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ऐसे मंदिर बंद कर देना ही बेहतर… हाई कोर्ट ने क्यों की सख्त टिप्पणी?…

इम्पैक्ट डेस्क.

मद्रास हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मंदिरों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कर्ट ने कहा कि मंदिर उत्सव अब अपनी शक्ति दिखाने का मंच बन गए हैं। इसमें अहंकार ही दिखाई देता है जबकि मंदिर लोगों को शांति और खुशी से भगवान की पूजा करने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन अब दिखावा बढ़ रहा है। जो मंदिर हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें बंद कर देना ही बेहतर है। कोर्ट ने कहा कि मंदिर उत्सव में अब एक समूह दूसरे से लड़ते हैं। इसमें कोई भक्ति शामिल नहीं होती। 

जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि अगर मंदिर ही हिंसा को बढ़ावा देने लगेंगे तो फिर उनका अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा। ऐसे में हिंसा को रोकने के लिए ऐसे मंदिरों को बंद कर देना बेहतर है। उन्होंने कहा कि मंदिर को ऐसे मंच के रूप में स्थापित किया जा रहा है जिससे कि शक्ति का प्रदर्शन किया जा सके और बताया जा सके कि ज्यादा ताकतवर कौन है। 

उन्होंने कहा कि इस तरह के क्रियाकलापों से मंदिर उत्सव आयोजित करने का उद्देश्य विफल हो जाता है। बता दें कि अदालत अरुलमिघु श्री  रूथरा महा कलियाम्मन अलायम के ट्र्स्टी थंगारासु की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने मांग की थी कि पुलिस मंदिर उत्सव के लिए सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध करवाए। कोर्ट में सरकारी वकील ने कहा कि इस आयोजन को लेकर दो पक्षों में विवाद है। तहसीलदार ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

मंदिर में विनयगर की मूर्ति को स्थापित करने को लेकर भी विवाद था। ऐसे में जिला प्रशासन ने आदेश दिया था कि कोई भी पक्ष मूर्ति अंदर नहीं रखेगा। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से मंदिर उत्सव के विवादों को सुलझाने के लिए ऊर्चा को व्यर्थ नहीं किया जा सकता। ऐसे में दोनों पक्ष आपस में शांतिपूर्ण उत्सव मनाने का रास्ता निकालें। इसके लिए पुलिस सुरक्षा नहीं दी जा सकती है। यह उत्सव 23 जुलाई से 1 अगस्त तक मनाया जाना था। 
 

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