Madhya Pradesh

35 साल से कांग्रेस कभी इंदौर लोकसभा सीट नहीं जीत पाई

इंदौर

इंदौर में 80 के दशक तक कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में रही, लेकिन 1983 में बनी भाजपा की निगम परिषद के बाद इंदौर में भाजपा संगठनात्मक स्तर पर मजबूत होती चली गई और अब यह स्थिति है कि इंदौर जिले की नौ सीटें और नगर निगम परिषद भाजपा के कब्जे में है।

इंदौर का पिछला लोकसभा चुनाव भी भाजपा ने चार लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीता। कांग्रेस की सरकारों ने इंदौर को काफी कुछ दिया, लेकिन अपनी ही सरकार के कामों को कांग्रेस के स्थानीय नेता भुना नहीं पाए। इंदौर में आईआईएम, आईआईटी कांग्रेस सरकार की देन है। जवाहरलाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत इंदौर में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने बीआरटीएस प्रोजेक्ट, मल्टीलेवल पार्किंग, मास्टर प्लान सड़कों के निर्माण सहित दो हजार करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट इंदौर के लिए मंजूर किए।

इंदौर में 1989 का लोकसभा चुनाव सुमित्रा महाजन ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी को हरा कर जीता था। उसके बाद वे लगातार आठ चुनाव जीतीं। 35 सालों में कांग्रेस फिर कभी इंदौर लोकसभा सीट नहीं जीत पाई। वर्ष 1998 से इंदौर में भाजपा की नगर निगम परिषद काबिज है। कांग्रेस निगम चुनाव में कभी भी टक्कर देने की स्थिति में नहीं रही। वहीं, इंदौर की छह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कभी बढ़त हासिल नहीं की। इंदौर की तीन नंबर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने लगातार तीन बार और राऊ विधानसभा सीट पर लगातार दो बार जीत हासिल की।

कामों को भुना नहीं पाई कांग्रेस
इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता शिवाजी मोहिते का कहना है कि इंदौर में कांग्रेस एक समय काफी मजबूत थी, लेकिन 1989 के बाद संगठन पर बड़े नेतागणों ने ध्यान नहीं दिया। कई सालों तक कार्यकारिणी घोषित नहीं होती थी, जबकि भाजपा ने वार्ड और बूथ स्तर पर संगठन खड़ा करने में मेहनत की। इंदौर में कई बड़े काम कांग्रेस सरकार की देन हैं, लेकिन चुनाव के समय कांग्रेस उम्मीदवार उसे भुना नहीं पाए। इंदौर में आईआईएम, आईआईटी, मेट्रो प्रोजेक्ट कांग्रेस ने मंजूर किए।

भाजपा ने महिला व युवा वर्ग पर किया फोकस
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी का कहना है कि इंदौर में भाजपा ने महिला व युवा वर्ग पर फोकस किया। इंदौर में दो बार भाजपा की महिला मेयर, लगातार आठ बार से महिला सांसद रही हैं। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में भी युवा चेहरों को भाजपा ने मौका दिया। वे कहते है कि इंदौर में भाजपा के संगठन का ढांचा मजबूत है। इंदौर में आरएसएस का भी तगड़ा नेटवर्क है। इस कारण भाजपा का परंपरागत वोटबैंक इंदौर में लगातार बढ़ रहा है। कांग्रेस इंदौर में नेता आधारित पार्टी के रूप में काम कर रही है। संगठन का काम करने वाले पार्टी वर्कर की कांग्रेस में हमेशा कमी महसूस की जाती है।

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