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हाय ये मजबूरी! नवजात के शव को थैले में रखकर ले गया पिता… सरकारी अस्पताल से नहीं मिली एंबुलेंस…

इम्पैक्ट डेस्क.

मध्य प्रदेश के जबलपुर में इंसानियत को झकझोर देने वाली घटना घटी है। जिले में एक मजबूर पिता को नवजात का शव थैले में रखकर ले जाना पड़ा। इतना ही नहीं पिता ने बस से यात्रा की और शव लेकर घर पहुंचा। पिता का आरोप है कि जिस  सरकारी अस्पताल में बच्चे का इलाज चल रहा था उसने मौत होने पर शव वाहन देने से मना कर दिया। अस्पताल ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। घटना 15 जून को घटित हुई। 

हालांकि, राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि बच्चा तब जीवित था जब उसके माता-पिता उसे अस्पताल से बाहर ले गए। डॉक्टरों ने उन्हें ऐसा ना करने को कहा था क्योंकि बच्चे की स्थिति गंभीर थी। राज्य के डिंडोरी जिले के सहजपुरी गांव निवासी सुनील धुर्वे ने कहा कि उनकी पत्नी जमनी बाई ने 13 जून को सरकारी अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया। जन्म से ही बच्चा काफी कमजोर था। इसलिए केस को जबलपुर स्थित सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘बच्चे को जबलपुर में सरकार द्वारा संचालित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 15 जून को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। अस्पताल ने हालांकि, शव को मेरे मूल स्थान पर ले जाने के लिए शवगृह उपलब्ध नहीं कराया। आर्थिक तंगी के कारण मुझे शव को बैग में रखकर बस से सफर करना पड़ा।’ मामले पर राज्य स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. संजय मिश्रा ने कहा कि जब जबलपुर के सरकारी अस्पताल ने डिस्चार्ज किया तब बच्चा जीवित था।

मिश्रा ने कहा कि बच्चे को डिंडोरी जिले के एक अस्पताल से जबलपुर अस्पताल रेफर किया गया था। उन्होंने कहा, ‘नवजात बच्चे को भर्ती करके उसका इलाज शुरू कर दिया गया। लेकिन उसके माता-पिता ने अस्पताल से अपने बच्चे को डिस्चार्ज करने का अनुरोध किया। डॉक्टर्स ने उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए कहा, क्योंकि बच्चे की हालत गंभीर थी।’ यह पूछे जाने पर कि क्या मृत व्यक्तियों को ले जाने के लिए कोई शव वाहन उपलब्ध है, तो उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में ऐसी कोई सुविधा नहीं है। बता दें कि डिंडोरी जबलपुर से लगभग 140 किमी दूर स्थित है।

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