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दंतेवाड़ा जिले में करीब ढाई करोड़ के निर्माण कार्य की विवादित निविदा को लेकर बड़ा खुलासा… केवल निविदा पत्र बना… विज्ञापन नहीं छपा… और लीक हो गया पत्र

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इम्पेक्ट न्यूज। दंतेवाड़ा।

दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ के मद से किए जा रहे निर्माण कार्यों को लेकर एक बार फिर विवाद की स्थिति खड़ी हो गई है। इस बार मसला और भी अजब—गजब है। भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष चैतराम अटामी ने पांच जनवरी को एक बयान जारी कर आदिम जाति कल्याण विकास विभाग पर गंभीर आरोप लगाया कि जिले के चार #स्वामी आत्मानंद विद्यालयों के निर्माण व मरम्मत के लिए करीब ढाई करोड़ की निविदा जारी की गई और गोपनीय तरीके से काम बांट दिया गया।

इस मामले के तूल पकड़ने के साथ ही दंतेवाड़ा जिला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। राजनीतिक तौर पर दंतेवाड़ा जिले में अमूमन सभी राजनीतिक दलों में ठेकेदारों और सप्लायरों की दखल है। जिसका नतीजा यही रहता है कि अक्सर ठेके में काम के बंटवारे को लेकर विवाद खड़ा होता रहता है।

दंतेवाड़ा जिले में करीब दो सौ करोड़ रुपए का डीएमएफ मद विवाद की सबसे बड़ी वजह बनता रहा है। यहां पहले एनएमडीसी के सीएसआर के माध्यम से मिलने वाली राशि को लेकर तमाशा बनता रहा अब यही तमाशा डीएमएफ मद के व्यय को लेकर रहता है। डीएमएफ की संपूर्ण जिम्मेदारी सैद्धांतिक तौर पर जिला कलेक्टर के पास होने के कारण राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए जिला कलेक्टर की भूमिका स्पष्टतौर पर समझी जा सकती है।

दंतेवाड़ा जिले में जिला कलेक्टर के तौर पर विनीत नंदनवार की पदस्थापना के बाद यह सबसे बड़ा मामला है जिसे लेकर सार्वजनिक तौर पर काम के ठेके को लेकर बहस सड़क पर आ गई है। जिले में डीएमएफ मद से अब तक करीब सौ करोड़ रुपए के विभि​न्न निर्माण कार्यों को लेकर चर्चा है। यहां इस बात को लेकर जिला प्रशासन को घेरने की कोशिश भी की जा रही है कि हाल में निर्मित शाला भवनों में रंगाई, पोताई और सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपए खपत किए जा रहे हैं।

भाजपा के नेता ने इम्पेक्ट से चर्चा में साफ कहा कि ‘स्वामी आत्मानंद विद्यालय के मरम्मत व नि​र्माण के नाम पर होड़ मची है। अमूमन एक स्कूल में करीब पचास लाख रुपए व्यय किए जा रहे हैं। वहीं सड़क, पुल, पुलिया जैसी बुनियादी जरूरतों पर किसी का ध्यान ही नहीं है।’

भाजपा नेता का आरोप है कि जिले में साफ दिखाई दे रहा है कि जिला प्रशासन के मुखिया के इशारे पर काम के बंदरबाट का खेल चल रहा है। इसमें भारी कमीशनखोरी भी हो रही है।

हाल ही में भाजपा जिलाध्यक्ष चैतराम अटामी ने स्वामी आत्मानंद विद्यालय भाँसी, बारसूर, भोगाम एव ́धनीकरका के मरम्मत / निर्माण कार्य कराये जाने हेतु निविदा क्रमांक 2183 को निरस्त करने की मांग की।

श्री अटामी का आरोप है कि निविदा विक्रय की अंतिम तिथि 30 दिसंबर 2022 और निविदा जमा एव ́खोलने की तिथि 03 जनवरी 2023 सुनिश्चित करते हुए ट्राइबल विभाग द्वारा कार्यालय कलेक्टर जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के नाम से जिले के स्वामी आत्मानंद हिंदी मीडियम स्कूल भोगाम मे ́मर्मत/ निर्माण कार्य कराये जाने हेतु 44.47 लाख, स्वामी आत्मानंद हिंदी मीडियम स्कूल हाई सेके ́डरी बारसूर मै ́मरम्मत /निर्माण कार्य कराए जाने हेतु 68.46 लाख, स्वामी आत्मानंद हिंदी मीडियम हाई सेके ́डरी स्कूल भाँसी मे ́मरम्मत/ निर्माण कार्य कराए जाने हेतु 61.79 लाख एव ́स्वामी आत्मानंद हिंदी मीडियम स्कूल पोटा केबिन हाई सेकेंडरी स्कूल धनीकरका मे आवश्यक मरम्मत/ निर्माण कार्य कराए जाने हेतु 68.79 लाख रुपये की निविदा क्रमा ́क 2183/अवि /निर्माण आमंत्रित की गई थी।

उपरोक्त निविदा प्राप्त करने की तिथि एव ́निविदा जमा एव खोलने की तिथि की जानकारी अखबारो मे ́प्रकाशित की जानी थी पर पूरी प्रक्रिया मे निविदा की जानकारी को गुप्त रखा गया। पूर्व मे ́भी विभाग द्वारा ऐसे ही निविदा की जानकारी पर पारदर्शिता न दि१ाते हुए निविदा आमंत्रित की जा चुकी है। जिसकी शिकायत भी बहुत बार की जा चुकी है।

इस मामले में इम्पेक्ट की पड़ताल से चौंकाने वाली बात सामने आई है। बीते 19 दिसंबर 2022 के दिनांक से एक पत्र बनाया गया जिसमें उपरोक्ट चार निर्माण एवं मरम्मत कार्य दर्ज थे। विभाग का दावा है कि इस पत्र के बाद इस संबंध में किसी तरह की कोई कार्यवाही आदिम जाति कल्याण विकास विभाग द्वारा नहीं की गई।

सहायक आयुक्त आनंद जी सिंह ने इम्पेक्ट से चर्चा में स्पष्ट किया कि ‘चार निर्माण व मरम्मत कार्य के लिए जिला कलेक्टर द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। जिसके बाद इसकी प्रक्रिया पूरी की जानी थी। पर किसी वजह से यह प्रक्रिया पत्र बनने के बाद आगे ही नहीं बढ़ सकी। यानी ना तो पत्र डीपीआर को विज्ञापन प्रकाशन के लिए भेजा जा सका और ना ही इस टेंडर के फार्म बेचे गए। तो ऐसे में किसी तरह की गड़बड़ी होने का सवाल ही नहीं उठता। विभाग में प्रक्रियाधीन जो पत्र लिखा गया था केवल उसके आधार पर यह कहना गलत होगा कि प्रक्रिया पूरी नहीं की गई।’

सहायक आयुक्त श्री सिंह ने साफ कहा कि वे जिला कलेक्टर से अनुरोध करेंगे कि इस निर्माण व मरम्मत कार्य के लिए किसी दूसरे निर्माण विभाग को एजेंसी नियुक्त कर दें।

इस मामले को लेकर जब कलेक्टर विनीत नंदनवार से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि ‘स्वामी आत्मानंद विद्यालयों को लेकर लेकर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वे बुनियादी तौर पर गलत हैं। यह सही है कि पूर्व में निर्मित कई शाला भवनों को ही विभि​न्न कार्य करवाकर डवलप किया जा रहा है। पर आत्मानंद विद्यालयों के लिए नि​र्धारित मानक के आधार पर लेबोटरी, लाइब्रेरी आदि का भी काम किया जा रहा है। जिसमें गुणवत्ता के अनुसार राशि का व्यय होना सुनिश्चित है।’

टेंडर में गड़बड़ी के सवाल पर श्री नंदनवार ने कहा कि इस मामले को वे जरूर दिखवाएंगे कि ​संबंधित एजेंसी ने क्या कोई गड़बड़ी की है। उन्होंने यह भी कहा कि मामला सामने आने पर उन्होंने सहायक आयुक्त से जानकारी ली थी तो उनके द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि अभी टेंडर की कोई भी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। ऐसे में गड़बड़ी का सवाल भी नहीं उठता है।’

कलेक्टर श्री नंदनवार ने इम्पेक्ट से कहा कि इससे पहले भी जिन जगहों पर टेंडर में गड़बड़ी की शिकायतें आई उस पर सीधी कार्यवाही की गई है। अब तो संबंधित ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाकर काम दिया जा रहा है। क्योंकि सरकार ने पंचायतों को 50 लाख रुपए तक के काम के लिए ​अधिकार संपन्न बनाया है तो इसका लाभ पंचायतों को मिलना ही चाहिए।

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