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पंजाब – छत्तीसगढ़ – केरल ही नहीं, कश्मीर से कन्याकुमारी तक अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस…

Impact desk.

कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में पार्टी सरकार में है, पर पार्टी को जम्मू-कश्मीर, असम व केरल में भी नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि इन राज्यों में अभी कई वर्षों तक कोई चुनाव नहीं हैं।

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच झगड़ा बरकरार है। सिद्धू अपनी ही सरकार पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। चुनाव से पहले झगड़ा खत्म करने की कोशिशों के तहत प्रदेश प्रभारी हरीश रावत चंडीगढ़ गए हैं। उधर, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच विवाद बरकरार है।

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच भी रिश्ते ठीक नहीं है। राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में पार्टी सरकार में है, पर कांग्रेस के अंदर उन राज्यों में भी कलह बढ़ रही है, जहां कई साल तक कोई चुनाव नहीं है। केरल में पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया से दूर रखे जाने से नाराज हैं। वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला भी पसंदीदा जिला अध्यक्ष नहीं बनाने से खफा हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, हर प्रदेश में अंदरूनी कलह की बड़ी वजह पार्टी नेतृत्व का कमजोर होना है। एक के बाद एक चुनावी हार से संगठन के अंदर पार्टी नेतृत्व की पकड़ कम हुई है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व को सख्ती के साथ इस कलह से निपटना होगा। पार्टी सख्त निर्णय नहीं लेती है, तो हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा के बीच झगड़ा वक्त के साथ बढ़ता रहेगा।

महाराष्ट्र में भी पार्टी के कई नेता नाराज हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का बढ़ता कद पसंद नहीं है। कर्नाटक में वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया और शिवकुमार भाजपा की राज्य सरकार से लड़ने के बजाए आपस में लड़ रहे हैं। असम में भी सब कुछ ठीक नहीं है। चुनाव में हार के बावजूद पार्टी नेताओं में गुटबाजी हावी है। कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

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