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15 राज्यों के 251 जिलों तक फैला लंपी… 13.99 लाख से ज्यादा गाय संक्रमित… करीब 1 लाख गायों की मौत…

इम्पैक्ट डेस्क.

लंपी वायरस ने देश में भयावह रूप अख्तियार कर लिया है। वायरस ने 15 राज्यों के 251 जिलों तक पैर पसार कर 20.56 लाख से ज्यादा गोवंश को चपेट में ले लिया है। करीब एक लाख गायों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में सर्वाधिक 13.99 लाख से ज्यादा गाय संक्रमित हैं और 64 हजार से अधिक की मौत हो चुकी है। इसका सीधा असर पशुपालकों व किसानों पर पड़ रहा है। 

देश में 3.60 करोड़ से ज्यादा गोवंश अतिसंवेदनशील श्रेणी में चिह्नित किए गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 23 सितंबर की शाम तक 97,435 गायों की जान जा चुकी है। हालांकि, गैरआधिकारिक आंकड़े कहीं ज्यादा बताए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने गायों को बीमारी से बचाने के लिए राज्यों को टीकाकरण अभियान तेज करने को कहा है। लगातार एडवाइजरी भी जारी की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2019 में लंपी से संक्रमण के शुरुआती मामले सामने आए थे। तब प्रशासनिक स्तर पर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, वरना हालात बिगड़ने से बचाया जा सकता था। वहीं, केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने कहा, केंद्र लंपी वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान को रूटीन में शामिल करने पर विचार करेगा। उन्होंने बताया, टीका पूरी तरह मुफ्त लगवाया जा रहा है। 

बकरियों को लगाया जाने वाला गोटपॉक्स टीका लंपी वायरस के खिलाफ शत-प्रतिशत कारगर पाया गया है। राज्यों को 1,38,58000 टीके की खुराकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं। 1.47 करोड़ खुराकें अभी उपलब्ध हैं। चार करोड़ खुराकें अक्तूबर में भेजेंगे। -डॉ. संजीव बालियान, केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री 

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (बरेली) के सहयोग से इस वायरस का स्वदेशी टीका तैयार कर लिया है। लंपी-प्रो वैक-इंड नाम के इस टीके को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले दिनों लॉन्च किया था। यह जल्द बाजार में आएगा। इसके उत्पादन की जिम्मेदारी बायोवैट कंपनी को दी गई है।

रिंग वैक्सीनेशन कारगर
लंपी वायरस के इलाज में ‘रिंग वैक्सीनेशन’ कारगर साबित हो रहा है। इसके तहत लंपी संक्रमित गाय वाले गांव के 5 किमी के दायरे में समस्त पशुओं का टीकाकरण किया जाता है। 

इलाज से 95 फीसदी तक हो रहे ठीक
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली के संयुक्त निदेशक केपी सिंह ने कहा, वायरस के संक्रमण से औसत मृत्युदर लगभग 5 प्रतिशत है। कुछ जगह 10 फीसदी की सूचना है। लेकिन, इस बीमारी का लक्षण के आधार पर इलाज होने पर 90 से 95 प्रतिशत पशु ठीक हो जा रहे हैं।

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