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सरकार की सख्ती : IAS अफसरों के पास कितनी संपत्ति है और कहां से मिली है, देना होगा 11 साल का ब्यौरा… 60 दिन के भीतर नहीं दी जानकारी तो होगी कार्रवाई…

इम्पैक्ट डेस्क

देश में आईएएस अफसरों के पास कितनी अचल संपत्ति है और वह कहां से मिली है, ये जानकारी उन्हें हर हाल में देनी होगी। अगर किसी आईएएस ने नियमित तौर से अपनी अचल संपत्ति का खुलासा नहीं किया है, तो उसे अब 11 साल का ब्यौरा देना पड़ेगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने समय सीमा भी निर्धारित की है। दूसरे शब्दों में इसे एकबारगी छूट कहा जा सकता है। जिस विंडो पर आईपीआर भरी जाती है, वह 15 जुलाई से 14 सितंबर तक खुली रहेगी। डीओपीटी ने इस बाबत सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे संबंधित अधिकारियों से तय समय सीमा में आईपीआर भरवाना सुनिश्चित करें।

आईपीआर न भरने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान

आईपीआर को लेकर केंद्र सरकार समय-समय पर सख्त आदेश जारी करती रही है। गत वर्ष केंद्र एवं राज्यों में कार्यरत सभी आईएएस अधिकारियों को वह ‘स्रोत’ भी बताने के लिए कहा गया था, जिसके माध्यम से उसके परिवार के किसी सदस्य ने कोई प्रॉपर्टी ली है। अगर किसी अधिकारी ने परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति के नाम पर कोई अचल संपत्ति ली है, तो उसका ब्यौरा भी देना अनिवार्य है। डीओपीटी की एस्टेब्लिशमेंट अफसर एवं अतिरिक्त सचिव दीप्ति उमाशंकर ने दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार के सभी सचिवों और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर उक्त जानकारी लेने के लिए कहा था। उनके पत्र में यह भी लिखा था कि कोई आईएएस अफसर 60 दिन में (31 जनवरी 2022 तक) यह जानकारी नहीं देता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार, अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

चेतावनी के प्रति आईएएस अफसर बेपरवाह

इसके बाद भी अनेक आईएएस अफसर ऐसे रहे हैं, जिन्होंने दिसंबर 21 तक अपनी आईपीआर नहीं भरी। देश में 567 आईएएस अधिकारी ऐसे थे, जो अपनी अचल संपत्ति छिपाना चाह रहे थे। इन अधिकारियों ने अचल संपत्ति रिटर्न ‘आईपीआर’ भरने से गुरेज किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से आईपीआर दाखिल करने की अपील की थी। इसका भी लोक सेवकों पर कोई असर नहीं हुआ। उसके बाद विजिलेंस कार्रवाई का भय दिखाया गया। यह तरीका भी बेअसर रहा। उस दौरान 32 आईएएस अफसर तो ऐसे रहे हैं, जिन्होंने तीन साल से अधिक समय तक आईपीआर दाखिल नहीं की थी। विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था।

रिपोर्ट में कहा गया कि बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारी हर साल अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। यह बात, प्रणाली में गहरी खराबी की ओर इशारा करती है। इसका यह भी अर्थ है कि लोक सेवकों के लिए ‘विजिलेंस क्लीयरेंस से मना करना’ अब एक प्रभावी निवारक के रूप में काम नहीं कर रहा है।

तीन साल में 567 आईएएस अधिकारियों ने नहीं भरी ‘आईपीआर’

विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन सुशील कुमार मोदी द्वारा वह रिपोर्ट संसद के पिछले सत्र में पेश की गई थी। इस कमेटी में लोकसभा व राज्यसभा के 31 सदस्य शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 567 आईएएस अधिकारियों ने 2018 से 2021 के दौरान आईपीआर जमा नहीं कराई। इस रिपोर्ट को हर साल 31 जनवरी तक जमा कराना जरूरी है। केंद्र सरकार ने कई वर्ष पहले ‘आईपीआर’ दाखिल करने के लिए ‘ऑनलाइन प्लेटफार्म’ तैयार कर दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में 135 आईएएस ने आईपीआर जमा नहीं कराई। 2019 में ऐसे अधिकारियों की संख्या 128, 2020 में 146 आईएएस और 2021 में 158 आईएएस ने आईपीआर फाइल करने से पूरी तरह गुरेज किया। खास बात ये है कि सीधी भर्ती से आईएएस में आए अधिकारी भी आईपीआर भरने से बच रहे हैं। दो साल से अधिक समय तक आईपीआर नहीं दाखिल करने वाले अफसरों की संख्या 64 रही है। तीन साल से जिन आईएएस ने आईपीआर नहीं भरी, उनकी संख्या 44 है। तीन साल से अधिक समय तक आईपीआर न भरने वाले भी मौजूद हैं।

समिति ने पूछा तो डीओपीटी से मिला ये जवाब

संसदीय स्थायी समिति ने जब डीओपीटी से जवाब मांगा, तो रटा-रटाया जवाब दे दिया गया। उसमें नियमों का हवाला दिया गया था। ये नहीं बताया गया कि आईएएस, अपनी अचल संपत्ति को क्यों छिपाना चाहते हैं। संसदीय समिति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को सिफारिश की है कि सतर्कता मंजूरी से इनकार करने के अलावा अन्य कड़े उपायों को सूचीबद्ध किया जाए। इन उपायों को उन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाए, जो निर्धारित समय सीमा के भीतर वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं। डीओपीटी ने अपने उत्तर में कहा, अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के नियम 16(2) के अनुसार, प्रत्येक लोकसेवक के लिए अचल संपत्ति के संबंध में पूर्ण विवरण देना अनिवार्य है। लोक सेवक को विरासत में संपत्ति मिली है, उसके स्वामित्व में है, उसके द्वारा अर्जित की गई है, पट्टे पर है, गिरवी रखी गई है, उसके नाम पर है, परिवार के किसी सदस्य के नाम पर है या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर है, इसका विवरण देना आवश्यक है।

डीओपीटी ने कई बार जारी किए हैं निर्देश

डीओपीटी ने आईपीआर को ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा अप्रैल 2015 से शुरू की थी। जनवरी 2017 को स्थापना अधिकारी एवं अपर सचिव ने डीओ पत्र दिसंबर 2017 को सभी संवर्गों के मुख्य सचिवों को संबोधित करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र से संबंधित सभी आईएएस अधिकारियों को समय पर आईपीआर ऑनलाइन दाखिल करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। इसके बाद, सचिव (पी) ने डीओ पत्र दिनांक दिसंबर 2018, नवंबर 2019 और ईओ और एएस ने पत्र जनवरी 2021 के माध्यम से सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए हैं कि आईएएस अधिकारी निर्धारित समय के अनुसार आईपीआर मॉड्यूल में अपने आईपीआर ऑनलाइन जमा करें।

विजिलेंस क्लीयरेंस के लिए जरुरी है आईपीआर भरना

केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए (ए) प्रस्ताव सूची में शामिल करने के उद्देश्य से सतर्कता मंजूरी लेना अनिवार्य किया है। (बी) पैनल में या (सी) में कोई भी प्रतिनियुक्ति, जिसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है, उस वक्त संबंधित अधिकारी की विजिलेंस क्लीयरेंस देखी जाती है। यदि कोई अधिकारी पिछले वर्ष की अपनी वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न अगले वर्ष की 31 जनवरी तक जमा करने में विफल रहता है, तो उसे सतर्कता मंजूरी से वंचित कर दिया जाएगा। वर्ष 2020 के लिए आईपीआर दाखिल नहीं करने वाले त्रुटिपूर्ण आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई के संबंध में, एआईएस (आचरण) नियम, 1968 के नियम 16 (2) के तहत कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों को दोषी अधिकारियों की सूची अग्रेषित की गई थी। संबंधित वेतन नियमों में संशोधन के माध्यम से संबंधित एआईएस के अगले उच्च ग्रेड में पदोन्नति प्रदान करने के लिए भी आईपीआर समय पर जमा करना एक अनिवार्य शर्त है।

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