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देश में फूलों की 37 प्रजातियां हो जाएंगी खत्म : 20 साल के शोध के बाद एक्सपर्ट की यह डेडलाइन…

इंपेक्ट डेस्क.

देश में पैदा होने वाली फूलों की प्रजातियों के लिए बेमौसम बारिश और जंगलों की आग एवं सूखे के हालात बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान की सिक्किम शाखा के अध्ययन में ऐसे कई चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं।

20 साल तक चले शोध के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे ही हालात रहे तो अगले 27 साल में देश में फूलों की 37 फीसदी प्रजातियां खत्म हो जाएंगी। भारत में फूलों की 17500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये दुनिया में कुल ज्ञात प्रजातियों का करीब सात प्रतिशत हैं।
संस्थान की सिक्किम शाखा के वैज्ञानिकों ने पूरे देश में फूलों की स्थिति को लेकर शोध आधारित अध्ययन किया है। इसके लिए वर्ष 2000 से 2020 के बीच फूलों के संबंध में जानकारियां जुटाई गईं। उन पर मौसम में हो रहे बदलाव के असर का भी पता लगाया गया।
वैज्ञानिकों ने पाया कि जलवायु परिवर्तन, बेमौसम बारिश, जंगलों में बढ़ती आग और सूखे के हालात से देश में फूलों की प्रजातियों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इनके बीज सही से अंकुरित नहीं हो पा रहे हैं। पौधों के पुनर्जनन और उनकी आंतरिक क्रियाओं में भी कमी देखने को मिल रही है। इससे फूलों की प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ रहा है।

हिमालयन ट्रंपेट फ्लॉवर को अधिक नुकसान औषधीय और पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किए जाने वाले हिमालयन ट्रंपेट फ्लॉवर पर भी मौसम के बदलाव का काफी असर पड़ रहा है। कई राज्यों में इसे खतरे की श्रेणी में भी रखा गया है।

जलवायु परिवर्तन से फूलों पर हुए बदलाव के अध्ययन में पता चला है कि मौसम बदलने से फूलों के बीजों के अंकुरित होने में दिक्कतें आ रही हैं। यह आने वाले समय में फूल प्रजातियों के लिए घातक है। 
डॉ.संदीप रावत, वैज्ञानिक, जीबी पंत संस्थान, सिक्किम शाखा।

भौगोलिक क्षेत्र में भी देखने को मिल सकती है कमी
भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 25.47 हिस्सा फूलों की प्रजातियों के लिए उपयुक्त माना गया है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले समय में इसमें भी कमी आ सकती है। वर्ष 2050 तक इनके क्षेत्र में 10 से 17 और 2070 तक 20 तक कमी आ सकती है।
 

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