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छत्तीसगढ़ में #ED ने रचा इतिहास… किसी जिला कलेक्टर के सरकारी बंगले पर पहली बार छापा और बंगला सील करने की कार्रवाई… कलेक्टर रायगढ़ रानू साहू कहां हैं? यह सवाल गहराया… आईएएस से नेता बने OP ने क्या चेताया है यह भी देखें…

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

छत्तीसगढ़ में करीब 18 घंटे पहले प्रवर्तन निदेशालय ईडी की टीम ने करीब डेढ़ दर्जन ठिकानों में छापा मारा। इस छापा की कार्रवाई के साथ ही छत्तीसगढ़ के नाम एक और इतिहास दर्ज हो गया है। किसी जिला कलेक्टर के सरकारी बंगले पर पहली बार ईडी ने छापा की कार्रवाई कर बंगला को सील किया है। हांलाकि इस बारे में प्रदेश के ब्यूरोक्रेट कुछ भी कहने से साफ बच रहे हैं।

यह दावा किया जा रहा है कि छापे से ठीक पहले रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू बंगले से बाहर निकल गईं थीं। इसके बाद से किसी के पास यह पुख्ता खबर नहीं है कि वे फिलहाल कहां हैं? यह भी बताया जा रहा है कि रानू साहू दिल्ली निकल गईं थीं वहां से लौटीं या नहीं इसकी भी जानकारी ​किसी के पास नहीं है।

यदि कलेक्टर रानू साहू जिले में मौजूद नहीं हैं तो वहां उनकी गैर मौजूदगी में जिला कलेक्टर का प्रभार किसके पास है? इस बारे में ना तो सरकार के सूत्र कुछ कह रहे हैं और ना ही जिले के अधिकारी!

उल्लेखनीय है कि 11 अक्टूबर की अल सुबह करीब 5 बजे ईडी की टीम ने करीब 19 ठिकानों में छापा मारा। इस कार्रवाई की जद में तीन आईएएस अधिकारी कलेक्टर रानू साहू, खनिज विभाग के प्रमुख जेपी मौर्य और मार्कफेड के प्रबंध संचालक समीर विश्नोई के साथ, मुख्यमंत्री की ओएसडी सौम्या चौरसिया, सीए दवे और ठेकेदार सूर्यकांत तिवारी, कोयला व्यापारी व उसके परिवहन से जुड़े व्यवसायियों के ठिकानों में एक साथ दबिश दी गई।

फिलहाल ईडी की ओर से किसी तरह की जानकारी नहीं ​दी गई है कि इस कार्रवाई में अब तक क्या हासिल हुआ है? सभी की निगाहें ईडी के प्रेस स्टेटमेंट पर लगी हुई हैं। पर इन सबके बीच यह चर्चा गर्म है कि यदि रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू छापे से ठीक पहले बंगला छोड़कर निकलने में कामयाब हो गईं तो क्या उनके सरकारी निवास पर छापे की खबर लीक हो गई?

नियमत: किसी भी कलेक्टर को जिला मुख्यालय छोड़ने से पहले राज्य सरकार को जानकारी देनी होती है। यदि कलेक्टर राज्य से बाहर जाते हैं तो इसके लिए मुख्य सचिव की सहमति आवश्यक होती है। यदि कलेक्टर ने अवकाश लिया है तो इसके लिए भी एक निश्चित प्रक्रिया है जिसका पालन किया जाना अनिवार्य है। इस मसले पर फिलहाल कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से साफ बच रहा है।

पूर्व आईएएस और वर्तमान भाजपा के प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी ने छापे के करीब सात घंटे बाद सोशल मीडिया में अपना एक विडियो संदेश पोस्ट किया इसमें उन्होंने एक संदेश भी लिखा जिसे आने वाले दिनों में प्रदेश के ब्यूरोक्रेट के लिए संदेश के तौर पर भी लिया जा रहा है। ओपी चौधरी ने लिखा है ‘शर्मशार हुआ हमारा छत्तीसगढ़… देश के इतिहास में भ्रष्टाचार के विरुद्ध छापे का अनोखा उदाहरण सामने आया है… अधिकारी किसी के चापलूसी और स्वार्थ पूर्ति का साधन न बनें… वरना जो बोवोगे,वही तो काटोगे…’ देखें विडियो

ईडी की इस कार्रवाई से सकते में सरकार

ईडी की आज की कार्रवाई से सरकार सकते में दिखी। आज दोपहर एक बजे जनसंपर्क विभाग ने अपने वाट्सएप ग्रुप पर पहली जानकारी शेयर की जो कि कोविड वेक्सीनेसन को लेकर थी। दिन भर मुख्यमंत्री के किसी भी कार्यक्रम की कोई खबर नहीं रही। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते एक ट्वीट किया देखें…

बहरहाल ‘कोयले की दलाली में हाथ काला’ वाली कहावत राजधानी की चर्चा में शामिल है। हर कोई यही कह रहा है कि मामला आईटी के छापे से शुरू हुआ था जिसमें जो दस्तावेज मिले उसकी पड़ताल के लिए ईडी धमक गई है। ईडी की टीम के आने की सुगबुगाहट तो दो—तीन दिनों से रही पर 11 अक्टूबर की देर शाम एक और टीम फ्लाइट से उतरी है जिसमें कुल जमा पांच और अफसर दिल्ली से पहुंचे हैं उन्हें बुलाने का सबब यही है कि कागज है जिसे पढ़ा जाना है और समझा भी जाना है। इधर प्रदेश में लोग ईडी के आफिसिएल स्टेटमेंट के इंतजार में हैं उसी से जाहिर होगा कि किस बात को लेकर सीएम भूपेश बार—बार अपने बयान मे कह रहे हैं कि ‘वे हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं…!’

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