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अग्निपथ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती : केंद्र ने दायर की कैविएट, हिंसा के खिलाफ अर्जी पर सीजेआई तय करेंगे तारीख…

इम्पैक्ट डेस्क.

तीनों सेनाओं में युवाओं की भर्ती की बहुचर्चित ‘अग्निपथ योजना’ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसे चुनौती देते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की गई है। एक याचिका में इसे अवैध व असंवैधानिक बताते हुए शीर्ष कोर्ट से इसे खारिज करने का अनुरोध किया गया है। इसके जवाब में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दायर कर किसी भी आदेश से पहले उसका पक्ष सुनने का अनुरोध किया है। उधर, इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान देश में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा को लेकर भी एक याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई की तिथि सीजेआई तय करेंगे।

केंद्र ने कहा-पहले हमारा पक्ष सुनो
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है। सरकार ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई या फैसले से पहले उसका पक्ष सुनने का आग्रह किया है। कैविएट याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि संबंधित का पक्ष सुने बगैर कोई एकतरफा फैसला न दिया जाए। 

योजना को खारिज करने की मांग
वकील एमएल शर्मा ने अग्निपथ योजना को अवैध बताया है। उन्होंने योजना के संबंध में रक्षा मंत्रालय द्वारा 15 जून का जारी नोटिफिकेशन व प्रेस नोट को खारिज करने की मांग की है। उन्होंने योजना पर रोक की मांग भी की है। याचिका में दावा किया गया है कि यह योजना अवैध है, क्योंकि यह संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। इसे संसद की मंजूरी व गजट अधिसूचना जारी किए बगैर लाया गया है।शर्मा ने याचिका में कहा है कि सरकार ने एक सदी पुरानी सेना भर्ती प्रक्रिया को खारिज कर दिया है। यह संविधान के खिलाफ है।

हिंसा की जांच के लिए एसआईटी बनाने की मांग
इससे पहले शनिवार को वकील विशाल तिवारी ने अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध की जांच के लिए एसआईटी गठित करने और रेलवे सहित सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की जांच के निर्देश के लिए जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में अग्निपथ योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीय सेना पर इसके प्रभाव की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। इस पर कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि इस याचिका की तारीख सीजेआई के फैसले के बाद तय की जाएगी। तिवारी ने अवकाशकालीन पीठ के जज सीटी रवि कुमार व सुधांश धुलिया की पीठ से इस पर अर्जेंट सुनवाई की मांग की थी। 

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