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CG : सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर रहे एलेक्स पॉल मेनन अपनी अपहरण के बात को लेकर ये बोले… 2012 में 12 दिन तक नक्सलियों के चुंगल में फंसे रहे थे…

इम्पैक्ट डेस्क.

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और सुकमा जिले के तत्कालीन कलेक्टर रहे एलेक्स पॉल मेनन ने उन नक्सलियों को पहचानने से इंकार कर दिया जिन्होंने 21 अप्रैल 2012 में उनका अपहरण कर लिया था। उन्होंने कोर्ट के सामने यह भी बताय की भविष्य में भी वह उन नक्सलियों को नहीं पहचान पाएंगे। गौरतलब हैं की एलेक्स पॉल करीब 12 दिन नक्सलियों के चंगुल में थे जबकि 13वें दिन नक्सलियों के साथ हुई मध्यस्थता और चर्चा के बाद उन्हें सकुशल रिहा कर दिया गया था। कलेक्टर की रिहाई से प्रशासन समेत समूचे छग सरकार ने राहत की सांस ली थी। इसी मामले में चल रहे सुनवाई में तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन एनआइए के विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे के समक्ष बयान दर्ज कराने पहुंचे थे।

अपने बयान में उन्होंने कहा हैं की 21 अप्रैल 2012 को सुकमा जिले के केरलापाल स्थित मांझी पारा में जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहा था, उसी समय वहां पर गोली चलने की आवाज आई। गोली की आवाज सुनकर मैं अपने आम को बचाने के लिए जमीन के नीचे लेट गया था। इसके बाद शिविर में अफरा-तफरी मच गई। सभी इधर-उधर भागने लगे। मैने देखा कि मेरे एक गनमैन किशुन कुजूर जमीन के नीचे पड़ा हुआ था। उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि साहब आप भाग जाईये। तब मैं भाग कर अपने वाहन से आगे जा रहा था। तभी रास्ते में 3-4 बंदूकधारी नकाबपोश लोगों ने मेरी गाड़ी को रोक लिया। रोककर हम सभी को गाड़ी से उतारकर पूछे कि कलेक्टर कौन है, फिर मैं सामने आया, फिर वे लोग मेरे हाथ को रस्सी से और आंख में पट्टी बांध दिया और खींचते हुए मुझे जंगल की ओर कहीं ले जाकर 10 मिनट बाद मेरे आंख की पट्टी निकाल दिये। फिर वे अपने साथ जंगल में 13 दिन रहे।

इससे पहले मेनन की रिहाई के बदले माओवादियों ने सरकार के समक्ष ऑपरेशन ग्रीनहंट को बंद करने और उनके आठ सहयोगियों को रिहा करने की मांग रखी थी। बाद में सरकार की ओर से और नक्सलियों की ओर से दो-दो मध्यस्थों को रखा गया था। मध्यस्थों के बीच हुई लंबी चर्चाओं के बाद एक समझौता हुआ था और माओवादियों ने कलेक्टर की रिहाई के लिए हामी भरी थी। नक्सलियों ने कहा था कि वे 3 मई को ताड़मेटला में जिलाधिकारी को रिहा कर देंगे। 13 दिनों तक नक्सलियों के कब्जे में रखने के बाद उन्हें 3 मई को रिहा किया था।

बता दे की सुकमा जिले के केरलापाल गांव अंतर्गत मांझी पारा में 21 अप्रैल 2012 को ग्राम सुराज अभियान में निरिक्षण के लिए शिविर में पहुंचे कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन को नक्सलियों ने बन्दूक की नोक पर अगवा कर लिया था। नक्सलियों ने उनके बॉडीगार्ड किशन कुजूर और अमजद खान को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। अपहरण के 13वें दिन मध्यस्थों के माध्यम से बातचीत के बाद कलेक्टर को छोड़ गया था। प्रदेश की पुलिस ने चार साल बाद अपहरण कांड में शामिल एक नक्सली को गिरफ्तार करने का दावा किया था, जिसका नाम भीमा उर्फ आकाश बताया और अपहरण कांड में मुख्य भूमिका निभाने की बात कही।

एलेक्स पॉल मेनन तमिलनाडु राज्य के रहने वाले हैं. वह 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. मेनन पिछले साल से ही सेन्ट्रल डेपुटेशन पर हैं. फ़िलहाल उनकी तैनाती उनके गृह राज्य तमिलनाडु में हैं. वे चेन्नई के सेज संयुक्त विकास आयुक्त के पद पर तैनात हैं. यह केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय का ही उपक्रम हैं. अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान मेनन प्रदेश के ग्रामोद्योग सचिव के पद पर पोस्टेड थे.
देश में किसी सिविल सेवा के उच्चाधिकारी का नक्सलियों के द्वारा अपहरणका यह पहला मामला नहीं था. इससे पहले साल 2011 में नक्सलियों ने ओडिशा में मलकानगिरी के जिलाधिकारी आरवी कृष्णा का अपहरण कर लिया था। 2005 बैच के आईएएस अधिकारी आरवी कृष्णा का अपहरण फरवरी, 2011 में उस समय किया गया था, जब वे विकास कार्यों की समीक्षा के लिए धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में गए थे। उनके साथ कनिष्ठ अभियंता पवित्र मांझी को भी नक्सलियों ने अगवा कर लिया था।

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