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बहिष्कार किए जाने वाले प्रोडक्ट के निर्माण में आत्मनिर्भर होने की जरूरत : झा

इम्पेक्ट न्यूज. भिलाई नगर।

○ हमारे यहां इंडस्ट्री के लिए बनाए
नियम काफी पेचिदा

वरिष्ठ उद्योगपति के. के. झा ने चाइना माल के बहिष्कार के विरोध को सिर्फ कागजों पर बताया है. उन्होंने कहा कि देश के लोगों से चाइना के माल का बहिष्कार करने कहा जा रहा है लेकिन इसकी कोई तैयारी नहीं की गई है.

जिस तरह बिना किसी तैयारी एवं सोच के जीएसटी, नोटबंदी और लॉकडाउन को देश में लागू किया गया, उसका परिणाम उतना सुखद नहीं रहा. हम जिन प्रोडक्ट के बहिष्कार की बात कर रहे हैं पहले उसके निर्माण की तैयारी तो कर लें.

श्री झा ने "मीडिया" से चर्चा करते हुए कहा कि विश्व में आज हम सबसे बड़े ग्राहक हैं और सबसे बड़े व्यापारी भी. हमें भावनात्मक होने की जरूरत नहीं बल्कि तथ्यात्मक सोच होनी चाहिए.

सोच समझ कर थोड़ा समय देकर निर्णय लेना चाहिए. चाइना का माल बहिष्कार करने से पहले पूरी तैयारी की जाए, उसके बाद ही बहिष्कार करने का कोई संकल्प लिया जाए. बावजूद यदि चाइना हमारी तरफ आंख उठाता है तो भारत देश न केवल चाइना बल्कि हर देश से निबटने में सक्षम है.

हम हर किसी को मुंहतोड़ दवाब देने के लिए तैयार हैं. श्री झा ने कहा कि हम अति उत्साह में चाइना के सामानों के बहिष्कार की बात करते तो हैं लेकिन उनसे टक्कर लेने की कोई नीति हमारे पास नहीं है. आज चाइना की स्थिति काफी खराब है वहां से इंडस्ट्री निकल रहे हैं.

लेकिन यह इंडस्ट्री भारत नहीं आ रहे हैं. कारण कि यहां के कानून काफी पेचीदा हैं. यदि हम नियम कानून सरल करते तो ये इंडस्ट्री हमारे यहां आते और हम चाइना को सीधी टक्कर देते. देश का कोई भी स्टेट हो यदि बाहर से कोई बड़ी इंडस्ट्री यहां आती है और एमओयू करती है तो नियम कानून इतने पेचीदा हैं कि इंडस्ट्री लगाते लगाते वह भाग खड़ी होती है.

हम आत्मनिर्भर होने की बात तो कर रहे हैं लेकिन हमारे यहां जो इंडस्ट्रीज हैं उनके लिए भी हमारे पास कोई ठोस नियम नहीं है. हांलाकि इस मामले में पूरे देश में हमारे प्रदेश में काफी लचीलापन है. यहां शांति है, श्रमिकों की उपलब्धता है, संसाधन पर्याप्त हैं. छत्तीसगढ़ को इसका फायदा लेना चाहिए.

लॉकडाउन में उद्योगों की हालत बद से बदतर

श्री झा ने कहा कि लॉकडाउन के चलते यहां की इंडस्ट्री की हालत बद से बदतर हुई है. जब तक इंडस्ट्री को ब्याज में छूट नहीं दिया जाएगा, साहूकार की तरह ब्याज वसूला जाएगा यह इंडस्ट्री कभी खड़ा नहीं हो पाएंगे. जो छोटे एमएसएमई उद्योग हैं वह काम तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें 30% बैंक लोन साहूकार की तरह दिया गया है. आज भी बैंक 50% लोन नहीं बांट सके हैं. क्योंकि इस लोन के लिए इतने पेचीदा नियम बनाए गए हैं कि अच्छे अच्छे इंडस्ट्री इसको फुलफिल नहीं कर पा रहे. यदि हमें चाइना से टक्कर लेनी है तो हमें उद्योगों के लिए बिजली सस्ती करनी होगी, टैक्स में छूट देना होगा, जिस तरह बीएसपी ने चाइना को माल आपूर्ति की है उसी तरह एमएसएमई भी छोटे-छोटे काम कर सकते हैं और चाइना को टक्कर दे सकते हैं.

व्यापारियों के पास काफी स्टाक, उन्हें
कंज्यूम करने का समय मिले महासचिव श्री झा ने कहा कि चाइना के माल के बहिष्कार की बात तो की जा रही है जबकि वहां से दवा, आयरन, केमिकल, खिलौना, इलेक्ट्रॉनिक सामान, रॉ मटेरियल सहित अन्य वस्तुओं का आयात 62 प्रतिशत है. पहले हमें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा. दूसरी तरफ व्यापारी भाइयों ने चाइना प्रोडक्ट का काफी स्टाक कर लिया है और वे लाखों करोड़ों रुपए फंसा चुके हैं. ऐसे में उन्हें समय मिलना चाहिए कि वह इन सामानों को कंज्यूम कर सकें. वरना स्थिति ऐसी होगी कि ना हमारा बिज़नेस आगे बढ़ेगा, ना हम आत्मनिर्भर बन पाएंगे और ना ही चाइना से टक्कर ले पाएंगे. श्री झा ने कहा कि ऐसी स्थिति में केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों को खुले दिल से, राजनीति छोड़ कर एमएसएमई उद्योगों को उठाने सार्थक कदम उठाने चाहिए. जैसे छोटे उद्योगों की बिजली सस्ती की जाए, टैक्स कम किया जाए, नियमों को शिथिल किया जाए, एकल प्रणाली लागू की जाए.

श्री झा ने एमएसएमई उद्योगों को राज्य की रीढ़ बताते हुए कहा कि यदि केंद्र व राज्य सरकार ऐसा करती हैं तो ना केवल चाइना से हम सीधी टक्कर ले पाएंगे बल्कि यहां के शिक्षित युवाओं को भरपूर रोजगार का अवसर भी हम दे पाएंगे.

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