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बस्तर में पिछले 15 बरसों में भाजपा सरकार ने आदिवासियों को पिछे ढकेलने का काम किया : कवासी लखमा

सुरेश महापात्र।

  • मैं बस्तर का रहने वाला हूं। वहां की बोली, भाषा, समाज के साथ रहने वाला हूं। इसीलिए मुझे मुख्यमंत्री ने मुझे बस्तर का दायित्व सौंपा है…
  • गुटबाजी ना तो मेरे मन में है ना मेरे दिल में… सरकार की नीति का क्रियान्वयन सही तरीके से हो और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचे यही मेरा काम होगा…

बस्तर संभाग के कोंटा विधानसभा क्षेत्र के अपराजित विधायक और इकलौते कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा को हाल ही में संभाग के पांच जिलों दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव और नारायणपुर का प्रभारी मंत्री नियुक्त किया गया है। इस तरह से उनके हिस्से में बस्तर की 11 में से 9 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सरकार ने सौंप दी है। उनकी इस नियुक्ति के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। विशेषकर बस्तर में कांग्रेस की गुटीय राजनीति के बीच समन्वय के लिए लखमा का चेहरा अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिन्हित कर दिया है। प्रिंट बस्तर इम्पेक्ट और वेब सीजीइम्पेक्ट के लिए बस्तर के कद्दावर आदिवासी नेता से कई मुद्दों पर बात की गई। जिसके संपादित अंश प्रस्तुत है —  (2) अंतिम

0 बस्तर संभाग के पांच जिलों का प्रभार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सौंपा है इसे लेकर आप क्या सोचते हैं?

कवासी लखमा : जब से मुझे मंत्री बनाया गया तब से पांच जिलों का प्रभारी मैं ही था लोक सभा चुनाव तक… लोक सभा चुनाव के बाद मुझे धमतरी, महासमुंद जिला दिया गया था। इसके बाद जब नगर निगम और नगर पालिका का चुनाव हुआ तब बस्तर लोक सभा क्षेत्र का दायित्व सौंपा गया। इसका परिणाम भी अच्छा मिला। अभी फिर मुझे बस्तर का दायित्व दिया गया है। मैं बस्तर का रहने वाला हूं। वहां की बोली, भाषा, समाज के साथ रहने वाला हूं। इसीलिए मुझे मुख्यमंत्री ने फिर मुझे बस्तर का दायित्व सौंपा है।

क्यों कि बस्तर में बीते ढाई साल में मुख्यमंत्री ने बहुत काम किया चाहे तेंदूपत्ता के लिए नगद बांटना हो, चाहे कुपोषण के खिलाफ अभियान हो, अंडा बांटना हो… इधर मैदानी इलाकों के मंत्रियों को बस्तर में भाषा में रूबरू होने में, सरकार की नीति और नियम को क्रियान्वित करने में परेशानी हो सकती है। शायद इसी लिए मुख्यमंत्री ने मुझे बस्तर की जिम्मेदारी सौंपी है। मैं कोशिश करूंगा कि सरकार की योजनाओं का लाभ आदिवासियों को ज्यादा से ज्यादा हो। सरकार की नीति अंतिम व्यक्ति गांव और किसान तक पहुंचे।

कांग्रेस पार्टी सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने मेरे जैसे गरीब घर में जन्म लेने वाले को ​जो तेंदुपत्ता तोड़ता था, गोदी खोदता था उसे कांग्रेस पार्टी ने लगातार विधानसभा का टिकट दिया और मैं जनता की सेवा करता रहा। मुझे मंत्री पद भी दिया गया।

0 कांग्रेस की बस्तर राजनीति में पहले नेताम जी, फिर सोढ़ी जी और कर्मा जी के बाद पांच ​जिलों के प्रभारी नियुक्ति को आपको बड़ा चेहरा बनाने के दृष्टिकोण से लोग देख रहे हैं। बस्तर में राजनीतिक संतुलन बनाने को लेकर आपके पास कोई योजना है?

कवासी लखमा : मैं तो यह नहीं कह सकता… आपका यह बड़प्पन होगा कि आप मुझे बड़ा नेता समझ रहे हैं। मैं एक गांव का कांग्रेस पार्टी का आम कार्यकर्ता हूं, कांग्रेस का सिपाही हूं… कांग्रेस पार्टी के नीति व नियम के साथ हमारी सरकार की जो योजना है उसे पहुंचाने का काम सौंपा गया है। हमारे यहां बस्तर में खासकर बड़े नेता और बड़ा गुट जैसी कोई बात नहीं है। हमारी कोशिश होगी मुख्यमंत्री की जो मंशा है और पार्टी व सोनिया गांधी का मार्गदर्शन है वह आम आदमी के बीच में चाहे वह बैलाडिला हो, बचेली हो, भोपालपटनम, नारायणपुर, अबूझमाढ़ या मध्य बस्तर हो… सब मेरा देखा हुआ है। मैं एक बार 2008 में जब बस्तर से अकेला विधायक था तो हर जिला में, मुख्यालय में मैं गया हूं… शायद यही सोचकर मुख्यमंत्री ने मुझे यह दायित्व सौंपा है। मैं जनता के बीच जाकर कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का काम करूंगा।

गुटबाजी ना तो मेरे मन में है ना मेरे दिल में… सरकार की नीति का क्रियान्वयन सही तरीके से हो और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचे यही मेरा काम होगा।

0 एक बात बस्तर में विख्यात है कि कर्मा परिवार से राजनैतिक तौर पर वैचारिक दूरी रही है… ऐसी मान्यता है तो क्या दंतेवाड़ा में काम करने को लेकर कोई बाधा दिख रही है?

कवासी लखमा : देखिये मीडिया में और राजनीति में कर्मा जी का बनता नहीं है… लोग कहते हैं… मैं दस साल जब दंतेवाड़ा और सुकमा जिला एक था तब दंतेवाड़ा और बीजापुर के साथ कोंटा विधानसभा शामिल था। दस साल मैं जिला कांग्रेस का अध्यक्ष था तब महेंद्र कर्मा नेता प्रतिपक्ष रहे। कभी आमने—सामने ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हुई। अभी भी उस परिवार में कर्मा जी की पत्नी विधायक हैं और गांव में भी हम गए थे।

उन लोगों ने भी मुख्यमंत्री से मांग की है कि देवती कर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, लखेश्वर बघेल, सांसद दीपक बैज के मांग करने से ही मुझे लगता है मुझे यह दायित्व सौंपा गया है। बस्तर के जनप्रतिनिधियों ने प्रभार कवासी को देने की मांग की

0 दंतेवाड़ा जिले की यह बड़ी शिकायत रही है कि वहां प्रभारीमंत्री प्रत्यक्ष तौर पर दिखते नहीं है, प्रभारी मंत्री के नहीं होने से कई तरह के काम विलंबित होते रहे हैं… तो क्या आपकी उपस्थिति निरंतर बनी रहेगी।

कवासी लखमा : मेरी पूरी कोशिश रहेगी। मैं महासमुंद और धमतरी जिले में था। जब कोरोना महामारी के दौर में कभी वर्चुअल बैठक तो कभी फील्ड में पहुंचकर दौरा किया। मेरी पूरी कोशिश होगी कि चाहे दंतेवाड़ा हो, बीजापुर हो या नारायणपुर हो लगातार दौरा करूंगा और बैठकें भी लूंगा।

0 डीएमएफ की राशि को लेकर एक बात हमेशा से उठती रही है कि जो योजनाएं बनती हैं वे मूर्त रूप नहीं ले पाती हैं। क्या इसे लेकर कोई योजना है?

कवासी लखमा : डीएमएफ को लेकर मुख्यमंत्री ने पहले से ही गाइड लाइन तैयार करवा दिया है। इस राशि से किस तरह से काम होना है पहले से ही योजना तैयार है। विकास कार्य में 40 प्रतिशत और अन्य व्यक्तिगत लाभ से जुड़ी योजनाओं जिसमें आंगनबाड़ी में बच्चों को सुपोषण के लिए अंडा देने, स्कूल, हास्पिटल जिससे जनता को सीधे लाभ मिले ऐसी योजना तय है।

मध्यप्रदेश के समय और छत्तीसगढ़ में जून, जुलाई, अगस्त में अब से पहले डायरिया, मलेरिया विशेषकर माढ़, जगरगुंडा, आवापल्ली इलाके में बीमारी फैलता था। पिछले समय में जब से हमारी सरकार आई है तब से डीएमएफ के पैसे से बिल्डिंग बनाने में, स्वीमिंग पुल बनाने में खर्च नहीं करना है। बल्कि इस राशि से इस क्षेत्र में जहां जमीन डूबान में हो… जंगल में आश्रित रहने वालों की जिंदगी में कैसा परिवर्तन लाना है… यह प्रयास है।

बस्तर में सलवा जुड़ूम के दौर में अंदर के स्कूल बंद हो गए। गुरूजी रायपुर में आकर कहते थे मैं गोलापल्ली नहीं जा सकता। उस डीएमएफ के फंड से उसी गांव के लड़के को 11 हजार रुपए दे रहे हैं ताकि वह पढ़ाए… पिछली सरकार इस पैसे से केवल सीसी रोड, स्वीमिंग पुल, लिफ्ट बनाने पर खर्च करती रही। ऐसा करके पूरे बस्तर के बर्बाद कर दिया।

अब इस राशि से हमारे यहां देवगुड़ी, घोटूल, हम लोग परंपरा में बस्तर के लोग छह महीने खेती करते हैं और छह महीने मेला, मंडई, शादी आदि में बीताते हैं। इस समय का उपयोग लोगों के आर्थिक विकास के लिए करने के उद्देश्य से जिसमें मुर्गी पालन, अंडा उत्पादन जैसे काम में लगाने की दिशा में प्रयास हो रहा है। इसमें गोठानों का योगदान बढ़ रहा है।

गोठान में काम करने वालों के साथ मुख्यमंत्री ने वर्चुअल बैठक की। हमारे सुकमा के एक आदिवासी ने 80 हजार रुपए का गोबर बेचकर कमाया और पत्नी को सोना खरीदकर दिया। और कोंडागांव में एक युवक ने 3 लाख रुपए गोबर बेचकर अर्जित किए। दंतेवाड़ा में कपड़ा सिलने वाला एक उद्योग लगाया गया है। सोमवार को बारसूर में एक और उद्योग उद्घाटन किया गया।

यह समझना होगा कि अब बस्तर के लोग पहले जैसे नहीं रह गए। बस्तर के लोगों को भी मोबाइल, जूता, फुलपैंट चाहिए। अभी लॉक डाउन में पता चला कि हमारे सुकमा जिले के लोग गोवा में जाकर काम कर रहे थे। मैं पांच बस भेजकर गांव लाया। गोवा और आंध्रा में जो लोग जाकर काम करते हैं उनके लिए इमली प्रोसेसिंग यूनिट, तेंदूपत्ता, अमचूर का काम करने के लिए डीएमएफ का उपयोग किया जा रहा है।

डीएमएफ की राशि के सदुपयोग से कोंडागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा व सुकमा जिले में कुपोषण का दर कम हुआ है। 2018 में जब भाजपा की सरकार थी तब 27 जिले थे जिसमें सुकमा जिला पढ़ाई में 26 वें नंबर में था। 2019 में जब हमारी सरकार आई नौंवे नंबर पर आई। इस साल दसवीं में रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर को पछाड़कर नंबर वन आया। और 12 वीं में छठवें नंबर पर है। तो यह इस डीएमएफ का पैसा सही दिशा में जा रहा है।

छत्तीसगढ़ हिंदुस्तान में पहली सरकार है जो इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल रहा है। इस स्कूल में गुरूजी को डीएमएफ के फंड से ही पैसा दिया जाना है। इसके लिए संविदा नियुक्ति की जा रही है। सोमवार की वर्चुअल बैठक में बीजापुर से इंग्लिश मीडियम स्कूल के लिए बहुत मांग उठी है। मुख्यमंत्री ने जब इंग्लिश मीडियम स्कूल की बात रखी तो विपक्ष ने आरोप लगाया कि यहां कौन अंग्रेजी माध्यम में पढ़ेगा।

जिला स्तर पर इसका परिणाम अच्छा निकला तो आज बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने कुटरू में भी हो, मद्देड़ में भी हो इसके अलावा जो बड़े गांव हैं वहां से भी यह मांग उठ रही है कि इंग्लिश स्कूल खोला जाए। आने वाले समय में हमारे जगरगुंडा और सुकमा के बच्चे अंग्रेजी पढ़ और बोल सकेंगे… भूपेश बघेल की सरकार ने आदिवासियों के विकास की सोच के साथ कदम उठाया है उनके प्रति आभार व्य​क्त करता हूं। उनकी इसी सोच के कारण मुझे बस्तर के पांच जिलों का प्रभारी बनाकर जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बस्तर में पिछले 15 बरसों में भाजपा सरकार ने आदिवासियों को पिछे ढकेलने का काम किया। सलवा जुड़ूम के माध्यम से, स्कूल बंद करवा दिया, आंगनबाड़ी बंद करवा दिया… हम सारे आंगनबाड़ी और स्कूल चाहे वह गोलापल्ली का हो, जगरगुंडा का हो, चाहे अबूझमाड़ का हो जहां का भी हो सभी जगहों पर उसे फिर से खोल रहे हैं।

मैं तो बस इतना कहूंगा कि जिन उद्देश्यों को लेकर सरकार आदिवासी क्षेत्र में काम कर रही है। उसे पूरी ग​ति प्रदान करूं और आम लोगों, जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर विकास की मूल अवधारणा को पूरा करने की दिशा में प्रयास करूंगा।

अंतिम सवाल…

बस्तर में पिछले 15 बरसों में भाजपा सरकार ने आदिवासियों को पिछे ढकेलने का काम किया : कवासी लखमा

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