते गांधी परिवार से मानती रही हैं। 

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