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जज साहिबा ने भरी अदालत में फाड़ा वकील का हलफनामा… UAPA केस में भारी ड्रामा…

इम्पैक्ट डेस्क.

UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम मामले में सुनवाई को लेकर वकील ने विशेष न्यायाधीश पर आरोप लगाए हैं। मामला केरल के एर्नाकुलम में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) कोर्ट का है। इस मामले में वकील ने केरल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के पास शिकायत भी दर्ज करा दी है। कहा जा रहा है कि वकील हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का भी रुख कर सकते हैं।

क्या था मामला
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता के वकील ने आरोप लगाए हैं कि उनकी मुवक्किल की तरफ से दाखिल हलफनामे को जज ने फाड़ दिया। इस संबंध में वकील ने जांच की मांग की है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वकील हाईकोर्ट CJI के पास भी शिकायत दर्ज कराने वाले हैं।

विस्तार से समझें
जिस वकील ने शिकायत दर्ज कराई है, उनके मुवक्किल UAPA के तहत आरोपी हैं। वह इस साल जुलाई से ही हिरासत में हैं। इस मामले में जमानत के लिए आवेदन भी दिया गया था, लेकिन अक्टूबर में अभियोजक की तरफ से भी आवेदन दायर किया गया था, जिसमें आरोपी की 7 दिनों की हिरासत की मांग की गई थी।

इसपर शिकायतकर्ता के वकील ने NIA कोर्ट ने आपत्ति दाखिल की। इसमें उन्होंने आवेदन देने में हुई इतनी देरी पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट के अनुसार, वकील के मुवक्किल ने उन्हें अभियोजन के आवेदन के खिलाफ हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था।

सुनवाई पर हुआ ड्रामा
अब जिस दिन कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी थी, उस दिन ही जज ने आरोपी को कोर्ट तक लाने वाले पुलिसकर्मी को गवाही के लिए बुला लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि उसने वकील को अपने मुवक्किल को यह सलाह देते हुए सुना है कि वह झूठे बयान दर्ज करा दे। 
यहां शिकायतकर्ता के वकील की ओर से आपत्ति उठाई गई, लेकिन जज ने पुलिस अधिकारी के बयान रिकॉर्ड किए। शिकायत यह भी की गई है कि आरोपी के बयान रिकॉर्ड नहीं किए गए। इसके बाद आरोपी और वकील ने कोर्ट में अलग-अलग शिकायतें भी दे दीं।

जब कोर्ट में उसी दिन मामले पर दोबारा सुनवाई हुई, तो जज ने आरोपी को दोबारा शिकायत लिखने के लिए कहा। शिकायत में कहा गया है कि उसके बाद उन्होंने वकील की तरफ से दाखिल हलफनामे को फाड़ दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोप लगाए गए हैं, ‘माननीय जज की तरफ से किया गया का पूरी तरह से गलत, अवैध है और न्यायिक प्रथा और शिष्टाचार के खिलाफ है। यह बताया गया है कि पहले भी कई मौकों पर जज का बर्ताव आरोपी के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रस्त रहा है और आदेश पूर्वाग्रह से जारी किए गए थे।’ उन्होंने ये आरोप भी लगाए कि अभियोजक नियमित रूप से जज के कमरे में जाते हैं और अभियोजक और NIA कोर्ट की कार्यवाही का मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहा है।

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