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ब्रेकिंग : ज्ञानवापी किसकी? अब आगे बढ़ेगा केस… मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज… वाराणसी कोर्ट ने सुनवाई के हक में सुनाया फैसला

इम्पैक्ट डेस्क.

ज्ञानवापी किसकी है? इस सवाल का जवाब तय करने के लिए कोर्ट में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस पर सुनवाई का रास्‍ता कम से कम वाराणसी जिला अदालत से आज तय हो गया। जिला जज डॉ.अजय कृष्‍ण विश्‍वेश की अदालत ने दायर वाद की सुनवाई के हक में अपना फैसला सुनाया। हालांकि अभी भी इस मामले में हाईकोर्ट और सु्प्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद पक्ष के अधिवक्‍ता विकल्‍पों पर विचार कर रहे हैं। इस दौरान मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए वाराणसी के पुलिस कमिश्‍नर ने कल यानी 11 सितम्‍बर की शाम से ही पूरे वाराणसी में धारा-144 लागू कर दी थी। सोमवार को सुबह से ही वाराणसी के चप्‍पे-चप्‍पे पर फोर्स तैनात है। 

बता दें कि पिछली सुनवाई पर दोनों पक्ष की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तिथि तय की थी। पिछले साल सिविल जज (सीनियर डिविजन) की कोर्ट में शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन और सौंपने सम्बंधी मांग को लेकर वादी राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने गुहार लगाई थी। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने प्रार्थनापत्र देकर वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाया था।

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अदालत ने प्रतिवादी की अर्जी दरकिनार करते हुए सुनवाई की और ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराकर रिपोर्ट तलब कर ली। इसी दौरान अंजुमन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला जज की अदालत में 26 मई से सुनवाई शुरू हुई।

मसजिद की ओर से सिविल प्रक्रिया संहिता आदेश 07 नियम 11 (मेरिट) के तहत केस खारिज करके लिए कई तिथियों पर दलीलें दी गईं। 24 अगस्त को दोनों पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया। इस दौरान वादी पक्ष की ओर से लिखित बहस भी दाखिल की गई है। मुस्लिम पक्ष ने कई विवरण व पत्रावली कोर्ट में दी हैं। पूर्व में हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष की ओर से केस की मेरिट संबंधी याचिका खारिज हो चुकी है।

केस की मेरिट के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्य
-20 मई को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले को सिविल जज की कोर्ट से जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था
-24 मई को जिला जज ने केस की मेरिट पर सुनवाई का आदेश दिया
-16 तिथियों में वाद की पोषणीयता पर हुई सुनवाई
-24 अगस्त को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया
-08 हफ्ते में सुनवाई का उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था।

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