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क्रूज ड्रग्स केस में वानखेड़े की अर्जी HC में मंजूर… ‘रिश्वत देने वाले’ शाहरुख को भी बनाना चाहते हैं आरोपी…

इम्पैक्ट डेस्क.


बॉलिवुड ऐक्टर शाहरुख खान के बेटे को बचाने के लिए रिश्वत लेने के आरोपी एनसीपी के पूर्व जोनल डायरेक्टर को अपनी याचिका में संशोधन करने और अतिरिक्त जानकारी जोड़ने की अनुमति बॉम्बे हाई कोर्ट से मिल गई है। अब शाहरुख खान पर भी इस मामले में केस चल सकता है। दरअसल वानखेड़े ने कोर्ट से मांग की थी कि रिश्वत देने वाले पर भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उनका तर्क है कि भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत रिश्वत देने वाला भी अपराधी होता है। वानखड़े मुंबई नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में जोनल डायरेक्टर के पद पर थे। उनपर आरोप है कि कार्डेलिया क्रूज ड्रग केस में अभिनेता शाहरुख के बेटे को बचाने के लिए उन्होंने 25 करोड़ रुपय् की रिश्वत मांगी थी। 

बॉम्बे हाई कोर्ट में एक आपराधिक जनहित याचिका भी दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि शाहरुख खान को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए। आरोप है कि वानखेड़े ने केपी गोसावी के जरिए 50 लाख रुपये नकद रिश्वत ली थी। हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12 के  तहत अगर को बिना भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सूचना दिए रिश्वत देता है तो उसपर भी केस बनता है। 

वानखेड़े को कोर्ट से राहत
हाई कोर्ट ने वानखेड़े को 20 जुलाई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी है। वरिष्ठ वकील आबाद पोंडा ने वानखेड़े की तरफ से कोरट में कहा था कि सीबीआई की एफआईआर रद्द करवाने की मांग के पक्ष में तर्क देने के लिए वह याचिका में सुधार करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि रिश्वत के मामले में वानखेड़े को गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में रिश्वत देने वाले को भी आरोपी होना चाहिए और एनसीबी को शाहरुख पर केस चलने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है। 

यह एफआईआर एनसीबी की लिखित शिकायत पर 11मई को दर्ज की गई थी। अब वानखेड़े ने एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका फाइल की है। जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस एसजी दिगे की बेंच के सामने मामले की सुनवाई चल रही थी। पोंडा ने कहा कि वह तीन और तर्क जोड़ना चाहते हैं। 

उन्होंने एनसीबी के हलफनामे पर जवाब देते हुए कहा कि वानखेड़े के साथ शाहरुख खान की वॉट्सऐप पर अनचाही चैट हुई थी। उन्होंने कहा कि सेक्शन 7एके तहत रिश्वत देने वाले पर भी केस चलना चाहए। लेकिन सीबीआई ने उनके खिलाफ केस नहीं दर्ज किया है। ऐसे में तर्क पेश करना जरूरी है कि वानखेड़े के खिलाफ बुरी नीयत से यह केस दर्ज किया गया है। पूरी सुनवाई के बाद बेंच ने  वानखड़े के वकील को याचिका में संशोधन करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दोबारा संशोधन की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

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