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राष्ट्रपति चुनाव आज… जानें कौन-कहां और कैसे डालेगा वोट…

इम्पैक्ट डेस्क.

देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज मतदान होना है। संसद भवन और अलग-अलग राज्यों की विधानसभा में सोमवार सुबह 10 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक मतदान प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। चुनाव आयोग वोटिंग के तीन दिन बाद यानी 21 जुलाई को ही नतीजे घोषित कर देगा। यानी पूरी प्रक्रिया के तहत 25 जुलाई को देश का नया राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ ले लेगा। 

हालांकि, लोगों के मन में इन कल होने वाली मतदान प्रक्रिया को लेकर ही कई सारे सवाल हैं? मसलन राष्ट्रपति चुनाव आम चुनावों से किस तरह अलग हैं? इनमें मतदान की प्रक्रिया क्या होगी? इनमें वोटिंग कौन करेगा?  क्या अलग-अलग मतदाताओं के वोट की वैल्यू भी अलग-अलग होती है? वोट की वैल्यू तय कैसे होती है? आइए जानते हैं… 

राष्ट्रपति चुनाव में वोट कौन डालता है? 
राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। लेकिन इस बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा न होने की वजह से सांसदों के वोट की वैल्यू घटकर 700 रह गई है। दूसरी तरफ विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।  

राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है। बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।

सांसदों के वोट की क्या होगी वैल्यू?
राज्यसभा के 245 में से 233 सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। लोकसभा में 543 सांसद वोट डालते हैं। राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 700 होती है। दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है। इस लिहाज से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,43,200 होती है। अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 86 हजार 431 हो जाती है। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में इतने वैल्यू वाले वोट पड़ेंगे।

राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स होंगे? 
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 12 मनोनीत सांसद इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। इसके साथ ही लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हुए हालिया उपचुनाव के विजेता सांसद भी शामिल होंगे।  

इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 809 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी।

मतदाता कैसे कर सकते हैं पसंदीदा उम्मीदवार के लिए वोट?
वोटिंग प्रक्रिया और उसके बाद मतों की गिनती को आसान बनाने के लिए चुनाव आयोग न सिर्फ सांसदों और विधायकों की वोटिंग के लिए अलग जगह निर्धारित करता है, बल्कि उन्हें अलग-अलग रंग की पर्ची भी देता है। जहां सांसदों को वोटिंग के लिए हरे रंग की पर्ची मिलती है, वहीं विधायकों की पर्ची का रंग गुलाबी होता है। 

राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया सिंगल ट्रांसफरेबल वोट की होती है। यानी इन चुनाव में मतदाता एक से ज्यादा उम्मीदवार को तरजीह के हिसाब से वोट दे सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर राष्ट्रपति पद के लिए चार उम्मीदवार हैं तो लोग पहली प्राथमिकता (1), दूसरी प्राथमिकता (2), तीसरी प्राथमिकता (3) और चौथी प्राथमिकता (4) तय करते हुए वोट दे सकते हैं। हालांकि, अगर मतदाता सिर्फ एक ही उम्मीदवार को भी चुनते हैं तो भी उनका वोट वैलिड होता है। मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार को अंतरराष्ट्रीय फॉर्मेट में लिख कर तरजीह बता सकते हैं या अपनी भाषा में भी अंक लिख सकते हैं। हालांकि, इन अंकों को शब्द में लिखने की मनाही है। अगर पहली वरीयता में उम्मीदवार को पचास फीसदी से ज्यादा मूल्य के वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होती है।

क्या पार्टियां इस चुनाव के लिए भी व्हिप जारी करती हैं?
व्हिप एक तरह आदेश होता है तो पार्टियां अपने सांसदों और विधायकों को जारी करती हैं। व्हिप का उल्लंघन करने पर संबंधित सांसद या विधायक की सदस्यता भी चली जाती है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग गुप्त रखी जाती है। यानी विधायक और सांसद पार्टी को अपनी पसंद बताने के लिए बाध्य नहीं होते। 

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