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बारिश से बीजापुर में “त्राही-त्राहि” माम… सुकमा में नदी पार करने के लिए ग्रामीणों ने खुद ही लकड़ी का पुल बना दिया…

इम्पैक्ट डेस्क.

बीजापुर/सुकमा. तेलंगाना और महाराष्ट की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ का बीजापुर जिला लगातार हो रही बारिश से बाढ़ की चपेट में आ चुका है। जिले के कई हिस्सों में बाढ़ से हालात बहुत बुरे है। राशन, इलाज जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रभावित इलाकों तक नहीं पहुंच रही है। इंद्रावती और गोदावरी के बढ़ते जलस्तर से बीजापुर का भोपालपटनम ब्लाक सर्वाधिक प्रभावित है, इसके अलावा महाराष्ट के सरहदी गांवों में भी बाढ़ से तबाही की तस्वीरें सामने आई है।
लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से बीजापुर के गंगालूर, चेरपाल, मिरतूर, ताड़लागुड़ा गांवों का संपर्क टूटा हुआ है। इसी तरह इसके दायरे में आने वाले छोटे-बड़े दर्जनों गांवों का संपर्क भी इनसे टूटा हुआ है, नतीजतन आम जनों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है।
लगातार बारिश के चलते ताड़लागुड़ा गांव के हालात टापू जैसे बने हुए है, आज तड़के ताड़लागुड़ा के पोटाकेबिन परिसर में बाढ़ पानी घुस गया, हालांकि बारिश के मद्देनजर स्कूलों में छुट्टी घोषित है, लेकिन बाढ़ का दबाव बढ़ने से जहां ताड़लागुड़ा का ब्लाक तथा जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है, वही सीमावर्ती तेलंगाना से बीजापुर जिले का भी संपर्क टूट गया है। नतीजतन अंतरराज्जीय परिवहन बंद है।
इधर बीजापुर ब्लाक के गंगालूर मार्ग पर चेरपाल समेत कई नाले उफान पर है, इसके चलते दर्जनों गांव पिछले कई दिनों सेटापू बने हुए है, भैरमगढ़ के मिरतूर में भी रपटा डूबा हुआ है, वही मिनगाचल नदी में आई बाढ़ से निकटस्थ तैनात सीआरपीएफ कैम्प की मुश्किलें बढ़ा रखी है।
बाढ़ के बढ़ते दबाव और इंद्रावती-गोदावरी से बैक वाटर के प्रेशर केमद्देनजर प्रशासन ने कमर कस रखी है, कई स्थानों पर मोटरबोट और लाइफ जैकेट से लैस रेस्क्यू दल को 24 घंटे मुस्तैद रहने की हिदायत दी गई है। पूरे हालात पर प्रशासन नजरें बनाए हुए हैं।
बस्तर और बीजापुर जिले में बुधवार को बारिश होती रही। जिससे इंद्रावती नदी उफान पर है, और जलस्तर खतरे के निशान से 8.300 मीटर को पार कर चुका है। बीजापुर जिले में पिछले 24 घंटे में रिकार्ड 300.3 मिमी बारिश हुई है।

वहीँ में सुकमा जिला मुख्यालय से महज 35 किमी दूर बसे नागलगुड़ा गांव का है। इस गांव से होकर बहने वाली मलगेर नदी के किनारे स्थित 2 पेडों की टहनियों के सहारे ग्रामीणों ने इस जुगाड़ के पुल को बनाया है। मलगेर नदी के उफान पर होने की वजह से ग्रामीण जान जोखिम में डालकर इस जुगाड़ के पुल से रोज आवाजाही कर रहे हैं। राशन सामान लाने, अस्पताल जाने समेत अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए नागलगुड़ा गांव के सैकड़ों ग्रामीण इसी पुल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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