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मुर्दाघरों से लावारिश शव लेकर अंतिम संस्कार करती है यह महिला… कोविड के दौरान भी थीं ऐक्टिव…

इम्पैक्ट डेस्क.

 कहा जाता है कि जिसका कोई नहीं होता उसका भगवना होता है और अपना काम करवाने के लिए भी ईश्वर ने हम में से ही नेकदिल लोगों कि जिम्मेदारी दे रखी है। लखनऊ की रहने वालीं वर्षा वर्मा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं ताकि उन्हें सम्मानजनक अंतिम विदाई मिल सके। वर्मा (44) के लिए लावारिस लाशों की सूचना एकत्रित करना और उनका अंतिम संस्कार करना एक नियमित कार्य बन गया है।

 वर्मा ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि शवगृह में कई दिनों तक लावारिस लाशें पड़ी रहती हैं, तो उन्हें लगा कि एक व्यक्ति को सम्मानजनक अंतिम विदाई मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पोस्टमार्टम के बाद एक लावारिस शव को शवगृह में 72 घंटे तक रखा जाता है और फिर दाह संस्कार के लिए वे इसे मुझे दे देते हैं।’ वर्मा ने कहा कि वह एक सप्ताह में औसतन तीन शवों का दाह संस्कार करती हैं।

उन्होंने  कहा, ‘मैंने खुद हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। इनमें कई वैसे शव भी शामिल हैं जिनका मैंने कोरोना वायरस महामारी के दौरान अंतिम संस्कार किया।’ वर्मा का मानना है कि एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शव को उचित सम्मान मिलना चाहिए और इसलिए उन्होंने यह निःशुल्क सेवा शुरू की।  यह पूछे जाने पर कि अंतिम संस्कार का यह असामान्य कार्य करने की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली, इस पर वर्षा ने कहा, ‘जब भी वह अखबरों में नदी में लावारिस शवों और उनकी बेकद्री की खबर पढ़तीं तो उन्हें बुरा लगता। इसी बीच, उन्हें इस क्षेत्र में काम करने का विचार आया जिसके लिए उन्हें मित्रों और परिवार से उचित सहयोग मिला।’

 वर्मा पिछले पांच साल से सामाजिक कार्य कर रही हैं। वह ‘एक कोशिश ऐसी भी’ नामक संगठन भी चलाती हैं जो जरूरतमंद लोगों की मदद करता है।  उन्होंने कहा, ‘न सिर्फ दाह संस्कार बल्कि हमारा संगठन पूरे राज्य में मरीजों को निःशुल्क एंबुलेंस और इलाज भी उपलब्ध कराता है। वर्तमान में मेरे पास खुद के तीन एंबुलेंस हैं। हम जरूरत पड़ने पर किराए पर भी इसे लेते हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौरान शवों को शवदाह गृह ले जाने के लिए हमने पांच एंबुलेंस किराए पर लिए थे।’
     
उन्होंने कहा कि यह सब नि:शुल्क होता है और कभी कभी सोशल मीडिया पर वह वित्तीय मदद की अपील करती हैं। उन्होंने कहा, ‘निराश्रित रोगियों के मामले में हम उन्हें अस्पताल ले जाते हैं और उनका इलाज सुनिश्चित करते हैं।’ उन्होंने कहा कि उनकी मुफ्त एम्बुलेंस सेवा पूरे राज्य में उपलब्ध है। लखनऊ के लेवाना सुइट्स में सोमवार को जब आग लगी तो वर्षा वर्मा अपनी टीम और एंबुलेंस के साथ घटनास्थल पर पहुंचीं और उन्होंने ना केवल दमकल कर्मियों और प्रशासन की मदद की, बल्कि स्थिति नियंत्रण में आने तक वहां डटी रहीं। उन्होंने कहा, ”आग लगने जैसी कुछ घटनाओं के दौरान, हम घटनास्थल पर पहुंचने और हर संभव मदद करने का प्रयास करते हैं।’
 

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