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भूपेश सरकार के खिलाफ BJP का अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त… 13 घंटे बहस के बाद ध्वनि मत से फैसला…

इम्पैक्ट डेस्क.

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के खिलाफ विधानसभा में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। सदन में तीखी बहस के बीच रात 1.30 बजे अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से नामंजूर हो गया। अविश्वास प्रस्ताव में विपक्षी विधायकों ने सरकार पर मुख्य रूप से वादा खिलाफी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। जवाब में मुख्यमंत्री व मंत्रियों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आम जनता की बेहतरी के लिए सरकार काम कर रही है। सरकार की योजनाओं आम जनता तक पहुंच रही है। आरोप और हंगामा के बीच विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है और इसी के साथ छत्तीसगढ़ विधानसभा का मॉनसून सत्र खत्म हो गया। 
 
विधानसभा में विपक्ष ने धान खरीदी, भ्रष्टाचार, बिजली की दर में बढ़ोतरी, प्रदेश में बढ़ती अपराध की घटनाओं, नक्सलवाद, गोठान, कर्मचारी संगठनों के प्रदर्शन, कर्मचारियों के नियमितीकरण, घोषणा पत्र के वादों सहित कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरा। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस भी हुई। सत्ता पक्ष के जवान से असंतुष्ट विधायक सदन से वाकआउट भी करते रहे। नेशनल हेराल्ड केस, धर्मांतरण, संसदीय प्रक्रियाओं, कई राज्यों में भाजपा द्वारा सरकार गिराए जाने पर भी हंगामा हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वास, विकास और सुरक्षा देने वाली यह सरकार है। 13 घंटे की चर्चा के बाद अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के पास 71, भाजपा के पास 14, बसपा के 2 और जेसीसीजे के 3 विधायक हैं। 

निराशाजनक उनका अविश्वास प्रस्ताव: भूपेश 
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि विपक्ष केवल अपने धर्म का निर्वहन कर रहा है। उन्हें मिले अधिकार के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। कोई मुद्दा और तथ्य उनके पास नहीं थे। विधानसभा में पहले प्रश्न, ध्यानाकर्षण व स्थगन के माध्यम से आए मुद्दों पर कहते रहे। कोई नया तथ्य सामने नहीं आया। बहुत लचर व निराशाजनक उनका अविश्वास प्रस्ताव रहा। सत्ता पक्ष के मंत्रियों व विधायकों ने दमदारी से बात रखी। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान शासन की योजनाओं को हम बताने में सफल रहे। छत्तीसगढ़ की सरकार ने गांव, गरीब और किसान सहित सभी मुद्दों पर बेहतर काम किया है।

आरोपों का जवाब नहीं दे पाए सीएम: कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि यह पहले से मालूम था कि संख्या बल हमारे पास नहीं है। साढ़े 3 साल में सरकार की कारगुजारियों पर चर्चा करना जरूरी है। जनता के सामने सरकार का विश्वास खत्म हुआ है। हमने जो आरोप लगाए उसका जवाब सीएम व मंत्री नहीं दे सके। हाउस के अंदर वादों की याद दिलाई। भ्रष्टाचार का मामला आंकड़ों के साथ रखा। हमारे साथियों ने अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बात रखी। चर्चा करने पर हमारे सदस्य कभी पीछे नहीं हटे। डेढ़ बजे रात को अविश्वास प्रस्ताव का दौर खत्म हुआ। भाजपा विधायकों द्वारा भूपेश सरकार को कटघरे में खड़ा करने में हम सफल भी रहे। 

घोषणापत्र के वादे अधूरे, प्रदेश का विकास ठप
सदन में भाजपा के विधायकों ने सरकार पर खोखले वादों और खोखली नीति पर चलने की बात कही। सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है। सरकार में आने के पहले जारी किए गए जनघोषणा पत्र के वादों को सरकार ने नहीं निभाया। जिन वादों के बल पर ये सरकार आई बमुश्किल से छह घोषणाओं को आधा अधूरा लागू किया है। दुर्भाग्य की बात है कि घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष सदन में नहीं है। विपक्ष ने कहा प्रदेश में अराजकता की स्थिति है। अपराध बढ़ रहे हैं। सरकार के पास पैसे नहीं है। प्रदेश का विकास ठप है। इस पर सत्ता पक्ष ने कहा कि विश्वास, विकास और सुरक्षा देने वाली सरकार है।

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