Distric KabirdhamState News

पौने तीन साल में छत्तीसगढ़ में जिले 32 और तहसील 222 हो गए… दो नए तहसील और दो नए नगर पंचायतों की घोषणा कबीरधाम जिले में…

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

पौने तीन साल में प्रदेश में पांच नए जिले गठित किए गए, जिससे अब छत्तीसगढ़ में जिले की संख्या 27 से बढ़कर 32 हो गई है। इसी तरह तहसीलों की संख्या 147 से बढ़कर 222 हो गई है। इससे अपने काम के लिए जिला या तहसील मुख्यालय आने वाले ग्रामीणों को वहां रात्रि विश्राम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे उसी दिन अपने गांव लौट सकेंगे। उक्त बातें प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के कबीरधाम जिले में दो नए तहसील और दो नए नगर पंचायत की घोषणा करते कही।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कबीरधाम जिले में पिपरिया और कुकदुर को तहसील तथा इन्दौरी और कुण्डा को नगर पंचायत का दर्जा देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री आज रात यहां अपने निवास कार्यालय में कबीरधाम जिले से आए प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि आम जनता की सहूलियत के लिए प्रशासनिक इकाईयों का छोटी इकाईयों में पुनर्गठन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कवर्धा में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने के संबंध में कहा कि केन्द्र से यदि नये मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृति मिलती है तो कवर्धा में भी मेडिकल कॉलेज प्रारंभ किया जाएगा। इस वर्ष केन्द्र से मिली स्वीकृति के आधार पर प्रदेश में कांकेर, महासमुंद और कोरबा में तीन मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति दी गई है। इसके साथ दुर्ग के चन्दूलाल चन्द्राकर मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण किया गया है। उन्होंने कहा कि बोड़ला में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के साथ वहां पूर्व से संचालित हिन्दी मीडियम स्कूल भी संचालित होगा।

इस अवसर पर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, पंडरिया विधायक श्रीमती ममता चन्द्राकर, मनेन्द्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल, राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि गरीब, मजदूर, किसान, महिलाओं सहित सभी वर्गों की आय में वृद्धि हो और उनका जीवन स्तर उन्नत हो सके। इसके लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, 52 लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी सहित अनेक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के भी हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गौठान समितियों को पूर्व में अधोसंरचना विकास के लिए 40-40 हजार रूपए की राशि दी गई थी। इस वर्ष धान की कटाई के पहले भी गौठान समितियों को राशि दी जाएगी। इस राशि से गौठान समितियां धान की कटाई के बाद किसानों के खेतों से पैरा इकट्ठा कर गौठानों में रखने की व्यवस्था करेंगे।

जिससे गौठानों में आने वाले पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सके। उन्होंने कहा कि पशुओं के चारे के लिए लगभग 4 हजार गौठानों में लगभग 10 हजार एकड़ के रकबे में नेपियर तथा अन्य प्रजाति की घास लगाई गई है। इसी तरह वनों में भी लगभग एक हजार हेक्टेयर में घास लगाई गई है। वनों में पैदा होने वाली घास को साइलेज बनाकर गौठानों में पशुओं के चारे के लिए रखा जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!