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छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग को मिला स्कोच अवार्ड…

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इम्पेक्ट न्यूज़। रायपुर।

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग को एक बार पुनः अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार लेने का अवसर प्राप्त हुआ है. यह स्कोच अवार्ड हाल ही में कड़ी प्रतियोगता के बाद राज्य में समग्र शिक्षा द्वारा संचालित “अंगना म शिक्षा” कार्यक्रम के लिए प्राप्त हुआ है. यह पूरा कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की महिला शिक्षिकाओं के समूह द्वारा संचालित किया जा रहा है. इस वर्ष इस कार्यक्रम का तीसरा वर्ष होगा और प्रतिवर्ष इसमें महिला नेतृत्व द्वारा कुछ नया डिजाइन शामिल किया जाता है. राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी एवं शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंग टेकाम जी ने इस अवार्ड के लिए विभाग एवं राज्य की शिक्षिकाओं को बहुत बहुत बधाई दी है. 

SKOCH अवार्ड एक स्वतंत्र संगठन द्वारा प्रदत्त देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो लोगों, परियोजनाओं और संस्थानों की पहचान करता है जो भारत को एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करते है. इसे 2003 में स्थापित किया गया था. यह डिजिटल, वित्तीय और सामाजिक समावेश के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रयासों को शामिल करता है. 

कोरोना के समय जब स्कूल शिक्षा विभाग का पूरा अमला बच्चों की पढाई को जारी रखने के लिए निरंतर प्रयासरत था और शिक्षकों को इस कार्य के लिए प्रोत्साहित करते हुए नए नए तरीकों से बच्चों की पढाई को जारी रखने की कोशिशें जारी रखी जा रही थी, उसी समय राज्य के कुछ महिला शिक्षिकाओं ने इस राज्यव्यापी कार्यक्रम “पढ़ई तुंहर दुआर” में अपने योगदान का प्रस्ताव रखा. उन्होंने माताओं को प्रशिक्षित कर उनके माध्यम से घर पर रहते हुए ही बच्चों को सिखाने के प्रयास को “अंगना म शिक्षा” के रूप में प्रारंभ किया. 

अंगना म शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से माताओं में अपने बच्चों की पढाई के प्रति अलख  जगाने में सफलता पाई गयी. माताओं एवं छोटे बच्चों को गाँव-गाँव में मेलों का आयोजन कर आमंत्रित किया गया. मेले में माताओं को बच्चों को घर में उपलब्ध सामग्री जैसे बर्तन, सब्जी, फल, कपडे आदि का उपयोग कर कैसे सिखाया जाए, इस पर कार्य किया गया. 

ग्राम स्तर पर बेहतर कार्य कर रहे माताओं को स्मार्ट माता के रूप में चयन किया जाता है और उन्हें सम्मानित किया जाता है. स्मार्ट माता अन्य माताओं को भी इस कार्यक्रम के जोड़े रखने एवं सीखने में सहयोग के साथ-साथ समय समय पर बालवाडी एवं प्राथमिक शालाओं में जाकर बच्चों की शिक्षा में सहयोग एवं शिक्षकों से अपने बच्चों के सीखने की स्थिति के बारे में जानकारी लेने का कार्य भी करती हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से माताओं में बच्चों को घर पर पढ़ाने की संस्कृति विकसित करने में सफलता मिली है. 

बच्चों ने जो कुछ सीखा, उसे रिपोर्ट कार्ड के बदले एक सपोर्ट कार्ड डिजाइन कर माताओं के हस्ताक्षर से माताओं द्वारा अपने बच्चों के शिक्षकों को देना सुनिश्चित किया गया. माताओं को बहुत आसान तरीकों से सरल चिन्ह्नों का उपयोग कर बच्चों की विभिन्न दक्षताओं में स्थिति को दर्शाने का प्रयास किया गया. शिक्षिकाओं के समूहों द्वारा संकुल, विकासखंड, जिले एवं राज्य स्तर पर कोर ग्रुप के माध्यम से पूरे कार्यक्रम की मानिटरिंग की व्यवस्था की गयी. इस पूरे कार्यक्रम में अकादमिक एवं तकनीकी समर्थन प्रथम संस्था के माध्यम से आयोजित किया गया.

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