District Beejapur

साहित्य मनीषी पयोधि का भोपालपटनम् में सम्मान… ज़िले के युवा रचनाकारों से हुआ संवाद। काव्य-सृजन की बारीक़ियों पर चर्चा…

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इंपेक्ट डेस्क.

भोपालपटनम्। सुप्रसिद्ध कवि, कथाकार, नाट्य लेखक और जनजातीय संस्कृति-भाषाओं के अध्येता लक्ष्मीनारायण पयोधि के बस्तर-प्रवास के अंतिम चरण में गृहनगर भोपालपटनम् पहुँचने पर बीजापुर ज़िले के युवा साहित्यकारों ने उनके निवास पर शाल-श्रीफल भेंटकर आत्मीय अभिनंदन किया।उल्लेखनीय है कि साहित्य में जनजातीय संवेदना की अभिव्यक्ति के कारण विशेष ख्याति अर्जित करने वाले भोपालपटनम् के इस साहित्य मनीषी की 19 काव्यकृतियों साहित कुल 42 पुस्तकें प्रकाशित हैं,जिनमें ‘सोमारू’,’गुण्डाधूर’,’लमझना’ और उसका नाट्यरूप ‘जमोला का लमझना’ विशेष चर्चित हैं।
बीजापुर ज़िले के राजभाषा प्रभारी और कवि डॉ. राजकुमार टण्डन,सुपरिचित कवि बीरा राजबाबू ‘प्रखर’,अमितेश तिवारी,पूर्णचंद्र बेहरा ,सुनील लम्बाड़ी,महेशक्ष कोपा,श्रीमती गायत्री ठाकुर और श्रीमती बी.रीना ने सामूहिक रूप से श्री पयोधि का सम्मान किया।इस अवसर पर राज्य कृषक कल्याण परिषद् के सदस्य बसंत ताटी विशेष रूप से कार्यक्रम में उपस्थित रहे।


युवा रचनाकारों के आग्रह पर बहुविध साहित्य-सर्जक पयोधि ने भोपालपटनम् से अपनी साहित्य-यात्रा के आरंभिक दौर और प्रतिकूल वातावरण की चर्चा करते हुए अपनी साधना के संघर्ष, रचनात्मक विकास और उलब्धियों पर विस्तृत प्रकाश डाला।जनजातीय संवेदना को अपने सृजन का पाथेय बनाकर जिस प्रकार उन्होंने अपनी अलग पगडंडी बनायी,उसकी चर्चा भी उन्होंने की।कविता,गीत और ग़ज़ल जैसे काव्यरूपों में एक जैसे दक्ष इस सर्जक ने भाषा,भाव,शिल्प की बारीक़ियों और शब्दों की मितव्ययता पर विस्तार से बात करते हुए युवा रचनाकारों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।अंत में सभी उपस्थित रचनाकारों ने काव्यपाठ किया।श्री पयोधि ने ‘उसके होने की सार्थकता’, ‘लॉकडाउन में सूर्यग्रहण’ और ‘इश्क का रंग हरा है’ शीर्षक कविताओं का प्रभावी पाठ किया।

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