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CG : रावघाट से पहली बार भिलाई इस्पात संयंत्र पहुंचा आयरन ओर… सेल का बढ़ेगा प्रोडक्शन, उत्पादन लागत भी कम होगा…

इम्पैक्ट डेस्क.

धुर नक्सल प्रभावित रावघाट क्षेत्र से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) की इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र (‌‌BSP) में पहली बार लौह अयस्क की खेप आई। अंतागढ़ तक ट्रकों से लौह अयस्क लाने के बाद रेल से भिलाई इस्पात संयंत्र तक आयरन ओर की सप्लाई की गई। रावघाट से आयरन ओर लाने लंबे समय से कवायद चल रही थी। लौह अयस्क आने के बाद अब बीएसपी को प्रोडक्शन बढ़ेगा और उत्पादन लागत भी कम हो जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आयरन ओर की पहले खेप आने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि संघर्षों के बाद यह खदान बचाई जा सकी। छत्तीसगढ़ के विकास में यह मिल का पत्थर साबित होगा। सीएम ने रावघाट क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने की भी याद भी दिलाई।

बता दें कि भिलाई इस्पात संयंत्र की महत्वाकांक्षी परियोजना का पहला चरण पूर्ण होने की ओर है। रावघाट खदान क्षेत्र से भिलाई इस्पात संयंत्र को लौह अयस्क की आपूर्ति करने लंबे समय से प्रयास किया जा रहा था। रावघाट लौह अयस्क खदान क्षेत्र के एफ ब्लॉक के अंजरेल क्षेत्र में दिसंबर-2021 में भिलाई इस्पात संयंत्र ने आयरन ओर खनन का काम शुरू किया है। लौह अयस्क को भिलाई तक लाने के लिए रेल लाइन भी बिछाई जा रही है। अंजरेल से खनन किए गए आयरन ओर की पहली रैक का तकनीक ट्रायल लेते हुए अंतागढ़ से भिलाई इस्पात संयंत्र लाया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र परिसर में 11 सितंबर को निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता संयंत्र के अधिकारियों ने रैक का स्वागत किया।

मेक इन इंडिया के सपनों को साकार कर रहा सेल-BSP
संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने कहा कि यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ की धरती से आयरन ओर ब्लास्ट फर्नेस, स्टील मेल्टिंग शॉप तक पहुंचता है और विश्व स्तरीय उत्पादों का निर्माण करते हैं। दल्ली-राजहरा रावघाट के अयस्क से विकास का एक नया रास्ता तय होगा। रावघाट से लंबे समय बाद खनन साकार हुआ है। इससे सेल-बीएसपी, राज्य सरकार के सहयोग से प्रगति करेगी और सभी तकनीकी मुद्दों से निपटेगी। भिलाई इस्पात संयंत्र-सेल मेक इन इंडिया के सपनों को साकार कर रहा है। दासगुप्ता ने अंजरेल के खोड़गांव ग्राम पंचायत के 27 प्रशिक्षु छात्रों का स्वागत किया और उनसे बातचीत की, जो तकनीकी परीक्षण देखने के लिए बीएसपी आए थे। 

रावघाट क्षेत्र से सालाना 3 लाख टन आयरन ओर लाएंगे 
भिलाई इस्पात संयंत्र ने रावघाट क्षेत्र में 3 लाख टन प्रतिवर्ष लौह अयस्क की माइनिंग करने की योजना है। लौह अयस्क से संबंधित सभी एनओसी संयंत्र को मिल चुकी है। 10 सितंबर को अंतागढ़ से 21 वैगन की प्रथम रैक को लोड किया और भिलाई के लिए रवाना किया। अंजरेल से अंतागढ़ रेलवे स्टेशन तक 50 किलोमीटर सड़क मार्ग से और अंतागढ़ रेलवे स्टेशन से भिलाई इस्पात संयंत्र तक 150 किलोमीटर का रास्ता तय कर पहली रैक 11 सितंबर को भिलाई इस्पात संयंत्र पहुंचा। अंजरेल के आयरन ओर में 62% तक आयरन (एफई) की मात्रा है। इस लौह अयस्क से भिलाई इस्पात संयंत्र की इस्पात उत्पादन की लागत में कमी आएगी। भिलाई ने अंजरेल में दिसंबर 2021 में लौह अयस्क खनन का काम शुरू किया था। इस अवसर पर संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) एके भट्टा, कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) अंजनी कुमार, कार्यपालक निदेशक (खदान) तपन सूत्रधार, कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) एमएम गद्रे, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) एस मुखोपाध्याय, कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) डॉ. एके पंडा तथा पूर्व कार्यपालक निदेशक (खदान) मानस बिस्वास और पूर्व कार्यपालक निदेशक (खदान) पीके सिन्हा, पूर्व महाप्रबंधक एके मिश्रा मौजूद रहे। 

दल्लीराजहरा से अंतागढ़ तक 60 किमी रेल लाइन तैयार
बता दें कि रावघाट क्षेत्र से आयरन ओर खनन और भिलाई तक परिवहन करने दल्ली राजहरा से नारायणपुर और नारायणपुर से जगदलपुर तक रेललाइन परियोजना सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र और भारतीय रेलवे द्वारा बनाया जा रहा है। इस परियोजना के तहत दल्ली राजहरा से अंतागढ़ तक 60 किलोमीटर लंबी रेललाइन का काम पूरा हो चुका है। आगे का काम भी तेजी से किया जा रहा है। अंतागढ़ में लौह अयस्क के परिवहन को ध्यान में रखते हुए स्टेशन के नजदीक एक वे ब्रिज और स्टाक यार्ड का निर्माण भी किया गया है। वर्तमान में अंजरेल से अंतागढ़ तक लौह अयस्क का परिवहन सड़क मार्ग से किया जा रहा है। नारायणपुर तक रेललाइन का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद पूरा परिवहन गुड्स ट्रेनों से किया जाएगा।

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