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#COVAXIN लगाने के बाद भी पीएम नरेंद्र मोदी को अमेरिका ने अनुमति कैसे दी? सोशल मीडिया में छिड़ी बहस… फिलहाल #COVAXIN को डब्ल्यूएचओ ने अब तक मान्यता नहीं दी है… वैक्सीन को लेकर अमेरिका की नई गाइड लाइन क्या है…

इम्पेक्ट न्यूज डेस्क।

नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे को लेकर सोशल मीडिया पर अलग ही तरह की चर्चा शुरू हो गई है। वह यही कि डब्लूएचओ ने अब तक भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मान्यता ही नहीं दी है तो अमेरिका के दौरे पर पीएम को अनुमति कैसे मिली? पीएम नरेंद्र मोदी ने कोविड संक्रमण से बचाव के लिए पूर्ण रूप से भारत में बनी कोवैक्सीन का टीका लगवाया है। जिसकी पहली खुराक मार्च में और दूसरी खुराक अप्रेल में ली।

फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने अभी तक कोवैक्सीन को मान्यता नहीं दी है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने भी इसे मान्यता नहीं दी है। ब्रिटेन के साथ तो हिंदुस्तान में कोविड शील्ड वैक्सीनेशन को लेकर भी विवाद चल रहा है। वहां वैक्सीनेटेड प्रमाणपत्र के बावजूद 10 दिन क्वारंटीन के नियम लागू किए गए हैं।

इधर भारत बायोटेक की कोवैक्सीन टीका लगाने की वजह से हज़ारों भारतीय कोवैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के बाद भी विदेश नहीं जा पा रहे हैं। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका जाने की अनुमति कैसे मिल गयी, इसे लेकर सोशल मीडिया में ढेरों सवाल पूछे जा रहे हैं।

ऐसे में सवाल यही है कि अमेरिका ने कोवैक्सीन की डोज़ लेने वाले भारतीय प्रधानमंत्री को अपने देश आने की अनुमति कैसे दी होगी?

इस सवाल के जवाब में अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार शैलेंद्र देवलांकर बीबीसी मराठी से बात करते हुए बताया, “वैक्सीन का मामला केवल भारत से जुड़ा नहीं है. यह दुनिया के तमाम देशों से जुड़ा है. हर देश के पास तो वह वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो सकती, जिसे अमेरिका में मान्यता है. ऐसे में प्रावधानों में रियायत दी जाती है.”

भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिकी दौरे पर शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करेंगे. इसमें दुनिया भर के 193 देशों के शासन प्रमुख शामिल होंगे.

शैलेंद्र देवलांकर कहते हैं, “जब भी विदेशी संबंधों वाले दौरे होते हैं, राजनयिकों को विशेष रियायत दी जाती है. इसी तरह की रियायत इस बार भी मिली होगी.”

बीबीसी मराठी से बात करते हुए कई देशों में भारत के राजदूत रहे अनिल त्रिगुणायत ने बताया, “कोरोना संकट का समय हर किसी के लिए नया अनुभव है. राजनीतिक संवाद के लिए मेज़बान देश नियमों में रियायत दे सकता है. यह संयुक्त राष्ट्र की बैठक के लिए भी संभव है.”

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सोमवार को व्हाइट हाउस ने कहा है कि नवंबर महीने से भारत सहित दुनिया के 33 देशों के उन लोगों को अमेरिका आने की अनुमति होगी, जो वैक्सीन की दोनों डोज़ ले चुके होंगे.

कोरोना संक्रमण के बाद अमेरिका ने दूसरे देशों से अमेरिका आने पर रोक लगा दी थी. हालांकि आपातकालीन परिस्थितियों में अमेरिका अपने यहां लोगों को आने के लिए वीज़ा प्रदान कर रहा था.

मौजूदा समय में विदेश से अमेरिका आने वाले लोगों को यात्रा से तीन दिन के भीतर की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होती है. इसके अलावा, 90 दिनों के अंदर कोरोना से ठीक होने का प्रमाण-पत्र देना होता है. अमेरिकी सरकार के मुताबिक, हर यात्री को अलग-अलग मामले के तौर पर देखती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोवैक्सीन के निर्माताओं ने वैक्सीन की मान्यता के लिए आवेदन दिया है, लेकिन अभी उन्हें कई जानकारियां मुहैया करानी है.

कोवैक्सीन को कब तक अनुमति मिलेगी?

इस बारे में जून में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ़ साइंटिस्ट डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था, “भारत बायोटेक से बातचीत चल रही है. वैक्सीन की मान्यता के लिए तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे और वैक्सीन उत्पादन से जुड़ी जानकारियाँ जमा करानी होती है.”

विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोवैक्सीन के निर्माताओं से क्लिनिकल ट्रायल संबंधित जानकारी को पूरा करने को कहा है.

आपातकालीन स्थित में कोवैक्सीन को मान्यता देने के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक अक्टूबर में होने की उम्मीद है.

17 सितंबर को भारत बायोटेक ने बताया है कि आपातकालीन परस्थिति में वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी देने के लिए सभी क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन को सौंप दिया गया है.

कंपनी ने ये भी दावा किया कि ”विश्व स्वास्थ्य संगठन के सवालों के जवाब दे दिए गए हैं. अब उनकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार है, लेकिन हमारी वैक्सीन को कब तक अनुमति मिल पाएगी, इसका अनुमान लगाना उचित नहीं होगा.”

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