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दोस्ती, दुश्मनी में कैसे बदली? क्या कलेक्टर अन्य राज्यों से भी जिला बदर कर सकते हैं? बीजापुर में अजय सिंह का जिला बदर को लेकर बड़ा आरोप…

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।बीजापुर।

राजनीति में ना तो कोई स्थाई दोस्त होता है और ना दुश्मन… यह साक्षात देखना हो तो हमे इस समय ​बीजापुर जाना होगा। बीजापुर यानि दक्षिण पश्चिम बस्तर का वह जिला जो सन 2005 में सलवा जुड़ूम अभियान के बाद अस्तित्व में आया। बीजापुर जिला में एक मात्र विधानसभा सीट है यहां कांग्रेस से विक्रम मंडावी मैदान में हैं इन्हें बस्तर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त कर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है। इनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री महेश गागड़ा को मैदान में उतारा है। महेश गागड़ा 2018 में करीब 26 हजार मतों से पराजित हुए थे। इस बार जिले के राजनीतिक तस्वीर अजीब सी है। एक त्रिकोण है जिसमें 2005 के दौर के तीन मित्र ही आपस में एक—दूसरे से टकरा रहे हैं।

इस मामले को लेकर हमने एक विडियो बनाया है देखिये…

2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तो बीजापुर भी मचल उठा दरअसल बीजापुर में हमेशा से वही विधायक रहा जिसकी पार्टी सत्ता में रही। 1990 के बाद राजाराम तोड़ेम, राजेंद्र पामभोई, महेश गागड़ा के बाद विक्रम मंडावी विधायक चुने जाते रहे। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र महाराष्ट्र और तेलंगाना से सटा है। तो इसके सीमावर्ती तेलंगाना के चार और महाराष्ट्र का एक मात्र गढ़चिरौली जिला बीजापुर विधानसभा क्षेत्र से लगा हुआ है। यह जानकारी इसलिए क्योंकि बीजापुर में कांग्रेस के कभी विक्रम मंडावी के बेहद करीबी नेता अजय सिंह को बीजापुर जिला कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने बीजापुर समेत पांच जिलों के लिए एक साल तक जिला बदर का आदेश दिया है।

इस आदेश के बाद जब अजय सिंह भैरमगढ़ से निकले तो उनके पक्ष में जमकर नारेबाजी तो हुई ही साथ ही जिला कलेक्टर और विधायक विक्रम मंडावी के खिलाफ नारे लगाए गए। पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए थोड़ा पिछे चलते हैं…

दिन था रविवार दिनांक 18 जुलाई 2021 इस दिन बीजापुर से विधायक विक्रम मंडावी के मित्र और कांग्रेस के उनके करीबी साथी अजय सिंह को छत्तीसगढ़ सरकार में युवा आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति के बाद विक्रम मंडावी और अजय सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, मंत्री रविंद्र चौबे से मुलाकात कर आयोग सदस्य बनने पर आभार जताते गुलदस्ता सौंपा। इसके बाद 20 जुलाई 2021 को बीजापुर पहुंचे तो स्वागत में विधायक विक्रम भी शामिल रहे। इसके बाद इन दोनों की एक साथ वाली अंतिम तस्वीर सितंबर 2021 को फेसबुक पर अब भी चस्पा है।

इस बीच बहुत कुछ बदल गया। अजय सिंह की वाल पर भैरमगढ़ के निवासी मुरली कृष्णा नायडू ने 9 अक्टूबर 2023 को एक तस्वीर टैग की है इसमें अजय सिंह उनके एक और मित्र महेश गागड़ा को मिठाई खिलाते दिख रहे हैं। इस दिन भारतीय जनता पार्टी ने महेश गागड़ा को बीजापुर से अपना प्रत्याशी घोषित किया था।

दरअसल महेश गागड़ा, विक्रम मंडावी और अजय सिंह 2005 में बीजापुर इलाके में माओवादियों के खिलाफ चल रहे सलवा जुड़ूम अभियान के साथी रहे और इससे पहले वे तीनों आपस में करीबी मित्र भी रहे। तीनों बस्तर के कद्दावर कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा के करीबी भी रहे। समय बदलता गया और राजनीतिक परिदृश्य भी बदला। महेश गागड़ा बीजापुर में भाजपा के नेता बने, विधायक चुने गए।

इसके बाद वे मंत्री रहे। इस दौर में उनके खिलाफ सबसे बड़ी आवाज बनने वाले भैरमगढ़ के अजय सिंह और विक्रम मंडावी ने 2013 में काफी संघर्ष किया। पर इसके बावजूद महेश गागड़ा विजयी हुए। इसके बाद वे वन मंत्री भी रहे। महेश का कद लगातार बढ़ता रहा और प्रशासन में उनकी पकड़ भी बढ़ती गई। 2013 से 2018 के बीच मित्रों के बीच राजनीतिक अनबन का दौर रहा।

इन पांच सालों में विक्रम मंडावी और अजय सिंह ने एक बार फिर जमीनी संघर्ष शुरू किया और 2018 में भाजपा के महेश गागड़ा के विजय रथ को रोकने में कामयाब भी हुए। महेश गागड़ा जनपद पंचायत, जिला पंचायत इसके बाद विधायक और मंत्री तक का सफर तय किया। इस दौर में एक बार तो यह स्थिति आई कि मेन रोड में अजय सिंह के घर की जिला प्रशासन ने नपाई की और एक हिस्से पर बुल्डोजर चला दिया। यानी लड़ाई आर—पार की रही।

2018 में विक्रम मंडावी की जीत के बाद 2021 तक विक्रम और अजय सिंह के बीच सब कुछ ठीक—ठाक रहा पर 2021 के अंतिम तक अंदर खाने मनमुटाव भी शुरू हो गया। वजह राजनीतिक वजूद का बना और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर एक बार फिर अजय सिंह विपक्ष की भूमिका में खड़े हो गए।

दरअसल जिले में चल रहे काम को लेकर प्रशासन की भूमिका ऐसी होती गई कि दो मित्र के बीच पहले दरार पड़ी फिर वह खाई में तब्दील हो गई। अब इस खाई से उपजे विवाद के बाद इस चुनाव से ठीक पहले बीजापुर जिला प्रशासन ने अजय सिंह को जिला बदर घोषित कर दिया है। बड़ी बात तो यह है कि जिला कलेक्टर ने अपने आदेश में अजय सिंह को ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि बीजापुर विधानसभा से सटे तेलंगाना और महाराष्ट्र के जिलों में भी निवास करने पर रोक लगा दिया है। यह उनके अधिकार में है या नहीं यह कानूनी मसला है पर अजय सिंह फेसबुक लाइव पर ​बहुत कुछ कहा है।

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