District Beejapur

‘सुरक्षा’ और ‘सड़क’ के खिलाफ मुखर हुए आदिवासी! गंगालूर में पुलिस व सरकार के खिलाफ आठ पंचायत के ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन…

  • गंगालूर से लौटकर गणेश मिश्रा. बीजापुर।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार सुरक्षा बल की तैनाती के साथ सरकार के विकास कार्यों के खिलाफ ही आदिवासी मुखर हो उठे हैं। बुधवार को बीजापुर के गंगालूर में ग्रामीणों का व्यापक प्रदर्शन देखने को मिला। आठ पंचायतों के सैकड़ों ग्रामीण पुल- पुलिया और पूसनार में प्रस्तावित नए कैंप के खिलाफ लामबंद होकर सड़क पर उतरे।

ग्रामीणों के रैली व प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था की थी। गंगालूर को चारों तरफ से छावनी में तब्दील कर दिया था। बावजूद प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण सुरक्षा घेरा तोड़कर आगे बढ़ गए। गंगालूर तक रैली कर बीजापुर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। तहसीलदार ने ग्रामीणों की मांग से शासन को अवगत कराने का आश्वासन दिया।

गंगालूर से पूसनार तक सड़क निर्माण, पूसनार में पुलिस कैम्प प्रस्तावित है और सड़क निर्माणाधीन है। इसी सड़क का विरोध ग्रामीण कर रहे हैं। तकरीबन 12 बजे बुरजी पंचायत के सरपंच रमेश पुनेम, गंगालूर के सरपंच राजू कलमू , गोंगला के जनपद सदस्य सोनू पोटाम और संतोष हेमला के नेतृत्व में पूसनार, गोंगला, बूरजी, मेटापाल, गंगालूर, पिड़िया, डोडीतुमनार और गमपुर के सैकड़ों ग्रामीण मांगों को लेकर गंगालूर पहुंचे थे।

इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बीजापुर के एडिशनल एसपी जियारत बेग के नेतृत्व में गंगालूर के चारों तरफ नाकेबंदी की गई। बावजूद ग्रामीणों ने रैली की शक्ल में गंगालूर में पहुंचे और प्रदर्शन किया।

एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि अगर मांगों पर विचार नहीं किया गया तो एक वृहद आंदोलन जिला मुख्यालय में किया जाएगा। ज्ञापन में उल्लेख है कि ग्राम पंचायत पूसनार गोंगला बुरजी मेटापाल में नए पुलिस कैंप स्थापित किया जाना है परंतु क्षेत्र की जनता नहीं चाहती कि यहां कैम्प स्थापित हो। क्योंकि कैंप स्थापित होने के पश्चात फोर्स द्वारा आदिवासियों के साथ मारपीट लूटपाट डराने धमकाने का कृत्य किया जाता है।

इसके पूर्व भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिसके चलते क्षेत्र की जनता डरी हुई है। क्षेत्र में स्कूल और अस्पताल की आवश्यकता है ना कि पुलिस कैंप और सड़क की इसकी मांग करने के बावजूद सरकार द्वारा स्कूल और अस्पताल की व्यवस्था नहीं की जा रही है बल्कि कैंप खोलकर जनता के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया जाता है।

ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि इलाके में पुलिस कैंप, सीसी रोड का निर्माण बंद हो, आदिवासियों के साथ मारपीट और अत्याचार की घटनाओं पर विराम लगाया जाए, फोर्स द्वारा सैकड़ों निर्दोष लोगों को नक्सल के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है उन्हें तत्काल रिहा कराया जाए। साथ ही फर्जी मुठभेड़ों में लोगों की हत्या बंद की जाए, प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस की दहशत से खेत खलियान में जुताई का कार्य प्रभावित हो रहा है।

बीज पंडुम, शादी समारोह, तेंदूपत्ता, महुआ सीजन के समय लोगों के साथ मारपीट और प्रताड़ित किए जाने वाले घटनाओं पर विराम लगाया जाए। रोड निर्माण के लिए सैकडों एकड़ किसानों की उपजाऊ जमीन और जंगलों को हड़पा जा रहा है। भविष्य में कहीं कैंप स्थापना के लिए हजारों एकड़ जमीन को भी हड़पने की संभावना नजर आ रही है ऐसी मुसीबतों को समझते हुए क्षेत्र में वर्तमान तैनात कैंपों को ग्राम पंचायत द्वारा स्वीकृति प्रदान नहीं किया जाएगा।

ग्रामीणों की मांग है कि ऐसी जटिल समस्या को ध्यान में रखते हुए कैंप स्थापित ना किया जाए। इस पर शासन प्रशासन की ओर से ग्राम सभा आयोजित कर प्रस्ताव पारित करने के बाद ही अन्य कार्यों पर मंजूरी दिया जाए। बिना ग्राम सभा के कैंप या अन्य कार्यों के संचालन पर विराम लगाया जाए। रैली में शामिल होने आई महिलाओं ने बुरजी कैंप में रैली के दौरान पुलिस पर मारपीट का भी आरोप लगाया।

जिनका डॉक्टर को बुलाकर मौके पर ईलाज कराया गया। गंगालूर सरपंच राजू कलमू बुरजी सरपंच रमेश पुनेम गोंगला के जनपद सदस्य सोनू पोटाम और संतोष हेमला का कहना है कि संपूर्ण बस्तर में जल, जंगल और जमीन की लड़ाई आदिवासी लड़ रहे हैं, वही सरकार आदिवासियों को गश्त के नाम पर उनकी जमीन से बेदखल करने की साजिश रच रही है।

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