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मंदिर-मस्जिद पर बातें हजार… अनीता और अकबर साबित करेंगे लहू का रंग ‘एक’…

इम्पैक्ट डेस्क.

जाति-धर्म के बिगड़ते तालमेल के बीच वर्तमान सामाजिक ढांचा बिखराव के रास्ते पर चल पड़ा है। ऐसे में अपने अजीजों की पीड़ा ने दो परिवारों को करीब ला दिया है। मुसीबत के वक्त जाति-मजहब से उपर उठकर एक-दूसरे के परिवारों की मदद करने की ताकीद पेश की है। दोनों ही परिवारों की सराहना हो रही है। अपनों की जान बचाने की खातिर अनिता और अकबर एक-दूसरे के अजीजों को किडनी दान कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करेंगे। 

अनीता के बेटे अंकुर और हाजी अकबर के भाई हाजी अफसर को किडनी की जरूरत है। दोनों की जान बचाने की खातिर एक-दूसरे के लिए किडनी दान करने के लिए कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने में जुटे हैं। दोनों के गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए जिला स्तरीय समिति जल्द ही इस फैसले पर कानूनी सहमित देने की आवश्यक कार्रवाई कर रही है। गाजियाबाद के मोदी नगर कस्बे से सटे बिशोखर गांव निवासी अनीता नेहरा के 24 साल के बेटे अंकुर नेहरा की दोनों किडनियां बीमारी के कारण खराब हो गई हैं। फिलहाल मेरठ के एक निजी अस्पताल में हर सप्ताह होने वाली डायलिसिस के सहारे अंकुर की सांसें चल रही हैं। 

उधर, अमरोहा के नौगावां सादात कस्बे के पास गांव अपरौला मय बाग निवासी 57 वर्षीय हाजी अफसर की लंबी बीमारी और बढ़ती उम्र की वजह से किडनियां समय से पहले दगा दे गईं। मेरठ के जिस अस्पताल में अंकुर का इलाज चल रहा है, उसी अस्पताल में हाजी अफसर की सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस चल रही है। परिजनों से जब अपने अजीजों का दुख बर्दाश्त नहीं हुआ तो सालभर पहले अस्पताल में मुलाकात के दौरान अंकुर की मां 43 वर्षीय अनीता नेहरा ने बेटे की जान बचाने के खातिर हाजी अफसर को किडनी दान करने का फैसला कर लिया। 

इसके बदले में हाजी अफसर के छोटे भाई 55 साल के हाजी अकबर अंकुर को किडनी देने के लिए सहर्ष तैयार हो गए। मगर गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के लंबा खिंचने से दोनों परिवारों का दुख बढ़ता गया। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर अब आकर किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया तकरीबन पूरी होने पर दोनों परिवारों ने राहत की सांस ली है। अनिता और अकबर जल्द ही एक-दूसरे को किडनी दान कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करेंगे।

अमरोहा के सीएमओ डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा कि जिलाधिकारी के पास फाइल दोबारा भेज दी गई है। इस संबंध में जिला प्राधिकार समिति बैठक में जिला स्तरीय अधिकारी गुर्दा प्रत्यारोपण पर फैसला लेगी। बैठक की तिथि एक-दो दिन में मिल जाएगी। एनओसी मिलने के बाद आवेदनकर्ता किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन करा सकेंगे। 

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