District Kanker

CG : जहां लाखों लीटर पानी बर्बाद, वहीं सूख रहे गले… गड्ढा खोदकर प्यास बुझा रहा गांव, बोले- जान बचाने को क्या करें…

इम्पैक्ट डेस्क.

कांकेर में जहां एक फूड इंस्पेक्टर अपने मोबाइल के लिए 21 लाख लीटर पानी बर्बाद करा देता है। वहीं से महज एक किमी दूर पूरे गांव के गले प्यास से सूखे हुए हैं। यहां के लोग रोज सुबह बर्तन लेकर घरों से निकलते हैं और फिर गड्ढे में भरा पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं। खास बात यह है कि इसी गड्ढे के पानी में मेंढक कूदते रहते हैं और मछलियां तैरती हैं। बदबू इतनी कि आप हाथ भी लगाना पसंद नहीं करेंगे। जलाशय से महज कुछ दूरी पर पानी के लिए जद्दोजहद की यह तस्वीर हैरान कर देती है।

गांव में एक नल, वो भी चार माह से खराब
दरअसल, पिछले  दिनों मोबाइल के लिए पंखाजूर के परलकोट जलाशय से करीब छह फीट पानी मोटर पंप लगाकर बहा दिया गया था। इसी जगह से एक किमी की दूरी पर बसा है, बोगानभोड़िया गांव। कोयलीबेड़ा ब्लॉक के इस गांव में 20 से 25 परिवार निवास करते हैं और उनकी आबादी 80 से 90 लोगों की होगी। गांव में लगा एकमात्र नल करीब चार माह से खराब है। ग्रामीणों ने इसे लेकर कई बार सरपंच और प्रशासन में शिकायत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अफसरों के चक्कर लगाकर लोग थक गए। 

पानी पीकर बच्चे और लोग हो रहे बीमार
इसके बाद मजबूरी में प्यास बुझाने का जरिया बना गंदे पानी का झरिया (पानी से भरा गड्ढा)। ग्रामीण सुबह अपने घरों से बर्तन लेकर कुछ दूरी पर स्थित झरिया से पानी लेने पहुंचते हैं। कपड़े से छानकर इस पानी को बर्तन में भरा जाता है। फिर इसी का इस्तेमाल दैनिक कामों और खाना बनाने व पीने में किया जाता है। पानी पीकर बच्चे-बुजुर्ग रोज ही बीमार पड़ते हैं, पर सुनने वाला कोई नहीं है। ग्रामीण कहते हैं कि बीमार पड़ते हैं, पर जान बचाने के लिए और प्यास बुझाने के लिए क्या करें। 

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