Madhya Pradesh

जनसुनवाई में प्राप्त 54 आवेदनों पर हुई सुनवाई

 डिंडौरी
कलेक्टर  विकास मिश्रा के निर्देशन में आज मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जनसुनवाई आयोजित कर लोगों की शिकायतें सुनी गईं। जनसुनवाई में आवेदकों द्वारा अपनी समस्याओं को रखा गया। अधिकारियों द्वारा 54 आवेदकों की समस्याएं सुनकर उनका निराकरण किया गया। जिन आवेदनों का निराकरण नहीं हो पाया उन आवेदकों को समय सीमा दी गई। सबंधित अधिकारियों को समय सीमा में आवेदकों की शिकायतों का निराकरण कर अवगत कराने के निर्देश दिए गए।

     जनसुनवाई में ग्राम धनुवासागर निवासी बिहारी पिता कोदू सिंह सहित अन्य लोगों द्वारा आवेदन देते हुए बताया गया कि उनके परिवार के लगभग सौ वर्ष से बुजुर्ग, महिलाएं, युवा बच्चे, पुरूष डिंडौरी जिले में निवास कर रहे हैं। सात पीढियों से हमारे राठौर समाज को बहिष्कृत करके रसूखदारों द्वारा रखा गया है। शिकायतकर्ताओं ने समस्या के निराकरण की मांग की है। इसी तरह आवेदक बलराम पिता ब्रजलाल राठौर निवासी ग्राम घानाघाट ने आवेदन प्रस्तुत कर बताया कि उसके उसकी पत्नी कृष्णा बाई के नाम से ग्राम तितराही में जमीन है। इस जमीन का पट्टा व खसरा सही है। इस भूमि का नक्शा काटने के लिए तहसीलदार द्वारा वर्ष 2002 में आदेश किया गया था। आदेश के बाद भी अब तक नक्शा नहीं काटा गया है। आवेदक ने मामले के निराकरण की मांग की है।

इसी तरह आवेदिका तुलसी बाई पति स्व. राधेश्याम निवासी ग्राम गिटौरी जनपद अमरपुर द्वारा मप्र भवन व अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल व संबल कार्ड का लाभ दिलाने की मांग की है। महिला ने बताया कि उसके द्वारा 11.11.2022 को समस्त दस्तावेजों के साथ जनपद पंचायत अमरपुर में आवेदन भी दिया गया था। उसके बाद से उसे लगातार भटकाया जा रहा है। इसी तरह बजाग निवासी राधेश्याम साहू द्वारा आवेदन प्रस्तुत कर बताया गया कि उसने 14.8.2022 को मौखिक आदेश पर ग्राम धुरकुटा में तिरंगा महोत्सव के लिए टेंट लगाया गया था। जिसकी राशि 46200 रूपये का भुगतान आज तक नहीं किया गया है।

आवेदक ने राशि का भुगतान कराने की मांग की है। इसी तरह लोकमणि चंदेल पिता पूरन चंदेल निवासी ग्राम चटुवा ने आवेदन देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत से आधा किलोमीटर दूर पांच छह पुलिया निर्माण व चेक डेम निर्माण हो रहा है। निर्माण कार्य में शासन की राशि का दुरूपयोग कर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। आवेदक ने बताया कि विरोध करने पर उसे फंसाने की धमकी दी जाती है। आवेदक ने निर्माण कार्य कराने वालों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

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