मैं भी एक किसान हूं, किसानों का दर्द अच्छे से समझती हूं : देवती कर्मा
इम्पेक्ट न्यूज. दंतेवाड़ा।
देश मे चल रहे केंद्र सरकार के हिटलरशाही रवैये से आज पूरा देश परेशान है और इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए केंद्र की मोदी सरकार अब देश का आधार माने जाने वाले किसानों को भी नहीं छोड़ा है। समूचे विश्व मे भारत देश कृषि प्रधान देश माना जाता है और यहां अगर किसानों के हक़ को ही छीन लिया जाए तो ऐसी सूरत में देश के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात नहीं हो सकती है। यह कहना है दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा का।
कृषि बिल के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन को समर्थन देते विधायक देवती महेंद्र कर्मा ने भी गृहग्राम फरसपाल में ही अपने घर पर ही किसानों के साथ इस बिल के खिलाफ मोमबत्ती जलाकर विरोध जताया। श्रीमती कर्मा ने कहा कि देश को पूंजीपतियों के हाथ में बेचने वाले प्रधानमंत्री श्री मोदी कभी किसानों का दर्द नही समझ सकते।
विधायक ने आगे कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री किसानों की आवाज़ नही सुन पा रहे हैं तो ऐसे में केंद्रीय कृषि मंत्री से क्या ही उम्मीद रख सकते हैं? देवती कर्मा ने कहा कि मैं किसान पहले और विधायक बाद में हूं और एक किसान अपने खेतों में कितनी मेहनत और लगन से खेती करता है मैं भलीभांति जानती हूं। इसलिए मैं किसानों का दर्द समझती हूं।
बिना सदन ने सर्वसम्मति से मत कराए इस अध्यादेश को लाना और न्यूनतम समर्थन मूल्य के विषय पर सदन में चर्चा और मतदान के बिना ही इस अध्यादेश को पारित कर देना अलोकतांत्रिक है। इस कानून से किसान की मेहनत को देश के पूंजीपतियों के हाथों में बेचा जा रहा है। जिसका दुष्प्रभाव यह पड़ेगा कि जो किसान आज सहकारी केंद्रों में जा कर अपना फसल बेच पा रहे हैं वे पूंजीपतियों के हाथो की कटपुतली बन कर रह जाएंगे।
अपनी फसल का सही मूल्य तक निर्धारित नही कर पाएंगे। वर्तमान में सरकार द्वारा एक निर्धारित समर्थन मूल्य के माध्यम से दिया जाता है। विधायक देवती कर्मा का कहना है कि अगर मोदी सरकार वाकई में किसान हितैषी है तो सबसे पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य की जानकारी अध्यादेश में लिख कर किसानों के समक्ष रखे।